मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के जिला अस्पताल में लोग इस उम्मीद में आ रहे हैं कि उनका इलाज अच्छा होगा। लेकिन अस्पताल की वास्तविक तस्वीर तो कुछ और ही बयान करती है। इस अस्पताल में गंदगी फैली हुई है, कहीं पान के निशान है तो कहीं कूड़ा फैला हुआ है।
रिपोर्ट – अलीमा, लेखन – कुमकुम
इस अस्पताल में हजारों की संख्या में लोग अपने इलाज के लिए आते हैं। तस्वीर में आप देख सकते हैं कि बाहर कितनी ज्यादा भीड़ है। लोग काफी दूर-दूर से किराया भाड़ा खर्च करके भी आते हैं। जब डॉक्टर इन लोगों को भर्ती करते है और पर्ची बनवाने की लाइन लगती है, तो वहां इतनी गंदगी होती है कि खड़े रहना भी मुश्किल हो जाता है। यह तस्वीरें अस्पताल के बाहर की हैं, जहाँ लोग अपना इलाज कराने के लिए जा रहे हैं। अंदर की भी तस्वीरें कुछ ऐसी ही हालत दिखा रही हैं।
जिला अस्पताल में गंदगी और बदबू से मरीजों का हाल खराब
यह तस्वीर जिला अस्पताल के अंदर की है। यहाँ गंदगी इतनी ज्यादा है कि लोगों का खड़ा होना भी मुश्किल हो जाता है। इस गंदगी और बदबू के कारण लोग यहाँ ठीक नहीं हो पाते, बल्कि बीमार होने लगते हैं। लोग बताते हैं कि जब वे यहाँ खड़े होते हैं, तो बहुत तेज़ बदबू आती है, जैसे किसी गंदे टैंक के पास खड़ा हो। जिला चिकित्सालय में गुटखा अभियान भी चलाया जा रहा है। लेकिन जो लोग गुटखा खाकर अंदर आते हैं, उनसे पैसे वसूल किए जाते हैं। सवाल यह उठता है कि जब पैसे वसूल किए जाते हैं, तो इतनी गंदगी कहां से आती है। तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि गंदे कपड़े, थूक और कचरा जगह-जगह पड़ा हुआ है। यह वही जगह है, जहाँ मरीज बैठते हैं।
जिला अस्पताल में गंदगी को लेकर अभियान
यह तस्वीर में आप देख सकते हैं कि अस्पताल के कुछ कर्मचारी लोगों की जांच कर रहे हैं। वे देख रहे हैं कि कोई व्यक्ति नशा तो नहीं कर रहा, गुटका या तंबाकू तो नहीं खा रखा है। इसका उद्देश्य यह है कि अस्पताल में गंदगी न फैले। अगर किसी के पास गुटका या तंबाकू पाया जाता है, तो उन लोगों से 200 रुपए का फाइन वसूल किया जाता है। यह नियम गरीब हो या अमीर सभी पर लागू होता है।
नीचे दी गई तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति का नाम कल्लू प्रसाद है। वह जिला अस्पताल अपनी माता जी का इलाज कराने के लिए आए हैं। उनका कहना है कि अस्पताल में इतनी गंदगी है कि उनकी माता जी लाइन में खड़े-खड़े चक्कर आने लगे और एक जगह बैठ गईं। कल्लू प्रसाद ऊपर देख रहे हैं क्योंकि किसी ने धोखे से ऊपर से गुटखा की पिक उनके शर्ट पर गिरा दी। वे इसलिए ऊपर देख रहे थे कि अस्पताल में डस्टबिन की व्यवस्था नहीं है।
मेडिकल स्टोर पर भी गंदगी
यह तस्वीरें अस्पताल के अंदर की हैं, जहाँ दवाइयाँ मिलती हैं। दवाइयाँ मिलने वाले काउंटर के पास भी काफी गंदगी पड़ी हुई है। लोग लाइन में खड़े हैं, लेकिन बदबू के कारण बहुत परेशान हैं। वे बार-बार बोल रहे हैं कि जल्दी से दवाई मिल जाए ताकि वे यहाँ से चले जाएं। लोग सरकारी अस्पताल इसलिए आते हैं क्योंकि यहाँ इलाज फ्री होता है और उन्हें ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ते। इसी वजह से बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए इस अस्पताल में आ जाते हैं।
जिला अस्पताल तक का रास्ता ख़राब
यह छतरपुर जिला अस्पताल की बाहर की तस्वीरें हैं। इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि रास्तों पर पानी भरा हुआ है और लोग इसी तरह से निकलते जा रहे हैं। छतरपुर से कल्पना का कहना है कि उन्हें तो आराम से निकलने में कोई समस्या नहीं होती, लेकिन बुजुर्ग लोगों के लिए यह बहुत मुश्किल होता है। अस्पताल के मुख्य गेट पर ही इतनी गंदगी और पानी भरा होता है कि अंदर कैसे जाएं, व्हीलचेयर की भी कोई व्यवस्था नहीं है।
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर शरद चौरसिया ने बताया कि अस्पताल की सफाई रोजाना की जाती है। हालांकि कुछ दिन पहले सफाई कर्मी अपनी वेतन की मांग को लेकर हड़ताल पर चले गए थे, इसी वजह से उस दौरान सफाई नहीं हो पाई थी। लेकिन अब लगातार प्रयास किए जा रहे हैं ताकि अस्पताल साफ-सुथरा बना रहे। उन्होंने कहा कि खबर लहरिया चैनल के माध्यम से संज्ञान में यह जानकारी आने पर वे फिर से जांच-पड़ताल कराएंगे। यदि कहीं गंदगी पाई जाती है तो उसे तुरंत साफ-सुथरा करवा दिया जाएगा।
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’
If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke