खबर लहरिया Blog Bihar / Patna News : पटना जिले के सोना गोपालपुर में लटकते बिजली तारों ने बढ़ाया डर

Bihar / Patna News : पटना जिले के सोना गोपालपुर में लटकते बिजली तारों ने बढ़ाया डर

बिहार में कहने को तो बिजली घर घर तक पहुंचा दी गई है, लेकिन बिजली के तार गलियों सड़कों के बाहर लटके हुए हैं। इसकी वजह से लोगों पर कब बिजली का तार टूट कर गिर जाए कुछ पता नहीं। इसी तरह की आँखों देखी समस्या पटना जिले के संपतचक ब्लॉक के वार्ड नंबर 19 (सोना गोपालपुर) में बिजली व्यवस्था की गंभीर लापरवाही सामने आई है। यहां की आबादी लगभग ढाई हजार है। आज भी देश का विकास यहां बिजली के तारों में उलझा हुआ नज़र आता है।

गली में उलझी हुई बिजली की तार (फोटो साभार : सुमन)

रिपोर्ट – सुमन, लेखन – सुचित्रा 

यहाँ लगे पुराने ट्रांसफॉर्मर और बेढंगे तरीके से फैले तार लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं। गली इतनी पतली है कि कई जगह लोगों को तारों से बचकर झुककर निकलना पड़ता है। कहीं तार बसों पर टिके हैं, तो कहीं लोहे के पाइप में करंट उतर चुका है यह स्थिति किसी भी बड़े हादसे को न्योता देने के लिए काफी है।

घरों में स्मार्ट मीटर, लेकिन बाहर लटकती तारों का क्या

बिहार में अब हर घर में स्मार्ट मीटर लगाने के आदेश दिए गए हैं ताकि बिजली चोरी पर रोक और लोगों को बेहतर बिजली का लाभ मिल सके। लेकिन सवाल यह है कि जब गलियों में लटकते तारों का कोई समाधान नहीं किया गया तो ये घरों में चमकते स्मार्ट मीटर लगाने का क्या मतलब? स्मार्ट मीटर लगने से भी लोग खुश नहीं है क्योंकि इससे लोगों की दिक्क़ते और बढ़ गई हैं। खबर लहरिया द्वारा रिपोर्ट की गई वीडियो में आप लोगों के दर्द को करीब से महसूस कर सकते हैं।

 

पुराना ट्रांसफार्मर, उलझी तारें

पटना जिला के संपतचक ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला वार्ड संख्या 19, जो नगर निगम क्षेत्र में शामिल है, गंभीर बिजली समस्या से जूझ रहा है। यहां के लोगों ने बताया कि वार्ड 19 में लगा ट्रांसफॉर्मर काफी पुराना हो चुका है। इसके आसपास बड़ी संख्या में तार अव्यवस्थित तरीके से लटके हुए हैं, कुछ तार लोगों के घरों तक बिजली पहुँचाने के लिए हैं, जबकि कई तार समझ से परे स्थिति में बेकार पड़े हुए हैं। इन तारों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है कि कौन-सा तार उपयोग में है और कौन-सा तार बेकार है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि कुछ तार पास ही खड़ी बस पर लटके हुए हैं, जबकि कई तार जमीन से मात्र 6 फीट की ऊँचाई पर झुके हुए हैं। स्थिति यह है कि लोगों को उन तारों के नीचे से गुजरने के लिए झुकना पड़ रहा है।

गाँव के निवासी मंटू कुमार बताते हैं कि जिस स्थान पर ट्रांसफॉर्मर लगा हुआ है, उसे स्थानीय लोग शोभा मोड़ के नाम से जानते हैं। यह ट्रांसफॉर्मर लगभग 1990 के आसपास लगाया गया था। उस समय गाँव में न तो इतनी बस्ती थी और न ही इतना विकास हुआ था। लेकिन समय के साथ जनसंख्या बढ़ी, घर बसने लगे और बिजली की आवश्यकता भी बढ़ी। परिणामस्वरूप ट्रांसफॉर्मर के आसपास तारों का बड़ा गुच्छा इकट्ठा हो गया है।

