पिछले तीन दिनों में तीन BLO की मौत हुई है जिसमें से दो उत्तरप्रदेश से हैं और एक राजस्थान से। परिवारों का कहना है कि ये मौतें एसआईआर से जुड़े काम के भारी दबाव की वजह से हुईं।
एसआईआर फ़ॉर्म भरने के प्रक्रिया के दौरान लगातार BLO की आत्महत्या से मौत की खबर की संख्या बढ़ती जा रही है। पिछले तीन दिनों में तीन BLO की मौत हुई है जिसमें से दो उत्तरप्रदेश से हैं और एक राजस्थान से। परिवारों का कहना है कि ये मौतें एसआईआर से जुड़े काम के भारी दबाव की वजह से हुईं। परिजनों के अनुसार बीएलओ लगातार तनाव में थे और काम का बोझ इतना बढ़ गया था कि उनकी सेहत पर सीधा असर पड़ा। बता दे इससे पहले भी लगभग 19 BLO की मृत्यु हो चुकी है जिसका कारण भी एसआईआर काम का दबाव बताया जा रहा है।
राजस्थान में BLO की मौत
राजस्थान के धौलपुर में 40 साल के बीएलओ अनुज गर्ग की हार्ट अटैक से मौत हो गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार परिवार का कहना है कि वह कई दिनों से लगातार देर रात तक काम कर रहे थे जिससे उन पर बहुत दबाव था। उनकी बहन वंदना ने बताया कि शनिवार की रात भी वह लगभग 1 बजे तक एसआईआर का काम कर रहे थे। अधिक तनाव और बेचैनी के कारण उन्होंने चाय मांगी लेकिन बहन चाय लेकर लौटती उससे पहले ही वह अचानक गिर पड़े।
उनके सुपरवाइज़र लोकेंद्र कुमार के अनुसार अनुज अपना काम ठीक तरह से कर रहे थे और अपने क्षेत्र के करीब 1,100 मतदाताओं में से लगभग 80 प्रतिशत लोगों तक पहुंच भी चुके थे। उनके साथ काम करने वाले एक और BLO ने भी बताया कि इन दिनों सभी कर्मचारी भारी तनाव में हैं। सुपरवाइज़र ने कहा कि अनुज ने कभी काम को लेकर शिकायत नहीं की और हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया। दो दिन पहले एसडीएम की मीटिंग में भी उन्होंने कहा था कि वह जल्द ही अपना काम पूरा कर लेंगे।
उत्तरप्रदेश में BLO की मौत
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यूपी के मुरादाबाद में 30 नवंबर की सुबह 46 वर्षीय बीएलओ सर्वेश सिंह ने आत्महत्या कर ली। उनका एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें उन्होंने लिखा कि एसआईआर प्रक्रिया का दबाव बहुत ज़्यादा था और कम समय में काम पूरा करने की वजह से वह लगातार घुटन महसूस कर रहे थे। सर्वेश सिंह को 7 अक्टूबर 2025 को बीएलओ बनाया गया था। पीटीआई के अनुसार सर्कल ऑफिसर आशीष प्रताप सिंह ने बताया कि सर्वेश काम के बोझ को संभाल नहीं पा रहे थे इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है।
इसी तरह का मामला धामपुर में भी सामने आया जहां बिजनौर की 56 वर्षीय शोभारानी जो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भी थीं एसआईआर के काम के तनाव में थीं। वह देर तक ऑनलाइन फॉर्म अपलोड करती रहीं और अचानक सीने में दर्द होने पर अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके पति का कहना है कि वह पहले से बीमार थीं लेकिन काम पूरा करने की जल्दी में लगातार मेहनत कर रही थीं। वहीं जिला कार्यक्रम अधिकारी विमल कुमार चौबे का कहना है कि उन पर किसी तरह का अतिरिक्त दबाव नहीं था।
बीते कई हफ़्तों में एसआईआर प्रक्रिया को लेकर लगातार तनाव की खबरें आती रही हैं। यूपी, पश्चिम बंगाल और कुछ अन्य राज्यों से कई बीएलओ के कथित आत्महत्या करने और विरोध प्रदर्शन करने के मामले सामने आए हैं। कई BLO की अचानक हुई मौतों को भी इस काम के दबाव और मानसिक तनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
