डॉक्टर्स का कहना है कि देहात से आये हुए मरीज़ ही अस्पताल में गन्दगी फैलाते हैं। मरीज़ों की मानें तो अस्पताल के कर्मचारी सफ़ाई नहीं करते और उन्हें अपशब्द कहते हैं।
छतरपुर जिला चिकित्सालय में साफ़-सफाई की कमी की वजह से मरीज़ों को परेशानी हो रही है। वहीं डॉक्टर्स का कहना है कि देहात से आये हुए मरीज़ ही अस्पताल में गन्दगी फैलाते हैं। मरीज़ों की मानें तो अस्पताल के कर्मचारी सफ़ाई नहीं करते और शिकायत करने पर उनकी बात भी नहीं सुनी जाती।
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मरीज़ों ने कर्मचारी पर लगाया बद्तमीज़ी का आरोप
वहाँ के मरीज़ो का कहना है कि उनके वार्ड में काफ़ी गन्दगी रहती है। अगर वो लोग सफाई के लिए कहते हैं तो कोई उनकी बात नहीं सुनता। लोग आते-जाते वार्ड के आस-पास ही कचड़ा फेंक कर चले जाते हैं। जिसकी वजह से उनके कमरों में बेहद बदबू रहती है। मरीज़ो का वार्ड में रहना मुश्किल हो गया है। मरीज़ों का आरोप है कि अस्पताल में सफाई को लेकर बहुत घोटाला होता है जिसकी वजह से भर्ती मरीज़ अमूमन अस्वस्थ महसूस करते हैं।
अस्पताल में तकरीबन 1 हफ्ते से भर्ती शांति नाम की मरीज़ का कहना कि अस्पताल में बिलकुल सफाई नहीं होती है। जब कोई कलेक्टर या अधिकारी आता है तब ही बहुत ज़ोर-शोर से सफाई होती है वरना आमतौर पर वैसे ही गंदगी रहती है। कोई ध्यान भी नहीं देता।
अन्य मरीज़ मुकेश का कहना है कि अस्पताल के कर्मचारी उनसे बहुत बत्तमीज़ी से बात करते हैं। अगर वह सफाई के लिए किसी कर्मचारी को कहते हैं तो वे लोग और भी ज़्यादा कचड़ा फैला देते हैं। अगर कुछ बोलो तो वह लोग उनसे लड़ने-झगड़ने लगते हैं। इसकी सुनवाई के लिए कोई भी जिला अस्पताल में उपस्थित नहीं रहता है।
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डॉक्टर ने सफाई के लिए मरीज़ों को ठहराया दोषी
जब खबर लहरिया ने जिला चिकित्सालय के डॉ. राजेंद्र गुप्ता से बात की तो उनका कहना था कि, ‘ यह काम देहात से आये हुए मरीज़ों का है। वह यहाँ पर गन्दगी फैलाते हैं। हमने इस चीज़ को रोकने के लिए अस्पताल में ₹500 का जुर्माना भी लगाया है। इसके बावजूद भी मरीज़ों को कोई फ़र्क नहीं पड़ता। वह फिर भी आस-पास गन्दगी फैलाते हैं। अब यहां के कर्मचारी कहाँ तक सफाई करते फिरेंगे।’ आगे यह भी कहा कि यहां के कर्मचारी बहुत अच्छे से साफ़-सफाई का ध्यान रखते हैं।
सफ़ाई की समस्या हेतु जिला कलेक्टर ने रखी मीटिंग
जिला अस्पताल में साफ़-सफाई से जुड़ी समस्या को देखते हुए जिला के कलेक्टर संदीप जे.आर मंगलवार, 31 मई को एक मीटिंग रखी थी। उन्होंने कहा कि वह खुद हफ्ते में एक बार जिला अस्पताल आया करेंगे और अस्पताल का निरीक्षण करेंगे। इसके अलावा वह कर्मचारियों के साथ मीटींग भी रखेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि हर मंज़िल पर देख-रेख के लिए एक व्यक्ति भी होना चाहिए। उनके होने से इन सब चीज़ो का अच्छे से ध्यान रखा जायेगा। इसके बावजूद भी अगर कोई बदलाव नहीं आया तो वह इसका कुछ और समाधान निकालेंगे। आगे कहा कि अस्पताल से मरीज़ो का ठीक होकर जाना ज़्यादा ज़रूरी है ना की बीमार होकर।
वैसे तो जिला अस्पताल की बात हो या फिर किसी सरकारी अस्पताल की, साफ़-सफाई की कमी हमेशा ही देखी जाती है। डॉक्टर का यह कहना कि देहात से आये लोग ही गंदगी फैलाते हैं, आखिर यह कहना कितना सही है? जबकि जब मरीज़ों ने सफाई को लेकर कर्मचारियों पर सवाल उठाया तो उनके खिलाफ अस्पताल द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया। वहीं कलेक्टर ने समाधान निकालते हुए यह तो कहा कि वह अस्पताल का जायज़ा लेंगे पर यह फैसला कितना लागू होता है, इस पर भी सवाल रहेगा।
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इस आर्टिकल को अमरा अमीर द्वारा लिखा गया है।
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