खबर लहरिया Blog बुंदेलखंड: गर्मियों में शरीर को रखता है ठंडा – सत्तू

बुंदेलखंड: गर्मियों में शरीर को रखता है ठंडा – सत्तू

गर्मी की मार से बचने के लिए लोग अलग-अलग तरह की ड्रिंक और शरबत पीते हैं ताकि वे भीषण गर्मी में किसी बीमारी का शिकार न हो पाएं। हम आपको एक ऐसे ही देसी खाना के बारे में बताएंगे जिसे पीने, खाने, पूड़ी और पराठा बना के भी खाया जाता है। ये डिश न केवल शरीर को ठंडा रखता है बल्कि यह काफी पौष्टिक होता है।

सतु की तस्वीर (फोटो साभार: गीता)

रिपोर्ट – शिव देवी, लेखन – गीता 

बांदा जिले के चिल्ला क्षेत्र की रहने वाली एक महिला बताती है कि हर साल गर्मी के सीजन में सत्तू खाए जाते हैं। जैसे ही खेतों की कटाई बिनाई और मड़ाई का काम शुरू होता है। लोग पुराने चनो को निकाल कर सत्तू बनाने के लिए पानी में रात भर के लिए भिगो देते हैं। जब चना पानी के साथ फूल जाता है तो उसको धूप में हल्का सुखाते हैं। इसके बाद भरभुजा के यहां जाते हैं और भार में भुंजाते हैं। अगर गांव में भार नहीं है तो लोग घर में भी कड़ाही में बालू डालकर भून लेते हैं। भूनने के बाद उसको चकरी में दरते हैं और भूसी अलग करते हुए साफ कर लेते हैं।

सत्तू भुंजती महिला (फोटो साभार: शिवदेवी)

 

इस सफाई के बाद उस साफ चने के साथ थोड़ा सा जौ जो सत्तू के आते को चिकना और जीरा जो पाचन तंत्र को सही रखने के लिए भून कर मिलाया जाता है। फिर चक्की में पिसाया जाता है और इसके बाद गुड़, चीनी और नमक मिर्च के साथ अपने स्वाद अनुसार लोग सुबह नाश्ते में खाते हैं। गर्मी के सीजन में जो शादी विवाह होते हैं उसमें भी सुबह नाश्ते के लिए सत्तू का सेवन ही किया जाता है। गांव में बुजुर्ग ज्यादातर महुआ और चना, महुआ और सत्तू, चना और  गुड़ का ही सेवन करते थे और स्वस्थ्य रहते थे। आज बदलते दौर में काफी मात्रा में इसका चलन कम हो गया है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में आज भी लोग सत्तू बनाते हैं खासकर किसानों के घर में।

जी हां, यहां बात हो रही है सत्तू की जिसे गर्मी से बचाव का वरदान कहना गलत नहीं होगा। सत्त’ एक बुन्देलखण्ड पारंपरिक आहार है जिसे गर्मियों के दौरान पोषण और ताजगी का खजाना माना जाता है। सत्तू स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद भी होता है। यह शरीर को ठंडक, ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है जो हर वर्ग के लोगों के लिए लाभकारी भी है।

वैसे तो सत्तू ग्रामीण लोगों का पसंदीदा खाना है। इसका सेवन  उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे कई राज्यों में किया जाता है लेकिन हर‌ जगह इसे खाने की प्रक्रिया अलग-अलग होती है। कहीं पर गेहूं, चना और जौ डाल कर बनाया जाता है तो कहीं पर सिर्फ चने से बनया जाता है और इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिज के पोषण तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। जैसे अगर बिहार की बात करें तो बिहार में सत्त्तू का शरबत बहुत ही फेमस माना जाता है। इस सीजन में वहां पर हर चौराहे पर सत्तू के शरबत का ठेला मिल जाएगा। लोग बड़े चाव से पीते हैं। इतना ही नहीं बिहार में सत्तू से पूड़ी-पराठे और बाटी चोखा भी बनते हैं जबकि बुंदेलखंड में खासकर बांदा जिले में अगर देखा जाए तो सत्तू का लोग शरबत पीते हैं और उसको थोड़ा सा गढ्ढा सान कर चीनी, गुड़ या नमक के साथ खाते भी हैं और बाटी चोखा भी बनाते हैं।

सत्तू शरीर को ठंडा रखने का काम करता है। साथ ही इसका सेवन करने से पाचन क्रिया भी सही रहती है और यह शरीर को ऊर्जा भी प्रदान करता है। सत्तू का शरबत, लड्डू, पराठा और पुड़ी भी बनती‌ है।‌ इसका शरबत गर्मियों में प्यास बुझाने के लिए अच्छा माना जाता है, जो शरीर को गर्मी के तापमान से बचाता है।

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *