खबर लहरिया Blog Bihar, Sterilization News: नसबंदी ऑपरेशन के बाद अस्पताल में महिलाओं को ठंडे फ़र्स पर सुलाया 

Bihar, Sterilization News: नसबंदी ऑपरेशन के बाद अस्पताल में महिलाओं को ठंडे फ़र्स पर सुलाया 

​​नसबंदी कराने वाली 22 महिलाओं को अस्पताल में न तो बेड मिला और न ही ठंड से बचने के लिए कंबल। हालत यह थी कि महिलाओं को 10 डिग्री से भी कम तापमान में खुले बरामदे के फर्श पर सिर्फ एक गद्दे पर लिटा दिया गया।                 

फोटो साभार: दैनिक भास्कर                  

दरभंगा में स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। 10 दिसंबर 2025  को फैमिली प्लानिंग ऑपरेशन यानी नसबंदी कराने वाली 22 महिलाओं को अस्पताल में न तो बेड मिला और न ही ठंड से बचने के लिए कंबल। हालत यह थी कि महिलाओं को 10 डिग्री से भी कम तापमान में खुले बरामदे के फर्श पर सिर्फ एक गद्दे पर लिटा दिया गया। यह घटना सदर पीएचसी (प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र) की है।

परिजनों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद मरीजों को साफ-सुथरे वार्ड, गर्माहट, मच्छरदानी और लगातार देखभाल जैसी जरूरी सुविधाएं मिलनी चाहिए थीं लेकिन अस्पताल में इनमें से कोई व्यवस्था नहीं थी। चाय-पानी तक की सरल सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई गई। नतीजा यह हुआ कि कई महिलाएं पूरी रात ठंड और दर्द से परेशान रहीं जबकि उनके परिवारजन उन्हें इस हाल में देखकर भी कुछ कर पाने में असमर्थ थे।

“अगर ज्यादा सवाल किए गए तो ऑपरेशन बंद करना पड़ेगा।”

दैनिक भास्कर की खबर अनुसार पीएचसी प्रभारी डॉक्टर उमाशंकर प्रसाद से जब निरीक्षण में खामियों और महिला चिकित्सक की अनुपस्थिति पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि डॉक्टरों की टीम निगरानी कर रही है लेकिन उनके जवाबों में झुंझलाहट साफ दिखाई दी। मरीजों को फर्श पर लिटाए जाने की बात उठते ही वे नाराज़ हो गए और यहां तक कह दिया कि “अगर ज्यादा सवाल किए गए तो ऑपरेशन बंद करना पड़ेगा।”

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वहीं ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर दीपक कुमार ने स्थिति का कारण बताते हुए कहा कि बुधवार को कुल 22 महिलाओं का ऑपरेशन किया गया था और जगह की कमी के कारण सभी को बेड उपलब्ध नहीं कराए जा सके। उन्होंने बताया कि ठंड के मौसम में ऑपरेशनों की संख्या बढ़ जाती है जिससे केंद्र काफी भीड़भाड़ वाला हो जाता है। डॉक्टर ने माना कि बेड की कमी एक बड़ी समस्या है और यदि पर्याप्त बेड होते तो सुविधाएं बेहतर दी जा सकती थीं। हालांकि उन्होंने किसी गंभीर गड़बड़ी से इनकार किया और जल्द सुधार का आश्वासन भी दिया।

परिजनों ने क्या कहा? 

दैनिक भास्कर के खबर अनुसार परिजनों का कहना है कि अस्पताल में सुविधाओं की स्थिति बेहद खराब है। एक महिला (जो परिजन हैं) ने बताया कि न तो कंबल मिला न मच्छरदानी “अब हम किससे क्या कहें? जैसे-तैसे रह रहे हैं। अगर इंफेक्शन हो गया तो क्या करेंगे? अब जो करना है, सरकार जाने।”पूनम देवी भी अपनी नाराज़गी छिपा नहीं पातीं। उनके अनुसार,“सरकार दावा करती है कि सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं लेकिन आप खुद देख लीजिए क्या मरीजों को खुले आसमान के नीचे ओस में रखा जाता है?”

परिजनों का आरोप है कि सरकार सिर्फ दावे करती है ज़मीनी हालात बिल्कुल अलग हैं। “मोदी सरकार कहती है कि सब काम हो रहा है, लेकिन यहां हालात देखिए कुछ भी बदलता दिखाई नहीं देता। सिर्फ बाहरी दिखावा है। दरभंगा के लोगों का आरोप है कि क्षेत्र की अनदेखी की जा रही है वे कहते हैं बिल्डिंग बना दी पर काम कुछ नहीं होता। बाहर से 1300 रुपये की दवा खरीदनी पड़ती है जबकि अस्पताल में सिर्फ दो दिन की दवा ही मिलती है।

जांच की मांग 

घटना के बाद स्थानीय लोगों में भी गहरा आक्रोश देखने को मिल रहा है। उनका कहना है कि अगर सरकार परिवार नियोजन कार्यक्रम को गंभीरता से आगे बढ़ाना चाहती है तो सबसे पहले महिलाओं को सुरक्षित, सम्मानजनक और बुनियादी सुविधाओं से युक्त माहौल देना होगा। लोगों ने स्वास्थ्य विभाग से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने, जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने और अस्पताल में तुरंत जरूरी सुविधाओं को सुधारने की मांग की है।

 

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