केंद्रीय वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को लोकसभा में अपना पहला बजट पेश किया है। अंतरिम बजट के ज़रिये उन्होंने 2030 के लिए सरकार के प्रस्तावित दृष्टिकोण को रेखांकित भी किया है।
पियूष गोयल ने पिछले वर्षों में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इस अवसर का उपयोग भी किया है।
वर्तमान सरकार को बढ़ावा देते हुए पियूष गोयल का कहना है कि “ये न केवल एक अंतरिम बजट है बल्कि यह देश के विकास का सबसे बड़ा माध्यम है। हमारी सरकार में विकास एक आंदोलन बन गया है”।
बजट का कर प्रस्ताव भाग- पियूष गोयल ने करदाताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि “आपका कर शौचालय, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और बहुत कुछ प्रदान करता है। इसके लिए शुक्रिया!
व्यक्तिगत करदाता, जिनकी आय कुछ 5 लाख रूपए तक है उन्हें इस बजट में पूर्ण कर छूट मिलेगी, ऐसा गोयल का कहना है। यहां तक कि 6.5 लाख कमाने वालों को भी कर नहीं देना पड़ेगा, अगर वे निर्दिष्ट बचत में निवेश करते हैं।
स्तर में बदलाव न करके, लोगों को छूट प्रदान करते हुए, यह काव्य ज्यादा कमाने वाले लोगों के कर को प्रभावित नहीं करेगा। हालाँकि इसके ज़रिये 10 लाख से कम कमाने वाले व्यक्तियों के कर पर कुछ प्रभाव ज़रूर पड़ेगा।
गोयल ने यह भी घोषणा करी कि 40,000 रुपये तक की ब्याज आय पर कोई कर नहीं लगेगा। हालांकि, उन्होंने लोकसभा चुनाव के बाद पूर्ण बजट के कार्यान्वयन को अगली सरकार पर छोड़ दिया है।
गोयल के अनुसार सरकार ने 36 पूंजीगत वस्तुओं पर कृत्य को भी समाप्त कर दिया है। पूर्ण रूप से डिजिटलीकरण की शुरुआत की जा रही है।
पियूष गोयल द्वारा 2030 को बेहतर बनाने का दृष्टिकोण
– आने वाली पीढ़ी के लिए आधारिक संरचना
– एक डिजिटल इंडिया
– प्रदूषण रहित भारत जो इलेक्ट्रिक वाहनों पर चलेगा
– ग्रामीण औद्योगीकरण का विस्तार
– स्वच्छ नदियाँ और सुरक्षित पेयजल
– नीली अर्थव्यवस्था के समुद्र तट और उपयोग का विकास
-अंतरिक्ष में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को भेजना
-भोजन में आत्मनिर्भरता, भोजन का निर्यात और जैविक खेती
-स्वस्थ भारत, एक संकट-मुक्त स्वास्थ्य सेवा और व्यापक कल्याण प्रणाली
-अधिकतम शासन
क्या इस बार के बजट में रेलवे शामिल है?
यह एक और बड़े सवाल के रूप में सामने आता है क्योंकि पियूष गोयल भारतीय रेलवे का निर्देशन भी करते हैं।
एनडीए सरकार ने अलग रेल बजट की प्रथा को खत्म कर इसे केंद्रीय बजट में शमिल कर दिया है। फरवरी 2016 को सुरेश प्रभु रेल बजट पेश करने वाले अंतिम रेल मंत्री थे। तीन साल बाद फिर से एक और रेल मंत्री बजट पेश करेंगे, लेकिन इस बार वित्त मंत्री की क्षमता के रूप में!