हाल ही में सोशल मीडिया में एक BLO की वीडियो सामने आई जिसमें उन्होंने आत्महत्या करने से पहले अपनी बातें कहीं हैं। उन्होंने कहा है कि “मैं जीना चाहता हूं। यह वीडियो सर्वेश सिंह का ही था।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
BLO जिस भारी दबाव में काम कर रहे हैं उस पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कई जगह कर्मचारियों की मौत और आत्महत्या के मामलों से यह साफ़ है कि मौजूदा प्रक्रिया उन्हें बेहद तनाव में डाल रही है। इसके बावजूद चुनाव आयोग ने अब तक इस बात पर गंभीरता से विचार नहीं किया है कि BLO किस तरह के हालात में काम कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने इस मुद्दे पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है। आयोग का ध्यान ज़्यादातर इस बात पर रहा है कि BLO काम के दौरान कैसे सकारात्मक बने रहें ब्रेक लेते रहें और अपने काम को समय पर पूरा करने के लिए प्रेरित हों। आयोग ने दो वीडियो भी जारी किए जिनमें केरल के कुछ बीएलओ अपने काम के बीच छोटे-छोटे ब्रेक लेते और थोड़ा-बहुत नाचकर तनाव कम करते दिखाई दे रहे हैं।
Quick Break, Stronger Team ✨
Election officials including BLOs enjoying break time in between their work under the ongoing #SIR in #Kerala @Ceokerala pic.twitter.com/PpdGlBT8nW
— Election Commission of India (@ECISVEEP) November 30, 2025
पिछले दिनों टीएमसी ने आरोप लगाया था कि चुनाव आयोग के हाथ ‘खून से सने’ हैं क्योंकि बीएलओ पर बढ़ते काम के दबाव से लगातार मौत और आत्महत्या की घटनाएं सामने आ रही हैं। इस आरोप के बाद चुनाव आयोग ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की और बताया कि हाल ही में बिहार के बीएलओ को मान्यता (रजिस्ट्रेशन) दी गई है और उनके काम के दौरान मिलने वाले वेतन में भी बढ़ोतरी की गई है। आयोग का कहना है कि वह बीएलओ की मदद और उनके काम की स्थिति में सुधार के लिए कदम उठा रहा है। इसी के साथ एसआईआर फ़ॉर्म भरने की प्रक्रिया की तारीख़ को भी 11 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया। सवाल ये है कि क्या वेतन बढ़ोत्तरी या डांस के तरीके BLO के मौतों और उनके बोझ के आगे सामान्य बात है? क्या सच में इससे BLO की परेशनियां कम हो जाएगी?
BLO की हो रही मृत्यु पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने एक्स हेंडल पर पोस्ट कर लिखा है कि “OBC वोटरों के नाम काटो, वरना नौकरी चली जाएगी।” “दबाव, धमकी… और नतीजा? आखिर में आत्महत्या।”
“OBC वोटरों के नाम काटो, वरना नौकरी चली जाएगी।”
दबाव, धमकी… और नतीजा? आखिर में आत्महत्या।
SIR के नाम पर पिछड़े–दलित–वंचित–गरीब वोटरों को लिस्ट से हटाकर BJP अपनी मनमाफ़िक वोटर लिस्ट तैयार कर रही है।
ECI लोकतंत्र की हत्या की ज़िम्मेदार है। https://t.co/6kpi7Mh018
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 26, 2025
इन मौतों और आत्महत्या के मामलों ने साफ़ कर दिया है कि एसआईआर प्रक्रिया का दबाव ज़मीनी स्तर पर काम करने वाले बीएलओ के लिए बेहद भारी साबित हो रहा है। चुनाव आयोग के डांस वीडियो या डेडलाइन बढ़ाने जैसे कदम क्या इस गंभीर स्थिति का हल माने जा सकते हैं? क्या सिर्फ वेतन बढ़ा देने से तनाव और जान जाने जैसी दुखद घटनाएं रुक जाएंगी?
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