खबर लहरिया Blog CG Protest Against Cement Factory: सीमेंट फ़ैक्ट्री के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन, पुलिस द्वारा किया गया लाठीचार्ज 

CG Protest Against Cement Factory: सीमेंट फ़ैक्ट्री के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन, पुलिस द्वारा किया गया लाठीचार्ज 

करीब 40 गांवों से पहुंचे हजारों ग्रामीणों ने 11 दिसंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई को रद्द करने की मांग एक बार फिर दोहराई। ग्रामीणों का कहना है कि खैरागढ़ जिले में श्री सीमेंट लिमिटेड की संडी चूना पत्थर खदान परियोजना शुरू होने वाली है और इसी के विरोध में आसपास के कई गांवों के किसान और ग्रामीण बड़े पैमाने पर आंदोलन कर रहे हैं।

Villagers protest against cement factory

सीमेंट फ़ैक्ट्री के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन

 छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में ग्रामीणों द्वारा माइंस के खिलाफ हुए ज़ोरदार आंदोलन के बाद अब खैरागढ़ जिले के छुईखदान में भी किसान और ग्रामीण सीमेंट फैक्ट्री का विरोध कर रहे हैं। यह आंदोलन तीन दिन पहले शुरू हुआ था। छुईखदान क्षेत्र में प्रस्तावित सीमेंट प्लांट के खिलाफ किसानों का विरोध 7 दिसंबर 2025 को अचानक उग्र हो गया। 6 दिसंबर की सुबह तक यह प्रदर्शन शांतिपूर्वक चल रहा था लेकिन शाम होते-होते माहौल तनावपूर्ण हो गया।

करीब 40 गांवों से पहुंचे हजारों ग्रामीणों ने 11 दिसंबर को प्रस्तावित जनसुनवाई को रद्द करने की मांग एक बार फिर दोहराई। ग्रामीणों का कहना है कि खैरागढ़ जिले में श्री सीमेंट लिमिटेड की संडी चूना पत्थर खदान परियोजना शुरू होने वाली है और इसी के विरोध में आसपास के कई गांवों के किसान और ग्रामीण बड़े पैमाने पर आंदोलन कर रहे हैं।

सीमेंट फ़ैक्ट्री गांव में बुरा असर डालेगा 

ग्रामीणों का कहना है कि अगर खदान और सीमेंट फैक्ट्री शुरू हुई तो उससे फैलने वाली धूल गांव के पर्यावरण को खराब कर देगी और लोगों की सेहत भी बिगाड़ सकती है। इसी वजह से खदान क्षेत्र के 39 गांव पहले ही लिखित रूप में अपना विरोध दे चुके हैं। सण्डी, पंडारिया, विचारपुर और भरदागोड़ की पंचायतों ने ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित करके यह घोषणा की है कि वे इस परियोजना को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे।

ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन 

करीब 10 किलोमीटर के आसपास के गांवों से किसान बड़ी संख्या में छुईखदान पहुंचे। 200 से ज्यादा ट्रैक्टर-ट्रालियों का काफिला था जिसमें महिलाएं, युवा और बुजुर्ग सभी शामिल थे। छुईखदान की सीमा पर पुलिस ने बैरिकेड लगाकर इन किसानों को रोकने की कोशिश की लेकिन लोग नहीं रुके। वे ट्रैक्टर-ट्रालियां छोड़कर पैदल ही चलते हुए सीधे एसडीएम कार्यालय पहुंच गए। कार्यालय में ग्रामीणों ने अपना ज्ञापन सौंपकर मांग रखी कि 11 दिसंबर 2025 को रखी गई जनसुनवाई को तुरंत रद्द किया जाए। किसानों का कहना है कि प्रस्तावित परियोजना से इलाके के जलस्रोत, बोरवेल रिचार्ज, खेती-बाड़ी और पशुपालन सभी पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

ट्रैक्टर रोक दिए जाने पर भड़क उठे किसान 

छुईखदान नगर सीमा पर जब पुलिस ने किसानों के ट्रैक्टर रोक दिए तो हालात तेजी से बिगड़ने लगे। अचानक हुई इस कार्रवाई से किसान नाराज़ हो गए और बड़ी संख्या में लोग सड़क पर ही बैठकर विरोध करने लगे। वे नारे लगाते हुए मांग करने लगे कि उन्हें आगे जाने दिया जाए। लगभग आधे घंटे तक किसानों और पुलिस के बीच बातचीत चलती रही लेकिन जब बात नहीं बनी तो ग्रामीण ट्रैक्टर वहीं छोड़कर पैदल ही जुलूस की तरह आगे बढ़ गए।

किसानों के मुताबिक पुलिस द्वारा ट्रैक्टर रोकना ही विरोध के उग्र होने की सबसे बड़ी वजह बना। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के बावजूद उन्हें जानबूझकर रोकने की कोशिश की गई। इस घटना के बाद भीड़ और बढ़ गई और लोग लामबंद होकर एसडीएम कार्यालय की ओर बढ़ने लगे।

पुलिस दल को हटना पड़ा पीछे 

ज्ञापन देने के बाद ग्रामीणों ने राजनांदगांव और कवर्धा मुख्य मार्ग पर बैठकर सड़क जाम किया। जब पुलिस उन्हें हटाने के लिए पहुंची तो उनकी पुलिसों के साथ झड़प हो गई। स्थिति संभालने के लिए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया जिसके बाद तनाव और बढ़ गया। लाठीचार्ज होते ही प्रदर्शनकारी भड़क उठे। उन्होंने बैरिकेड तोड़ दिए और पुलिस जवानों को पीछे की ओर दौड़ा दिया। हालात बिगड़ते देख पुलिस दल को पीछे हटना पड़ा।

ग्रामीणों द्वारा दी गई चेतावनी 

ग्रामीणों का कहना है कि जिन गांवों पर इस परियोजना का सीधा असर पड़ेगा वे शुरुआत से ही एकजुट होकर इसका विरोध कर रहे हैं। कई बैठकों, ग्रामसभाओं और लिखित आपत्तियों के माध्यम से ग्रामीण साफ बता चुके हैं कि वे इस परियोजना को नहीं चाहते। ऐसे में उनके अनुसार जनसुनवाई कराने का कोई मतलब नहीं रह जाता क्योंकि लोगों की राय पहले ही स्पष्ट है।

ग्रामीणों ने प्रशासन को आगाह किया है कि अगर 11 दिसंबर को होने वाली जनसुनवाई को रद्द नहीं किया गया तो वे अपना विरोध और तेज़ करेंगे। उनका कहना है कि आंदोलन को अब तक उन्होंने शांतिपूर्ण रखा है लेकिन उनकी अनदेखी जारी रही तो आंदोलन उग्र रूप ले सकता है। ग्रामीणों ने साफ कहा कि वे अपने जल, जमीन और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए किसी भी स्तर तक जाने को तैयार हैं। दैनिक भास्कर की खबर अनुसार तहसील कार्यालय पर किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता सुरेश टिकम ने कहा कि जहां तीन फसल होते है वहां फ़ैक्ट्री लगाना सीधे-सीधे किसानों की हत्या है। सरकार दी सौ लोगों की नौकरी के लिए हज़ारों किसानों की रोजी-रोटी छिनने पर आमादा है। 

छत्तीसगढ़ में जंगलों की कटाई और जल–जंगल–ज़मीन को बचाने की लड़ाई कई वर्षों से जारी है। अपनी जमीन और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए लोग बार-बार सड़क पर उतरने को मजबूर हुए हैं। अब हालात ऐसे हो गए हैं कि यह संघर्ष और भी मजबूत होता दिख रहा है। बीते दिन की घटनाओं ने साफ कर दिया कि स्थानीय स्तर पर विरोध लगातार बढ़ रहा है और लोग अपने हक के लिए पहले से ज्यादा दृढ़ता के साथ खड़े हो रहे हैं।

 

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