खबर लहरिया Blog SC, ST, OBC बच्चों में बढ़ते कुपोषण पर चंद्रशेखर आज़ाद ने जताई चिंता, NHRC रिपोर्ट का दिया हवाला

SC, ST, OBC बच्चों में बढ़ते कुपोषण पर चंद्रशेखर आज़ाद ने जताई चिंता, NHRC रिपोर्ट का दिया हवाला

SC, ST और OBC बच्चों में बढ़ते कुपोषण को लेकर चंद्रशेखर आज़ाद ने मोदी सरकार के सामने   रखी तीन मांगे, बोले संसद में उठाऊंगा मामला 

Photo of Chandra Shekhar Azad

चंद्र शेखर आज़ाद की तस्वीर (तस्वीर साभार: सोशल मीडिया)

लेखन-हिंदुजा

आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने एससी एसटी और ओबीसी समुदाय के बच्चों में बढ़ते कुपोषण को लेकर चिंता जताई। NHRC रिपोर्ट का हवाला देते हुए आज़ाद ने X पर लिखे की, “देश में कुपोषण के मामले भले औसतन घटे हों, लेकिन अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के बच्चों में कुपोषण लगातार बढ़ रहा है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए चंद्र शेखर आज़ाद ने सवाल किया – क्या यही सामाजिक न्याय है कि जो समाज सदियों से वंचित रहे, उनके बच्चों को आज भी पोषण और स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रहीं?

चंद्रशेखर आज़ाद ने लिखा, “राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की ताज़ा रिपोर्ट और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) 2019-2021 के आंकड़े बताते हैं कि एससी एसटी और ओबीसी बच्चों में कुपोषण के मामले अन्य जातियों के मुकाबले ज़्यादा हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भले ही पिछले दो दशकों में भारत में बच्चों में कुपोषण की दर में गिरावट आई हो, लेकिन 2015-16 के बाद से सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के बच्चों में कम वजन और एनीमिया के मामले बढ़े हैं।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और NFHS की रिपोर्ट में सामने आया है कि –

  • SC बच्चों में कुपोषण की दर 2015-16 में 60.6% थी, जो 2019-21 में बढ़कर 70.3% हो गई।
  • ST बच्चों में ये दर 63.3% से बढ़कर 73.9% और
  • OBC बच्चों में 58.6% से बढ़कर 66.1% हो गई।

2019 के आंकड़ों के अनुसार, 

श्रेणीउम्र के हिसाब से कम लंबाईकम वज़न/कुपोषण
SC बच्चे 39.2% 35.1%
ST बच्चे डेटा उपलब्ध नहीं39.5%
OBC बच्चे डेटा उपलब्ध नहीं35.5%
अन्य जातियों के बच्चे 29.6%26.3% 

चंद्रशेखर आज़ाद ने सरकार से तीन मांगो के साथ ये मामला संसद में भी उठाने की बात की। नगीना सांसद की तीन मांगे हैं–

  • पहली की SC-ST-OBC बच्चों के लिए विशेष पोषण योजनाएं लागू की जाएं, जो उनकी भौगोलिक और सामाजिक जरूरतों को ध्यान में रखें
  • दूसरी, PDS से वंचित परिवारों को तत्काल जोड़ा जाए और उनके बच्चों की पोषण निगरानी हो
  • और आखिरी, आंगनबाड़ी और मिड डे मील में जाति आधारित भेदभाव रोकने के लिए कठोर निगरानी और दंड हो

 

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