बुन्देलखण्ड जिसको आप सूखे का पर्यायवाची के नाम से भी जान सकते हैं जहा कुछ गिने चुने ही सिचाई के साधन हैं क्या हो अगर उन्ही साधनों में से कोई अगर ख़राब हो जाये तो यहाँ पर खेती करना कितना मुश्किल हो सकता है इस बात का अंदाजा लगाना भी कितना मुश्किल काम है ऐसा ही कुछ हुआ बाँदा और चित्रकूट जिले में जहा पर पर सिचाई के लिए बनी नहर टूट गई हैं अब परेशानी यह है ऐसी टूटी नहर से इधर उधर बहकर पूरा पानी बर्बाद हो रहा है जिससे समस्या ये हो रही है अब खेतों में सिचाई हो तो कैसे हो
रसिन बांध से गजपति पुर तक नहर निकाली गई, चित्रकूट में हुआ उद्घाटन
बुन्देलखण्ड के बांदा और चित्रकूट जिले में सिंचाई का मेन साधन होने वाली नहरें सिंचाई विभाग की उदासीनता के चलते जगह-जगह टुटी और गंदगी से भरी पडी़ हैं| जिसके कारण किसानों को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पडता है| बांदा जिले के नरैनी क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले महुटा रिजवाहा माइनर नहर और कल्हरा माइनर नहर सहित कई नहरों की पटरियां,झालें जगह-जगह टुटी हैं और गन्दगी से भरी बजबजा रही हैं|
जिसे हजरों हजार कि संख्या में सिंचाई करने वाले किसानों को अपने खेतों तक पानी ले जाने के लिए हर बहाली बंधान करना पड़ता है| तब जा कर सिंचाई कर पाते हैं| किसानों का कहना है कि पटरियां टूटी होने और गन्दगी के कारण जब नहर आती है तो खेतों में पानी भर जाता है जिससे फसलें सड जाती हैं और सिंचाई के लिए परयात पानी नहीं मिल पाता क्योंकि पानी हर जगह फैल जाता है और फिर वापस नहर में ही आ जाता है| उन्होंने कई बार विभाग से पक्की पटरी बंधाने कि मांग भी की पर असवासन के अलावा कुछ नहीं मिला| जबकि गरीब किसानों के लिए नहर ही सिंचाई का एक मेन साधन है, पर विभाग काम के नाम पर खाना पुर्ती करता है और पैसे खाता है|