देश से करोड़ों लेके भागे शराब कारोबारी विजय माल्या के 2017 में स्विस बैंक को विजय माल्या के 17.86 मिलियन (170 करोड़ रुपये) हस्तांतरण के बारे में भारत को सतर्क किया था।
इससे पहले नवंबर 2015 में सीबीआई ने लंदन से दिल्ली आने पर विजय माल्या को हिरासत में नहीं लिया था। इसी तरह चार महीने बाद उनके बैंकरों ने लंदन लौटने पर उन्हें रोकने के लिए कानूनी सलाह पर काम नहीं किया।
एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, यह लंदन में ब्रिटिश अधिकारी थे, जिन्होंने 17.86 मिलियन पाउंड को स्विट्ज़रलैंड में बैंक से माल्या को हस्तांतरित किये थे।
रिपोर्ट के अनुसार, 28 जून 2017 को यूके फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (यूकेएफआईयू) ने यह चेतावनी दी थी। नवंबर 2017 में ब्रिटेन में माल्या को विश्वव्यापी फ्रीजिंग ऑर्डर (डब्लूएफओ) दिया गया था।
सूत्रों ने पुष्टि की है कि माल्या के बैंक हस्तांतरण को यूकेएफआईयू द्वारा एसएआर (संदिग्ध गतिविधि रिपोर्ट) में परिवर्तित कर दिया गया था और नई दिल्ली में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को जानकारी के लिए चिह्नित किया गया था।
सूत्रों ने कहा कि इसके बाद चीजें तेजी से चली गईं और सूत्रों ने कहा कि भारतीय बैंकों द्वारा आवश्यक समय के कारण स्विट्ज़रलैंड में बैंक हस्तांतरण को रोका नहीं जा सकता था।
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सीबीआई ने लिखित में मुम्बई पुलिस को माल्या को न रोकने की बात कही थी। 16 अक्टूबर 2015 को अपने पहले लुक आउट नोटिस में सीबीआई ने फार्म में भारत छोड़ने से रोकने संबंधि विषय बाक्स को भर दिया था।
वहीं, दूसरा लुक आउट नोटिस 24 नवंबर 2015 को जारी किया गया था। तब विजय माल्या ने दिल्ली में लैंडिंग की थी। इसमें मुंबई पुलिस की विशेष शाखा को CBI ने एक लेटर भेजा था। इस दूसरे लुक आउट नोटिस फार्म में जिस बॉक्स को चुना गया था, वह था विषय के आने/जाने के बारे में सूचित करें। यानि स्पष्ट है कि साफ तौर पर कहा गया था कि माल्या को गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं है। यानि सिर्फ सूचना दें।