नीरज कुमार, जो पटना जिले के मीठापुर के निवासी हैं और सरकारी नौकरी करते हैं। वह कहते हैं, “अगर आप बिहार आए हैं, तो लिट्टी चोखा जरूर खाइए। यह हमारे बिहारी होने का हिस्सा है और हमारे लिए यह किसी अमृत से कम नहीं है। जब लिट्टी चोखा मिलता है, तो मन को शांति मिलती है और दिन की शुरुआत ताजगी से होती है।”
रिपोर्ट- सुमन, लेखन – सुचित्रा
लिट्टी चोखा, बिहार का एक ऐसा व्यंजन है जो न केवल राज्य बल्कि पूरे देश में अपनी एक अलग पहचान बना चुका है। चाहे आप भारत के किसी भी कोने में चले जाएं, लिट्टी चोखा आपको हर जगह मिल जाएगा। इसका असली स्वाद तो आपको सिर्फ और सिर्फ बिहार में ही मिलेगा। यहाँ की गलियों से लेकर बड़े होटलों तक, छोटे ढाबों से लेकर गांवों तक, लिट्टी चोखा की दुकानें हर जगह मिलती हैं और हर जगह इसका स्वाद अद्भुत रहता है।
पहली बार लिट्टी चोखा का स्वाद
बिहार आने पर जब मैंने और गीता दीदी ने पहली बार लिट्टी चोखा खाया, तो वो अनुभव यादगार था। आज भी उस लिट्टी चोखा का स्वाद याद आ जाता है। गया जिले के एक छोटे से गांव में स्थित एक छोटी सी दुकान पर हमने लिट्टी चोखा खाया। उस दिन मैंने पहली बार महसूस किया कि लिट्टी का स्वाद सचमुच अलग होता है। लिट्टी पूरी तरह से पकी हुई थी, उसका आटा और सत्तू का मिश्रण बहुत ही स्वादिष्ट था। मैं तो सिर्फ दो लिट्टियाँ खा सकी, लेकिन गीता दीदी ने भूख के साथ-साथ चोखा के स्वाद में इतना आनंद लिया कि उन्होंने चार से पाँच लिट्टियाँ खा डाली।
पटना के सिपारा पुल का लिट्टी चोखा
पटना जिले के सिपारा पुल के पास एक छोटी सी दुकान है जहां का लिट्टी चोखा बेहद प्रसिद्ध है। दुकानदार विमल कुमार बताते हैं कि उनकी दुकान सुबह 7 बजे से रात 9:30 बजे तक खुली रहती है। यहां पर सबसे ज्यादा भीड़ सुबह के समय होती है। कामकाजी लोग, स्कूल जाने वाले बच्चे, और ऑफिस जाने वाले कर्मचारी यहाँ लिट्टी चोखा का स्वाद लेने जरूर आते हैं। विमल जी के मुताबिक, सुबह का नाश्ता लिट्टी चोखा के बिना अधूरा सा लगता है।
ग्राहक का अनुभव
नीरज कुमार, जो पटना जिले के मीठापुर के निवासी हैं और सरकारी नौकरी करते हैं। वह कहते हैं, “अगर आप बिहार आए हैं, तो लिट्टी चोखा जरूर खाइए। यह हमारे बिहारी होने का हिस्सा है और हमारे लिए यह किसी अमृत से कम नहीं है। जब लिट्टी चोखा मिलता है, तो मन को शांति मिलती है और दिन की शुरुआत ताजगी से होती है।”
नीरज जी के साथ आए विनोद शर्मा ने बताया कि,“बिहार में लिट्टी चोखा अब कई नए रूपों में मिलने लगा है। लिट्टी चिकन, लिट्टी मटन जैसी नई किस्में भी लोकप्रिय हो रही हैं। गांवों में जब पार्टी करने का मन होता है, तो सभी दोस्त मिलकर आग जलाकर सत्तू और मसालों से लिट्टी तैयार करते हैं और फिर एक साथ खाकर आनंद लेते हैं। यह बिहार की पारंपरिक संस्कृति का अहम हिस्सा है।”
बुजुर्गों की जुबान से लिट्टी चोखा का राज
58 साल के एक बुजुर्ग ग्राहक जो लिट्टी चोखा का आनंद ले रहे थे, बताते हैं, “लिट्टी चोखा केवल खाना नहीं है, यह बिहारी संस्कृति की पहचान है। लिट्टी आटे से बनी होती है। लिट्टी के अंदर सत्तू का मिश्रण होता है, जो पेट के लिए बहुत फायदेमंद है। जब इसमें आलू और बैंगन का चोखा मिलाकर घी डाला जाता है, तो इसका स्वाद बिल्कुल अलग होता है। यह शरीर को ताकत देता है और पेट को साफ रखता है।”
उनका कहना था कि लिट्टी चोखा का स्वाद बाहर कहीं भी उतना अच्छा नहीं होता जितना बिहार में होता है क्योंकि बिहारी मसाले और सत्तू का अपना खास मिश्रण होता है।
सेलिब्रिटी भी लिट्टी चोखा का लुत्फ उठाते हैं
लिट्टी चोखा का स्वाद सिर्फ आम लोग ही नहीं, बल्कि बॉलीवुड के सेलिब्रिटी भी मानते हैं। हाल ही में अभिनेता विक्की कौशल फिल्म प्रमोशन के लिए बिहार आए थे और उन्होंने सड़क पर खड़े होकर लिट्टी चोखा खाया। विक्की ने कहा कि बिहार का लिट्टी चोखा सचमुच बेहद खास होता है। इसी तरह आमिर खान जैसे अभिनेता भी बिहार में आकर लिट्टी चोखा का स्वाद ले चुके हैं।
लिट्टी चोखा की दुकान व्यवसाय का माध्यम
विमल कुमार, जो लिट्टी चोखा बेचने वाले दुकानदार हैं। वह बताते हैं कि उन्होंने पहले पत्रकारिता, नेटवर्क मार्केटिंग और सर्विस प्लान जैसे कई छोटे काम किए, लेकिन बाद में समझ में आया कि लिट्टी चोखा की दुकान खोलकर वह अच्छा कमा सकते हैं। उनकी दुकान पर दूर-दूर से लोग लिट्टी चोखा खाने आते हैंउनका कहना है कि अगर एक बार सही तरीके से लिट्टी चोखा खा लिया जाए, तो फिर किसी अन्य स्वाद का मन नहीं करता।
लिट्टी चोखा सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक पहचान है। यह न केवल भूख को शांत करता है, बल्कि बिहार की मिट्टी, परंपराओं और लोगों के दिलों का भी प्रतीक है। चाहे आप बिहार के किसी भी कोने में हों, लिट्टी चोखा का स्वाद हमेशा याद रहेगा। यह सिर्फ भोजन नहीं, बिहार की आत्मा है।
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