उनका कहना है कि पूरे क्षेत्र की बिजली इसी एक ट्रांसफॉर्मर से निकलती है। लोग जब भी अपने घर में बिजली कनेक्शन लेते हैं, तो उनका तार इसी जगह पर जोड़ दिया जाता है। कई बार जब किसी घर की बिजली खराब हो जाती है, तो यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि कौन-सा तार किसका है और कौन-सा तार खराब है। ऐसे में लोग दूसरा तार जोड़ देते हैं, जिससे वहाँ बेहद अव्यवस्थित और खतरनाक तरीके से कई तार जमा होते चले गए हैं।

अधिक ट्रांसफॉर्मर की मांग

मंटू कुमार बताते हैं कि यहाँ एक दूसरा ट्रांसफॉर्मर अवश्य लगाया जाना चाहिए ताकि लोड कम हो सके और लोगों की समस्या भी दूर हो। साथ ही वे यह भी मांग करते हैं कि पास में लगा हुआ पुराना पोल हटाकर उसकी जगह सीमेंट या लोहे का नया मजबूत पोल लगाया जाए, ताकि दुर्घटना की आशंका कम हो सके।

बिजली की तार से जानवरों की मौत

गाँव के निवासी शशि सिंह बताते हैं कि इस क्षेत्र में बिजली विभाग की लापरवाही के कारण अब तक कई जानवर अपनी जान गंवा चुके हैं। हाल ही में कुछ दिनों पहले ही एक बकरी की मौत हो गई। इस पतली गली के पास से पानी की एक लोहे की पाइपलाइन गुजरती है, जिसमें अक्सर करंट दौड़ जाता है। बकरी जब पास में पत्ता खाने गई, तो पाइप में करंट आने के कारण उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
कुछ साल पहले भी यहाँ एक भैंस की मौत हो चुकी है। छह फीट की ऊँचाई पर लटका हुआ तार अचानक नीचे गिर गया था, जिसके कारण पास में रहने वाले एक व्यक्ति की भैंस करंट की चपेट में आ गई थी। उस समय भी विभाग को सूचना दी गई थी, लेकिन फिर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया।

कई बार की शिकायत, कोई कार्रवाई नहीं

शशि सिंह का कहना है कि ऐसा नहीं है कि गाँव वाले अपनी समस्याएँ विभाग तक नहीं पहुँचाते। यह क्षेत्र नगर निगम में आता है और बिजली विभाग का ऑफिस भी यहाँ से ज्यादा दूर नहीं है। लोग अक्सर वहीं जाकर शिकायत दर्ज कराते हैं। लेकिन मुख्य बिजली विभाग पुनपुन में स्थित है, और उससे ऊपर का बड़ा कार्यालय मसौढ़ी में है। अगर किसी बड़ी समस्या की जानकारी देनी हो तो उन्हें मसौढ़ी जाना पड़ता है, पर रोजमर्रा की व्यस्तताओं के कारण वहाँ जाना सम्भव नहीं हो पाता।
उन्होंने बताया कि इस समस्या को लेकर वे दो बार नगर निगम में आवेदन (एप्लीकेशन) जमा कर चुके हैं, ताकि समाधान निकले। लेकिन कोई कार्रवाई न होती देख अब ग्रामीणों ने उम्मीद छोड़ दी है।

