बीते 5 सालों में ऐसा कुछ नहीं हुआ इसलिए अब सरकार से भरोसा उठ गया है।
ग्रामीण उम्मीद के सहारे वादों पर विश्वास कर वोट डालते हैं। अगली बार फिर यह सोचकर मतदान करने चले जाते हैं कि शायद इस बार चुनाव आया है तो इसी बहाने उनके लिए, उनके गाँव के लिए नेता या सरकार कुछ करेगी पर ऐसा अमूमन देखने को मिलता नहीं है। चुनाव तो इसलिए ही होते हैं न कि जनता अपना प्रतिनिधि चुन उसे अपनी समस्या बताये और वह उसका समाधान करे। जब कुछ नेताओं के पास पद और पावर आ जाती है तो वह इतने ऊँचे हो जाते हैं कि ग्रामीणों की आवाज़ भी उन तक नहीं पहुंच पाती।
यूपी में साल 2021 में पंचायती राज चुनाव हुआ था तब भी कुछ विकास के वादे हुए थे जैस की इस समय विधानसभा चुनाव 2022 में हो रहे हैं। चुनाव को लेकर लोगों और नेताओं, दोनों के ही पास बहुत-से मुद्दे हैं। जो सामने आकर भी शांत हो जाते हैं। शायद वो लोगों के ज़हन में जाकर बैठ जाते हैं कि अब उन वादों के पूरे होने की कोई उम्मीद नहीं है। यही वह परिस्थिति होती है जब लोगों का विश्वास सरकार से उठ जाता है। या तो कुछ लोग बागी बन जाते हैं या चुप-चाप समय के साथ चलते रहते हैं।
लोगों से ही जानते हैं उनके अनुसार सरकार के बीते पांच साल कैसे थे, उनमें क्या हुआ और क्या नहीं हुआ? साथ ही वर्तमान में वह किस सरकार पर अपना भरोसा जता रहे हैं?
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बीते 5 साल कैसी रही सरकार ?
बाँदा जिले के ब्लॉक गुड़ा कला ग्राम पंचायत मजरा में रहने वाले लोगों से हमने बात की। यह भी जानना चाहा कि उनके क्षेत्र में कितना विकास हुआ और इस बार वह किसे अपने नेता के रूप में देख रहे हैं। लोगों ने खुलकर कहा कि, “जिस तरह से सरकार ने उनकी उम्मीदों पर पानी फ़ेरा है अब वह दोबारा जवाब देंगे। एक समय था जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के पद पर बैठे थे तो लोगों में खुशहाली छा गयी थी। लोगों को लगा था कि देश संवर जाएगा। जब यूपी में योगी की सरकार बनी तब भी यही लगा कि क्यूंकि केंद्र और राज्य दोनों में एक ही सरकार है तो प्रदेश में लोगों को रोज़गार मिलेगा, महंगाई कम होगी। गरीब, मज़दूर और किसान खुशहाल हो पायेगा लेकिन बीते 5 सालों में ऐसा कुछ नहीं हुआ इसलिए अब सरकार से भरोसा उठ गया है।”
ग्रामीण आगे बोलें, मज़दूर और किसान अपने बच्चों को शिक्षित करना चाहते हैं ताकि उनके बच्चों को कोई जॉब मिल सके और आगे चलकर उनका भविष्य संवर सके। किसानों की आज कल ज़्यादा पैदावार नहीं होती। दिन-रात खेत में मेहनत कर व लाखों रूपये खर्च कर अपने बच्चों को बाहर पढ़ने के लिए भेजता है। जब उसे डिग्री मिल जाती है तो वह उम्मीद करता है कि उसे नौकरी मिलेगी। छात्रों को जोइनिंग लेटर तो मिला है लेकिन उनकी जोइनिंग नहीं हुई है। महंगाई भी आम आदमी को सता रही है। वह अब वर्तमान सरकार से परेशान हो चुके हैं।
राशन में सिर्फ गेहूं और चावल मिलता है लेकिन उससे पेट नहीं भर पायेगा। वह चाहते हैं कि सरकार सिर्फ राशन न देखे बल्कि रोज़गार की व्यवस्था करे और वैकेंसी निकाले जिससे उनका जीवन स्थायी हो पाए।
लोग यह भी कहते हैं कि अभी तो भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा में ही ज़ोरदार टक्कर है। अब उन्हें वोट तो देना ही है लेकिन वह अभी असमंजस में हैं कि वह किसे वोट दें। अपना मत किसे दे यह सवाल इस समय अधिकतर ग्रामीण खुद से पूछ रहे हैं?
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।
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