जानिये अलग-अलग जिलों के त्योहारों से जुड़े व्यंजनों के बारे में….
किसी भी त्योहार के बारे में सोचें तो सबसे पहले हमारे मन में त्योहारों से जुड़े स्वादिष्ट भोजनों का ख्याल आता है। आपको भी आता है न? मुझे तो आता है। बच्चा हो या जवान या हो बूढ़ा, सबके लिए त्योहार और उससे जुड़े भोजन का अपना ही एक महत्व होता है। लोग साल भर त्योहारों और उस दिन बनने वाले लज़ीज़ खानों का इंतज़ार करते हैं। वह इसलिए क्यूंकि कुछ व्यंजन ऐसे होते हैं जिनके खाना का स्वाद उससे जुड़े त्योहार और निश्चित दिन से ही आता है। जैसे- होली के त्योहार को बिना गुंजिया के सोच पाना भी मुश्किल है।
आज हम बुंदेलखंड में मनाये जाने वाले त्योहारों, उससे जुड़े भोजन और उनके पीछे की कहानियों को आपके साथ सांझा कर रहे हैं। तो चलिये हमारे साथ लज़ीज़ खाने और त्योहारों के सफर की ओर, चलेंगे न ?
– चना दाल की पूड़ी
आज नाग पंचमी का त्योहार है। यूँ तो इस दिन नागदेवता को दूध पिलाने का रिवाज़ है लेकिन हम आज के दिन से जुड़े भोजन के बारे में बात करेंगे। बुंदेलखंड क्षेत्र के बाँदा जिले में रहने वाली महिला किरानी कहती हैं कि उनके यहां आज के दिन दाल वाली पूड़ी बनाने का रिवाज़ है। वह कहती हैं कि वह सबसे पहले चने के दाल को भिगोकर सिलवट्टे पर पीसती हैं। आटें को गूंदने के बाद उसे आधे घंटे के लिए छोड़ देती हैं। तब तक वह खड़ा धनियां, ज़ीरा, मैथी, डोडा नमक, लाल मिर्च आदि चीज़ें पीसकर चने के दाल में मिक्स करती हैं।
इसके बाद आटें के लोई के अंदर तैयार किया हुआ चने की दाल भरती हैं और लकड़ी के चूल्हे पर अलसी के तेल से उसे सेंकती हैं। चने दाल की पूड़ी तैयार होने के बाद वह फिर उसे गुड़ की लपसी में खाती हैं। चने दाल की पूड़ी को खाने का सबका अपना-अपना तरीका होता है। कोई इसे खीर के साथ खाता है तो कोई आलू की सब्ज़ी के साथ।
– बेसन का चीला
वहीं अगर महोबा जिले की बात करें तो जिले की रहने वाली महिला रामकली कहती हैं कि उनके यहां बेसन के चीले बनाये जाते हैं। आज के दिन बनाने पर इनका स्वाद बाकी दिनों से काफी अलग और स्वादिष्ट होता है। बेसन के चीले को अलग-अलग सामग्रियों के ज़रिये भरकर भी बनाया जाता है। इसमें आप सब्ज़ियां या पनीर डालकर भी बना सकते हैं और चटनी के साथ खा सकते हैं।
– मालपुआ
ये सावन का महीना चल रहा है। इसके साथ ही इस मौसम में कई प्रकार के व्यंजन भी बनाये जाते हैं। बीतें दिनों तीज का त्योहार भी बनाया गया। महोबा जिले की रहने वाली रामकली ने बताया कि तीज के दिन वह मालपुआ बनाकर खाती हैं। कई लोग बाहर से भी खरीदकर लाते हैं क्यूंकि इसे बनाने में काफ़ी सामग्री लगती है।
संजय नाम के व्यक्ति मालपुआ बनाने की विधि के बारे में बताते हैं। इसके लिए 1 किलो कठिया गेहूं का आटा, 300 ग्राम गुड़, चिरौंजी, सौंप और सौंठ का घोल बनाया जाता है। फिर इसे खूब सारे तेल में तला जाता है।
– रंग-बिरंगे अनरसा
वाराणसी जिले में तीज के त्योहार के दिन अनरसा अधिक मात्रा में लोगों द्वारा खरीदा जाता है। अनरसा मिठाई का नाम है। इसे बनाने के लिए सिर्फ चावल का आटा और चीनी की ज़रुरत होती है। जिसे लोग अलग-अलग रंग जैसे लाल, पीला आदि रंगो में बनाते हैं।
क्यों कैसा लगा आपको व्यंजनों का सफ़र? एक क्षेत्र में होने के बाद भी हर जिले का त्योहारों को मनाने का तरीका एक-दूसरे से एकदम अलग है। जैसा की हमने बाँदा जिले और महोबा जिले में देखा। एक जगह आज के दिन दाल की पूड़ी बनाई जाती है तो दूसरी जगह बेसन का चीला। अलग होने के बाद भी एक त्योहार लोगों को एक-दूसरे से जोड़ कर रखता है।
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