प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बिहार के उत्तर रेलवे परियोजनाओं को मंज़ूरी दे दी है। इसकी जानकारी कल 24 अक्टूबर 2024 को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। उन्होंने बताया यह रेल संपर्क उत्तर बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच 256 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। बिहार में नरकटियागंज-रक्सौल-सीतामढ़ी-दरभंगा और सीतामढ़ी-मुजफ्फरपुर खंड के रेलवे लाइन का दोहरीकरण किया जायेगा। इसके लिए 4,553 करोड़ रुपये की लागत से लगभग 256 किलोमीटर की रेल लाइन के दोहरीकरण का फैसला केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। इन परियोजनाओं से नेपाल, पूर्वोत्तर भारत और सीमावर्ती क्षेत्रों में आने जाने की सुविधा हो जाएगी।
रेलवे में सफर करने के लिए कितनी मारमारी है वो सभी जानते हैं और त्यौहारों के समय स्थिति और बतर हो जाती है। इस स्थिति में सुधार के लिए कैबिनेट ने दो रेलवे परियोजना को मंजूरी दे दी। एक आंध्र प्रदेश के अमरावती में और दूसरी उत्तर बिहार को पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ने वाली। परियोजना की लगात लगभग 6,798 करोड़ रुपये है। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 57 किलोमीटर लंबे अमरावती के रास्ते एर्रुपलेम और नम्बुरु के बीच नई लाइन का निर्माण किया जाएगा। जानकारी के अनुसार ये परियोजनाएं 5 साल में पूरी होंगी।
उत्तर बिहार और पूर्वोत्तर राज्य को जोड़ने का काम करेगी
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना को समझाते हुए बताया कि, “इस परियोजना में कम से कम 40 पुल हैं। इसमें पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, दरभंगा और मुजफ्फरपुर जिले शामिल होंगे। इस परियोजना के कारण बिहार को अब पूर्वी बंदरगाहों से सम्पर्क आसान हो जायेगा। इसका मतलब है कि अगर कोई उद्योग मिथिलांचल (उत्तर बिहार) में आना चाहता है, तो उसे बंदरगाह कनेक्टिविटी का लाभ मिलेगा,”
भारत-नेपाल सीमा से संपर्क
इस परियोजना में भारत-नेपाल सीमा पर एक महत्वपूर्ण परिवहन गलियारा तैयार किया जायेगा। रेल मंत्री ने कहा, “आज, मिथिलांचल में एक बहुत ही महत्वपूर्ण परियोजना, जो उत्तर बिहार और पूर्वोत्तर को रणनीतिक संपर्क प्रदान करती है, को कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई… यह पूरा गलियारा भारत और नेपाल की सीमा पर एक प्रमुख परिवहन गलियारा बन जाएगा। उत्तर बिहार और मिथिलांचल के लोगों को अच्छी रेल कनेक्टिविटी मिलेगी।” इस परियोजना के तैयार होने से उत्तरी राज्यों और पूर्वोत्तर के बीच संपर्क और मजबूत हो जायेगा साथ ही मालगाड़ियों के साथ-साथ यात्री ट्रेनों की आवाजाही में सुविधा होगी। इस योजना से सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को होगा फायदा
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसलों के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए कहा, “256 किलोमीटर लंबी रेलवे परियोजना से उत्तर प्रदेश और उत्तरी बिहार को लाभ होगा। यह भारत-नेपाल व्यापार के लिए महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यह नेपाल के बीरगंज में अंतर्देशीय कंटेनर डिपो को जोड़ेगी। इससे खाद्यान्न, उर्वरक, सीमेंट, कंटेनर आदि की आवाजाही में तेजी आएगी। दूसरी रेलवे परियोजना से मध्य और उत्तरी भारत का दक्षिणी भारत से संपर्क बेहतर होगा, जिससे अमरावती, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता के बीच सीधा संपर्क होगा।”
अयोध्या से सीतामढ़ी से सीधा सम्पर्क
इस रेल परियोजना में अयोध्या से सीतामढ़ी के लिए यात्रा आसान हो जाएगी। इसके लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस फैसला का स्वागत करते हुए सोशल मीडिया X पर पोस्ट किया कि, “दिनांक 22.09.2024 को पत्र के माध्यम से मैंने आदरणीय प्रधानमंत्री जी से माँ सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी (पुनौरा धाम) हेतु रेल सम्पर्कता के संबंध में अनुरोध किया था। आज अयोध्या से मॉ सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी तक 4,553 करोड़ रुपये की लागत से लगभग 256 किलोमीटर की रेल लाइन के दोहरीकरण का फैसला केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया है। यह फैसला स्वागतयोग्य है। इस रेल मार्ग के बन जाने से श्रद्धालुओं को अयोध्या के साथ ही मॉ सीता की जन्मस्थली पुनौरा धाम आने में सुविधा होगी। इसके लिये मैं आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।”
बिहार में इस फैसले से लोग भी खुश हैं, क्योंकि बिहार की ट्रेनों में जब सफर करते हैं तो कभी भीड़ कम नहीं दिखती। आपको हमेशा रेल खचाखच भरी दिखेगी। त्यौहारों में तो ये हाल बुरा हो जाता है क्योंकि उन्हें टिकट तक नहीं मिल पाती और बहुत से लोग जा नहीं पाते हैं। उम्मीद है यह परियोजना सच में एक बड़ा बदलाव लाएगी और लोगों के रेल सफर को आसान बनाएगी।
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