पटना में संविदा कर्मचारियों ने बड़ा प्रदर्शन किया। कर्मचारी अपनी नौकरी पक्की करने और बकाया वेतन की मांग कर रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शन कारियों को रोकने को कोशिश की और आख़िरकार लाठीचार्ज किया गया।
शिक्षक हो या संविदा कर्मी आजकल देश में हर आवाज का स्वागत डंडों से किया जा रहा है। अब ऐसी तस्वीरें आम होती जा रही हैं। नौकरियों के सपनों को लाठियों से कुचला जा रहा है। दरअसल बिहार के पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर संविदा कर्मियों द्वारा पिछले एक महीने से आंदोलन किया जा रहा था। कल यानी 10 सितंबर 2025 को संविदा कर्मियों द्वारा बीजेपी कार्यालय के बाहर अपने मांगो को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था जिसके बाद संविदा कर्मियों के ऊपर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की गई। ये कर्मचारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में काम करते थे जिनकी सेवा हाल ही में समाप्त कर दी गई है। लगभग 9000 भू सर्वेक्षण कर्मियों ने अपनी नौकरी और बकाया वेतन की मांग को लेकर बीजेपी कार्यालय का घेराव करने की कोशिश कर रहे थे।
प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी दफ्तर के बाहर जमकर नारेबाजी की। पुलिस ने पहले उन्हें समझाने का प्रयास किया, लेकिन जब वे नहीं माने तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें वहां से हटाया। इस दौरान हुई धक्का-मुक्की और लाठीचार्ज में कई कर्मियों को गंभीर चोटें आई हैं, जिनमें से कुछ का सिर भी फट गया। उन्हें तत्काल अस्पताल ले जाया गया है।
“एक तरफ नौकरी दे रहे हैं दूसरी तरफ छिन रहे हैं” संविदा कर्मियों के बयान
प्रदर्शन स्थल पर लोगों से बात की गई। आंदोलन कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि सरकार उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। उनका आरोप है कि एक महीने से धरना देने के बावजूद कोई भी सरकारी अधिकारी उनसे मिलने नहीं आया। संविदा कर्मी सीमा कुमारी ने बताया कि वे 26 दिनों से अपने मांगों को लेकर धरना पर बैठे हैं। अभी तक एक भी अधिकारी मिलने नहीं आया। उन्होंने कहा “हमारी मांगे हैं कि हमें नियमितीकरण (परमानेंट) करें।” शालिनी कुमारी ने बताया कि “हम सभी का संविदा में नौकरी लगी हुई थी लेकिन कुछ दिन बाद सरकार द्वारा हटा दिया गया और इसी कारण हम अनिश्चित धरने पर बैठे हुए हैं।” उन्होंने आगे यह भी कहा कि “एक तरफ सरकार कह रही है कि नौकरी दे रहे हैं और दूसरी तरफ नौकरी छीन रहे हैं। सरकार ने हमें बेरोजगार बना दिया है। आठ सौ लोगों को एक साथ नौकरी से बाहर निकाला है।”
वे सरकार पर “सुशासन के नाम पर अंग्रेजों जैसा शासन” चलाने का आरोप लगा रहे हैं। सरकार ने इन पदों पर नए सिरे से बहाली निकालने की घोषणा की है जिससे नाराज कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर और भी मुखर हो गए हैं।
लगातार आंदोलन कर रहे हैं कर्मी
विशेष सर्वेक्षण अमीन पिछले कई हफ्तों से पटना के गर्दनीबाग मैदान में धरने पर बैठे थे। उनका आरोप है कि सरकार बार-बार आश्वासन देती है लेकिन स्थायीकरण पर ठोस निर्णय नहीं ले रही।
क्या है पूरा मामला
बता दें बिहार सरकार ने 16 अगस्त से बिहार में महासर्वे अभियान चलाया था। इस दौरान पहले से भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग में काम कर रहे सर्वे कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे। बिहार सरकार ने फरमान जारी कर 30 अगस्त तक उन्हें काम पर लौटने को कहा, लेकिन कर्मचारी नहीं लौटे तो 3 सितंबर को लगभग 7000 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया गया। इसके बाद से सभी कर्मचारी लगातार गर्दनीबाग धरनास्थल पर धरना दे रहे थे।
संविदा कर्मियों की मांग
नियमितीकरण (स्थायीकरण) — वे चाहते हैं कि उनकी नौकरी को सिर्फ अस्थायी संविदा आधार पर न रखा जाए, बल्कि उन्हें स्थायी कर्मचारी बनाया जाए।
बकाया वेतन नहीं मिला — हालांकि इस particular खबर में सीधे “बकाया वेतन” शब्द नहीं आयी है, पर ये भी उनके निरंतर संघर्ष का हिस्सा है कि उनकी सेवा का भुगतान ठहर कर पूरा हो।
सरकार से ठोस निर्णय — उनका आरोप है कि सरकार ने उन्हें कई बार आश्वासन दिया है, लेकिन अभी तक कोई स्पष्ट व ठोस फैसला नहीं हुआ है।
इसके अलावा, सभी विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को ईएसआईसी (ESIC) कार्ड उपलब्ध कराया जाए, साथ ही ईपीएफओ (EPFO) में सरकार की तरफ से अंशदान प्रदान किया जाए। वेतन वृद्धि पर विचार हो, समकक्ष योग्यता वाले विभिन्न विभाग के कर्मियों की तरह वेतनमान किया जाए। विशेष सर्वेक्षण कर्मी को क्रमश: सहायक अभियंता असैनिक, कनीय अभियंता असैनिक, उच्च वर्गीय लिपिक पद पर नियमित नियुक्ति में प्रतिवर्ष कार्य के लिए पांच अंक की अधिमान्यता दी जाए।
सरकार की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर विभाग का कहना है कि जब बिहार में बड़ा सर्वे अभियान चला, तब इन संविदा कर्मियों ने साथ नहीं दिया। ये लोग अस्थायी तौर पर रखे गए थे और अब उनकी अवधि खत्म हो गई है। इसलिए विभाग ने कहा है कि इन्हें दोबारा नौकरी पर नहीं रखा जाएगा। फिलहाल पटना पुलिस ने लाठी चार्ज कर भीड़ को अलग किया है। बीजेपी कार्यालय के बाहर भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गयी। लाठीचार्ज के बाद से घटनास्थल पर माहौल गर्म है। उधर संविदा कर्मियों का कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गई तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे।
अगर देखा जाए तो अब देश में ये सिर्फ एक दिन की बात नहीं रह गई है बल्कि देशभर में छात्र और शिक्षक अपने हक़ के लिए लड़ रहे हैं और हर बार सत्ता की ताकत उनके सपनों को कुचलने की कोशिश करती है। बता दें कि चुनावी वर्ष में एक तरफ जहां सरकार लाखों रोजगार देने का वादा कर रही है, लाखों रोजगार अब तक दिए गए यह दावा कर रही है तो दूसरी तरफ इन्हीं मुद्दों पर सरकार की घेराबंदी भी हो रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इनकी मांगों पर क्या विचार करती है।
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