जहाँ एक तरफ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई बीजेपी सांसदों ने उत्तर प्रदेश और बिहार के अन्य दलों के नेताओं के साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की टिप्पणी की निंदा करी कि वे राज्य के युवा प्रवासी शर्मिकों की वजह से नौकरियों से हाथ धो रहे हैं, वहीँ देखा जाए तो 2017 यूपी विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी के घोषणापत्र ने भी एक समान वादा किया था कि वे स्थानीय युवाओं के लिए नौकरियों को आरक्षित करेंगे। लगता है कि किसी दूसरे पर निशाना साधने से पहले वे अपने गिरेबान में झांकना भूल गए थे।
पार्टी का घोषणापत्र कुछ इस तरह था – “लोक कल्याण संकल्प पत्र, 2017” – जिसे पिछले साल 28 जनवरी को लखनऊ में जारी किया गया था, “उत्तर प्रदेश में हर औद्योगिक व्यवस्था में 90 प्रतिशत नौकरियां युवाओं के लिए आरक्षित की जाएँगी”।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने घोषणापत्र में कहा था कि आने वाले पांच वर्षों में राज्य में 70 लाख नौकरियां और स्वयं रोजगार जैसे अवसर लोगों को प्राप्त कराए जाएँगे।
घोषणापत्र ने “हर युवा को मिले रोज़गार” शीर्षक के तहत उल्लेख किया था कि यदि यहाँ बीजेपी सरकार बनाती है, तो वह युवाओं को नौकरी के अवसर प्रदान करेगी ताकि वो अपने उन छोटे ज़िलों या गॉंवों से भी अपना लक्ष्य को हासिल कर सकें”।
कमल नाथ ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेते समय से कहा था कि मध्य प्रदेश की युवा, यूपी और बिहार से आ रहे प्रवासी शर्मिकों के कारण अपनी नौकरियां खो रही है। इस पर उन्होंने एक विवाद को न्यौता दे दिया है। बताया जा रहा है कि बीजेपी के अलावा, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल जैसे कांग्रेस के अनुकूल पक्षियों ने इन टिप्पणीओं को अस्वीकारा है।
कमलनाथ ने एक नई राज्य नीति की घोषणा की है जिसके तहत निवेश प्रोत्साहनों का लाभ उठाने वाले उद्योगों को स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत रोजगार देना होगा।