यूपी के जिला महोबा के मकरबा गांव की सड़कों की हालत इतनी खराब है कि लोग रास्ता भी पार नहीं कर सकते। प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किये गए स्वच्छ भारत अभियान के द्वारा यह कहा गया था कि देश के हर गांव और शहर को साफ़ सुथरा किया जायेगा। जहां भी सड़कों पर गड्ढे हैं,उन्हें भरा जायेगा। लेकिन मकरबा गाँव की हालत देखकर ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता। गांव के अंदर जो सड़कें हैं, सब टूटी हुई है। जगह-जगह पानी भरा हुआ है। बरसात के मौसम में सड़कों की हालत और भी ज़्यादा खराब हो जाती है। मौसम कोई सा भी हो,सड़कों पर हर जगह गंदगी, पानी जमाव और कीचड़ रहता ही है। अब ऐसे में गाँव में गड्ढे और सफ़ाई कितनी होगी, इसका अंदाज़ा हम लगा ही सकते हैं।
छह-सात साल से है सड़कों का बुरा हाल
मकरबा गांव में रहने वाले निवासी का कहना कि गांव की सड़कें पिछले छह-सात साल से खराब है। गांव का प्रधान और सरकार कोई भी उनकी बात नहीं सुनता। साथ ही प्रधान से शिकायत करने पर उनका यह जवाब आता है कि वह इसमें कुछ नहीं कर सकते। बरसात के मौसम में गड्ढों में पानी भर जाता है। जिससे की आने जाने वाले लोगों को काफ़ी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। लोग उन रास्तों पर आ और जा नहीं पाते। गड्ढों की वजह से दुर्घटना का खतरा भी काफ़ी बढ़ जाता है।
गांव का मुख्य रास्ता भी है खराब
रास्तों से आने- जाने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें मज़बूरन टूटी हुई सड़कों से जाना पड़ता है, क्यूंकि वह रास्ता चार से पांच गाँवों को जोड़ता है। साथ ही वह गाँव का मुख्य रास्ता भी है। मुख्य रास्ता गांव की दूसरी सड़कों की ही तरह टूटा और गड्ढों से भरा हुआ है। गड्डों में दो पहियें या चार पहियें वाहन आसानी से फंस सकते हैं। ऐसे में अगर किसी को अस्पताल या कसी ज़रूरी काम से जाना हो तो वह सड़क की बुरी हालत की वजह से वहीं फंस जाएगा।
नहीं है पानी निकलने की जगह
गड्ढों में पानी भरना आम बात है, क्यूंकि पानी के निकलने के लिए कोई भी जगह नहीं है। साथ ही साथ सड़कों पर इतना कूड़ा है कि वह भी पानी के साथ सड़कों पर ही जमा हो जाता है। जिसकी वज़ह से गन्दी बदबू भी आती है। गड्ढों को भरने और सड़कों की सफाई के लिए, लोगों द्वारा कहने पर भी प्रधान या सरकार द्वारा कुछ किया नहीं जाता। लोगों का कहना है कि गाँव में कहीं भी कूड़ेदान नहीं है। अगर कूड़े की गाड़ी आती भी है तो वह बस प्रधान के घर के आगे की सफ़ाई करके, सिर्फ उनका ही कूड़ा ले जाती है। लेकिन गांव या किसी और घर से कूड़ा नहीं लेती और न ही गाँव की किसी सड़क को साफ़ करती है।
टूटी सड़कों की वजह से बच्चे जा नहीं पाते स्कूल
निवासी धनीराम खुश्वाहा कहते हैं कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत उनके गाँव में कुछ नहीं किया गया। सड़कों की हालत इतनी खराब है कि बच्चें स्कूल तक नहीं जा पाते। गांव में सिर्फ आठवीं तक स्कूल है। आगे पढ़ने के लिए बच्चों को तीन किलोमीटर पैदल चलकर जाना होता है। लेकिन उसमें भी सड़कों की खराब हालत की वजह से वह जा नहीं पाते। हर गांव की हालत उनके गाँव की तरह ही खराब है। न तो गांव की अंदर की सड़कें ठीक है और न ही मुख्य सड़क। ऐसे में बच्चे अगर किसी वाहन से भी स्कूल जाना चाहें तो सड़कों पर बने बड़े-बड़े गड्ढों की वजह से नहीं जा पाते। सब जगह वही टूटी हुई सड़कें, गड्ढे और गंदगी देखने को मिलती है।
शिकायत पर भी सरकार है चुप
लोगों ने मुख्यमंत्री को कई बार शिकायत पत्र भी लिखे। फिर भी सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। हार मानकर लोगों ने फिर यह सोच लिया कि अब सरकार उनकी बात नहीं सुनेगी। सांसद अशोक सिंह चंदेल से जब लोगों ने सड़कों की समस्या के बारे में कहा तो समस्या का हल करने की वजाय उन्होंने लोगों को धरना प्रदर्शन करने को कहा। लोगों ने धरना प्रदर्शन किया तो उल्टा पुलिस ने लोगों पर ही मुकदमा दर्ज़ कर दिया। ऐसे में लोग किसकी बात मानें और सुनें।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साल 2017 में कहा था कि वह यूपी को गड्ढा मुक्त बनाएंगे। वहीं साल 2014 को स्वछता अभियान की शुरुआत की गयी थी। आज स्वछता अभियान को शुरू हुए छह साल और गड्ढे मुक्त अभियान को तीन साल हो गए हैं। जिनमें न जाने सरकार कितने ही करोड़ रुपयें खर्च किए हैं। लेकिन इसके बावजूद भी यूपी के गाँव की सड़कें वैसे ही टूटी हुई है। गाँवों में कोई साफ़-सफाई नहीं है। यहां तक की कूड़ेदान भी नहीं है। ऐसे में सीधा सवाल केंद्र सरकार और राज्य सरकार पर ही खड़ा होता है। आखिर इतने साल बीत जाने के बाद भी चीज़े वैसी की वैसी क्यों हैं ? क्या हुआ योजनाओं में लगाए हुए करोड़ो रुपयों का ? आखिर कब तक सरकार ऐसे ही योजनाओं के नाम पर लोगों को बेवकूफ़ बनाती रहेगी ?