वैसे तो आपको पता ही होगा बुंदेलखंड और सूखे का रिश्ता बहुत पुराना हैं. यहाँ पानी की सुविधाओं की हमेशा से कमी बनी रहती हैं फिर चाहे वो हैंडपंप की बात हो, सरकारी नलों की बात हो या कुएं की बात हो. हैंडपंप, नालों और कुओं की कुल संख्या में हम प्रतिवर्ष घटना बढ़ना देख सकते हैं लेकिन सूखे की समस्या जस की तस ही है.
हमारी कई ख़बरों से आप बुंदेलखंड में हैंडपंप और नालों की व्यवस्था और अव्यवस्था से तो अवगत हो ही गए होंगे कुछ स्टोरीजआप दिए गए लिंकों पर देख सकते हैं
तो चलिए आज बात करते हैं हम बुंदेलखंड और कुओं के रिश्तों की , कहानी में विस्तार से जानने से पहले आपको बता दें की हैंडपंप और नालों की समस्या से भी विकट समस्या है यहाँ पर कुओं की कई इलाकों और गाँव में 100 की आबादी पर केवल एक कुआं देखने को मिलता हैं और उसमे भी साफ़ पानी को तरसते हैं लोग. और स्थिति इतनी खराब हैं की वो भी सूखने की कगार पर हैं और आपको जानकारी के लिए बता दें की वहां पर पानी की और कोई भी सुविधा नहीं हैं न कोई हैंडपंप और न कोई सरकारी नल. यहाँ तक की वह पर लोगों का कहना है की गर्मियों के दिनों में वहां पर पानी की ये स्थिति होती हैं की लोगों पानी के लिए एक दूसरे से को मरने पीटने पर उतर आते हैं.
टीकमगढ़ जिले के गाँव पतारी में सन उन्नीस सौ सतासी से सार्वजनिक सरकारी कुआँ खुदा हुआ है यह कुआँ 2016 से यह कुआँ पूरी तरह से जर्जर पड़ा है चार साल पुरे होने जा रही है इस कुआ में मवेशियों का डर भी रहता है ग्रामीणों को हमेशा इस कुआँ से डर बना रहता है कोई इस कुआँ से घटना ना घट जाए ये हमेशा डर बना रहता है साथ ही लोगों ने ये भी बताया की इस रास्ते से आये दिन लोग आते, जाते है हमने कई बार प्रशासन को अवगत कराया लेकिन इसका कोई जवाब नहीं आ रहा है
और बच्चों का आना जाना भी रहता है भी कि कुछ घटना नहीं घट जाए इसलिए यहा कुआ बधाने चाहिए और कई बार 181 पर शिकायत भी की थी तो वहा से जवाब मिला आपका कुआ बध जायेगा लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है और इस कुआ को बधवाने के लिए यहा पर मटेरियल भी आया था तो सरपंच सैक्टरी उठा ले गये थे और इस कुआ का पानी पीते भी है गंदा है हम लोग चाहते हैं कि इस कुआ से पूरे मोहल्ले के लोगों का सुधार हो जाए यह कुआ बध जाये जिससे इस कुआ का पानी की सुविधा हो जाये। तो ज़्यादा अच्छा होगा
राजाराम आदिवासी सरपंच आदिवासी ग्राम पंचयात गूखरई इनका कहना है कि हम लोगों ने इस कुआ को बधवाने का प्रयास भी किया है और नेंट पर भी डलवा दिया है और एक बार हम लोग उस कुआ को बनवाने के लिए मैटेरियल भी ले गये थे तो वहाँ के लोगों ने उस कुआ को बधवाने से मना किया था कि यह मैटेरियल नहीं लगवाना है क्यों कि यह खराब है इससे यह कुआ जल्दी धस जायेगा अच्छी वाली गुम्मा लाओं तो हम लोग बनवाने देंगे नहीं तो नहीं बनेगा इस मैटरियल तो हम लोग वहा से उठा लाये थे क्या करते जब गाँव वाले नहीं कोई काम करने देते है तो इसमें हम क्या कर सकते है यही बोले की जब अच्छा मैटरियल आ जायेगा तो बनवा देंगे
इसी कुआ के संबधित में नपद बलदेवगढ़ अधिकारी प्रभात कुमार मिश्रा सी,ओ का कहना है कि आपके द्वारा हमें जानकारी मिली है अगर ऐसा है तो उस कुआँ को दिखवाते है उसकी यदि जर्जर है तो उसको बनवाया जायेगा !
कई ऐसे पिछड़े हुए इलाके हैं जहाँ न तो बिजली हैं और न शौचालय ऐसे में लोगों को अँधेरे में ही शौच के लिए जाना पड़ता हैं और लोग जब शौच के लिए जाते है तब उन्हें काफी डर लगा रहता है की कही वो लोग इस कुआँ में गिर ना जाये नहीं तो कौन जिम्मेदार होगा यही डर हमे अपने बच्चो का बना रहता है इस वजह से हम अपने बच्चो को बाहर नहीं भेजते है घर में ही रखते है लेकिन ये कब तक ऐसा होगा इसका कुछ ना कुछ समाधान तो होना ही चाहिए काफी ज़्यादा अधूरा पड़ा है पूरी तरह से जर्जर है अधिकारी लोग कोई यहाँ ध्यान नहीं देता है यह है ग्रामीण क्षेत्र का हालत हमारी कोई सुनता ही नहीं है इस कुआँ में जब झाको तो बहुत ही भयानक डर लगता है क्यूंकि ये साइड, साइड से टुटा हुआ है अगर कोई इसमें गिर भी गया तो निकलना बहुत ही मुश्किल है तो बताये हम लोग क्या करे हम सभी गाँव वाले इस कुआँ से परेशान है गाँव के बिलकुल बिच में कुआँ स्थित है इस जर्जर हालत में पड़ा है इस कुआँ के डर से बच्चे खेल भी नहीं पाते है कहते है की हम लोग कहा खेले बच्चो के पढ़ाई के साथ , साथ खेल भी बहुत जरुरी है क्या हम घर में ही बैठे रहेंगे हम लोगो की बात सुनी जाए और अधिकारिओ को सोचना चाहिए की यह कुआँ जल्द से जल्द बनवा दे, इसका मरम्मत करा दे तो अच्छा होगा, अच्छा मैटरियल से बनना चाहिए अगर खराब से बनेगा तो क्या फायदा फिर टूटने का डर बना रहेगा फिर टूट सकता है कोई भी गिर सकता है सब लोग यही सोचेंगे न की यह कुआँ तो बन गया है लेकिन सबको क्या पता की इस कुआँ में खराब मैटरियल से बना हुआ है इस लिए हम सभी लोग मिल कर मना किया जब सरकार पैसा देती है हर चीज का तो क्यूं नहीं ये अधिकारी लोग बनवाते है हम लोग तो बोल, बोल कर थक जाते है लेकिन कोई नहीं सुनता है इस लिए कई बार कई जगह आदेश दिया है की यह कुआँ बन जाए और हमारी सुविधा हो जाए और सभी ग्रामीणों का डर खत्म हो जाए तो सबसे अच्छा होगा !