खबर लहरिया Blog Chandrayaan-3 Moon Landing: रोवर विज्ञान व लैंडर ने शुरू किया काम, इसरो ने ज़ारी की तस्वीरें

Chandrayaan-3 Moon Landing: रोवर विज्ञान व लैंडर ने शुरू किया काम, इसरो ने ज़ारी की तस्वीरें

चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम (Lander VIkram) और रोवर प्रज्ञान (Rover Pragyan) अपना-अपना काम शुरू कर चुके हैं। बुधवार को विक्रम की लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान उससे बाहर निकलकर चांद की सतह पर पहुंच चुका है।

Chandrayaan-3 Moon Landing, Rover pragyan and lander started work, ISRO released pictures

                                                                                 चंद्रयान 3 की सांकेतिक फोटो/ फोटो साभार – सोशल मीडिया

Chandrayaan-3 Moon Landing Successful: भारत चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया है। वहीं भारत चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के मामले में चौथा देश है। बता दें, भारत के चंद्रमा अभियान चंद्रयान 3 (#Chandrayaan_3) के लैंडर विक्रम ने बुधवार शाम को दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की थी।

इस ऐतिहासिक उपलब्धि को देख भारत का हर एक नागरिक खुश है और हमारे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत को सरहा रहा है। पीएम मोदी ने इस उपलब्धि के लिए सभी भारतियों और अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई दी। कहा, ‘भारत इस दिन को हमेशा याद रखेगा।’

जानकारी के अनुसार, इस जश्न के बीच चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम (Lander VIkram) और रोवर प्रज्ञान (Rover Pragyan) अपना-अपना काम शुरू कर चुके हैं। बुधवार को विक्रम की लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान उससे बाहर निकलकर चांद की सतह पर पहुंच चुका है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने वीरवार सुबह अपडेट देते हुए अपने ट्वीट में लिखा, “चंद्रयान 3 रोवर : मेड इन इंडिया, मेड फॉर मून…! चंद्रयान 3 का रोवर लैंडर से नीचे उतरा और भारत ने चंद्रमा पर सैर की…!”

ये भी देखें – पीएम मोदी के पारिवारिक भारत में सब बढ़िया, हर जगह शांति!

इसरो ने शेयर की तस्वीरें

इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह की कुछ तस्वीरें ट्विटर पर शेयर की गई हैं। ट्वीट करते हुए लिखा गया, ‘लैंडिंग के बाद खींची गई तस्वीरें लैंडिंग इमेजर कैमरा से ली गई हैं। इसमें चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट का एक हिस्सा दिखाया गया है। एक पैर और उसके साथ की परछाई भी दिखाई दे रही है। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर अपेक्षाकृत समतल क्षेत्र चुना।”

 

इसरो चीफ़ को किया गया सम्मानित

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (CM Siddaramiah) ने ISRO के वैज्ञानिकों से आज व्यक्तिगत रूप में मुलाक़ात की और सफल लैंडिंग के लिए उन्हें बधाई दी। इस ऐतिहासिक मौके पर सीएम द्वारा ISRO के चीफ एस सोमनाथ (ISRO Chief S Somnath) को भी सम्मानित किया।

लैंडर और रोवर के बारे में जानें

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अगले 14 दिन तक छह पहियों पर चलने वाला रोवर चंद्रमा की सतह पर अलग-अलग प्रयोग करेगा। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान – दोनों की मिशन लाइफ़ 1 चंद्र दिवस की है, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है। लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा पर विशिष्ट कार्यों के लिए पांच पेलोड ले गया है।

आगे बताया, रोवर के अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) का इस्तेमाल रासायनिक संरचना जांचने और खनिज संरचना का अनुमान लगाने के लिए किया जाएगा, ताकि चांद की सतह के बारे में जानकारी को बढ़ाया जा सके।

“इसके अलावा, एक लेसर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) लैंडिंग स्थल के आसपास चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना निर्धारित करेगा।”

लैंडर में एक और पेलोड भी मौजूद है – रेडियो एनैटमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फियर एंड एटमॉस्फियर – लैंगमुइर प्रोब (RAMBHA-LP) – जो चंद्रमा की सतह के पास प्लाज़्मा (आयन तथा इलेक्ट्रॉन) के घनत्व को मापेगा और यह भी जांचेगा कि ये समय के साथ कैसे बदलते हैं। इसके अलावा, चंद्रा’ज़ सरफेस थर्मो फ़िज़िकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) चांद के ध्रुवीय क्षेत्र के पास सतह के थर्मल गुणों को मापेगा। चंद्रमा पर भूकंपीय गतिविधियों को मापने के लिए ले जाया गया उपकरण लैंडिंग स्थल के आसपास की भूकंपीयता को मापेगा।

आखिरी 15-20 मिनट थे सबसे महत्वपूर्ण

रिपोर्ट्स में बताया गया कि इस मिशन की असली परीक्षा लैंडिंग के आखिरी चरण में शुरू हुई। लैंडिंग से 20 मिनट पहले, इसरो ने स्वचालित लैंडिंग अनुक्रम (एएलएस) शुरू किया। इसने विक्रम एलएम ( Vikram LM) को कार्यभार संभालने और अपने ऑन-बोर्ड कंप्यूटरों और चीज़ों का उपयोग करके एक अनुकूल स्थान की पहचान करने और चंद्र सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने में सक्षम बनाया।

विशेषज्ञों का कहना है कि मिशन की सफलता के लिए आखिरी 15 से 20 मिनट बेहद महत्वपूर्ण थे जब चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर अपनी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए नीचे उतरा।

चंद्रयान मिशन की सफलता पूरे देश की सफलता है। यह बताया जा रहा है कि चंद्रमा का यह क्षेत्र जमे हुए पानी वाला क्षेत्र माना जाता है, जो ऑक्सीजन, ईंधन और पानी का स्रोत हो सकता है।

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke