नई दिल्ली: भारतीय चंद्र मिशन चंद्रयान 2 आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा से सोमवार दोपहर 02:43 बजे भारी भरकम रॉकेट छोड़ा गया। भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने बताया कि एक सप्ताह पहले चंद्रयान के उड़ान भरने से ठीक 56 मिनिट पहले कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था। इस मिशन पर दोबारा काम करने के लिए उनके पास सिर्फ एक मिनिट का विंडो स्पेस था जिसमें चंद्रयान को छोड़ा जाना था।
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के कंट्रोल रूम से वैज्ञानिक रॉकेट के गति पकड़ने के बाद बाहरी वातावरण में प्रवेश करते समय बहुत गहराई से उस पर नज़र रखे हुए थे। रॉकेट 640 टन के भारी-भरकम वजन के साथ रवाना हुआ।
कुछ मिनट के बाद रॉकेट ने चंद्रयान 2 को धरती के ऑर्बिट में सफलतापूर्वक पहुंचा दिया और इसके साथ ही वैज्ञानिकों का दल जो इस मिशन की सफलता के लिए कड़ा परिश्रम कर रहे थे उन्होंने एक-दूसरे से साथ मिला कर बधाई दि और वे ख़ुशी से झूमने लगे।
‘मैं बेहद खुश हूं कि GSLV मार्क 3 ने चंद्रयान 2 को ऑर्बिट में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है… यह भारत के स्वर्णिम इतिहास की यात्रा के शुरुआत है… हमने एक गंभीर परेशानी जो तकनीकी रोड़ा बन रही थी, उस पर पार पा लिया है और इसरो ने पूरे जोश के साथ वापसी की है।’ इसरो के चेयरमैन के सीवन के यह कहने पर उन्हें घेर कर खड़े कंट्रोल रूम के सभी वैज्ञानिकों ने तालियां बजा कर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की।
GSLV मार्क 3 – इसरो किसी भी रॉकेट से बड़ा और शक्तिशाली है। इसकी लंबाई 44 मीटर या 15 मंजिला इमारत जितनी है। 1,000 करोड़ रुपए के मिशन के लिए 20 घंटे पहले रविवार शाम 6:43 पर उल्टी गिनती शुरू हो गई थी।
रॉकेट, स्पेस में ऑर्बिट, लैंड़र ‘विक्रम’ (जिसका नाम भारत के विख्यात वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया) और एक मून रोवर ‘प्रज्ञान’ को ले जा रहा है। एक बार जब लैंडर विक्रम चंद्रयान से अलग हो जाएगा तब यह उस क्षेत्र में उतरेगा जहां अब तक अपेक्षाकृत कम रिसर्च की गई है। अब तक अधिकतर खोज उत्तरी गोलार्ध और भूमध्य रेखीय क्षेत्र पर ही की गई हैं।
चीन का एक चंद्र मिशन जिसे रशिया ने सहयोग दिया था, उसे उत्तरी भाग में उतारा गया था। अमेरिका के अधिकतर चंद्र मिशन और अपोलो मिशन तक चांद के भूमध्यरेखीय क्षेत्र में उतारे गए।
चंद्रयान 2 की सफलता के बाद अमेरिका, रशिया और चीन के बाद भारत चौथा देश हो जाएगा जो चांद पर अपना रॉकेट उतारने में सफल रहा है।
पिछले सोमवार को यान छोड़े जाने से ठीक 56 मिनिट और 24 सैकिंग पहले मानवरहित यान में कोई तकनीकी ख़राबी पाईज्ञगई थी। इसरो ने बताया कि इसके बाद ‘अत्यधिक सावधानी’ का निर्णय लिया गया।
चांद पर यान के सफलतापूर्वक उतरने के बाद के. सीवान के अनुसार, ’15 मिनट का भयावह समय बीतने के बाद रोवर अपने साथ रिसर्च, चांद के नक्शे के बारे में जानकारी लेने, वहां पानी की उपस्थिति के बारे में जानने और हाई रेजोल्यूशन तस्वीर खींचने का काम शुरू कर देगा।
इसरो के चेयरमैन ने चंद्रयान 2 को ‘इसरो द्वारा किया गया अत्यधिक जटिल मिशन नाम दिया है।’
इसरो का बजट अमेरिका के नासा के बजट का 1/20 वें हिस्से के बराबर यानी 1,000 करोड़ रुपए के बजट में सफलतम चंद्र मिशन की कहानी है यहां तक कि इसकी क़ीमत हॉलीवुड की सफलतम फिल्म ‘एवेंजर्स: एंडगेम’ से भी बहुत कम बजट में अत्यधिक सफलता की मिसाल में शामिल है।