बिजली की तारों से स्कूल के बच्चों पर खतरा

सोनू देवी बताती हैं कि सुबह स्कूल जाने के समय सबसे ज़्यादा खतरा रहता है, क्योंकि रास्ता बहुत संकरा है और कई बार दीवारों व पोल में करंट आ जाता है। बच्चे शरारत में दीवार छू न लें, इस डर से अक्सर कोई न कोई उन्हें छोड़ने आता है। जब कोई नहीं होता, तो वे खुद दुकान छोड़कर खड़ी रहती हैं। उनकी दुकान के ऊपर भी तारों का जाल है। वे कहती हैं कि पहले नया पोल लगाने की कोशिश हुई थी, लेकिन जमीन के विवाद के कारण नहीं लग पाया। सरकार और विभाग को सुरक्षित मोटे तार और नए पोल की व्यवस्था तुरंत करनी चाहिए।

स्कूल से आ रहे बच्चों की तस्वीर (फोटो साभार : सुमन)

रेणु कुमारी कहती हैं कि गाँव और विभाग दोनों ही अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे। खुले और नीचे लटके तारों के कारण रोज़ खतरा बना रहता है। पास में खड़ा बांस भी लोगों ने तार गिरने से रोकने के लिए लगाई है। पूरे मोहल्ले में मोटे और सुरक्षित तार कहीं नहीं लगे हैं। विभाग पास में होते हुए भी कभी जांच नहीं करता। वे कहती हैं कि यदि एक जगह पोल लगाने में दिक्कत है तो विभाग दूसरी जगह लगाकर व्यवस्था सुधार सकता है। यह समस्या पूरे वार्ड में फैली हुई है और सरकार को जल्दी कोई कदम उठाने चाहिए।

गली में बांस के सहारे लटकी बिजली की तार (फोटो साभार : सुमन)

बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप

धीरज कुमार, जो लगभग 25 वर्ष के एक युवा हैं, बताते हैं कि यहाँ नए पोल तथा एक अतिरिक्त ट्रांसफॉर्मर की अत्यंत आवश्यकता है। वे कहते हैं कि “यहाँ पोल और ट्रांसफॉर्मर की जरूरत 2030 नहीं, अभी तुरंत है।”
धीरज कहते हैं कि यदि सरकार बड़ी वायरलेस/मॉडल लाइन (मोटे और सुरक्षित तार) इस नगर निगम क्षेत्र में भी बिछवा दे, जो अधिकांश जगहों पर पहले ही बिछ चुकी है तो वार्ड नंबर 19 की सारी समस्याएँ खत्म हो सकती हैं। उनका कहना है कि यहाँ अव्यवस्था के कारण कुछ लोगों ने चोरी से भी बिजली जोड़ रखी है और कई घरों में तारों की गड़बड़ी के कारण खतरा बना रहता है। वे मानते हैं कि यह जिम्मेदारी सरकार और विभाग की है कि हर घर तक सुरक्षित बिजली पहुँचे, लेकिन विभाग सही काम नहीं कर रहा।

धीरज कहते हैं कि मुख्यमंत्री बार-बार दावा करते हैं कि “हर घर तक बिजली पहुँचा दी”, लेकिन जमीन पर स्थिति यह है कि यहाँ बिजली की सुरक्षा और व्यवस्था बेहद खराब है। वे बताते हैं कि यहाँ का एक बिजलीकर्मी भी कई बार समस्या सुनकर कुछ नहीं करता। लोग समाचार पत्रों में भी मुद्दा उठाते हैं, लेकिन अधिकारियों पर कोई असर नहीं पड़ता।

वे विभाग के उस दावे को भी गलत बताते हैं कि “लोग पोल नहीं लगने देते।” धीरज कहते हैं कि यदि विभाग सही तरीके से काम करे, तो यहाँ के लोग पूरी तरह सहयोग करेंगे। धीरज बताते हैं कि इस क्षेत्र में 75% से 90% तक समय बिजली का खतरा बना रहता है। दिन में तो किसी तरह दिख जाता है, लेकिन रात में किसी भी समय दुर्घटना हो सकती है और किसी को पता भी नहीं चलेगा। लोग मजबूरी में इस वातावरण में रहने के आदि हो गए हैं। धीरज सरकार से तीन मुख्य मांगें रखते हैं—

एक और ट्रांसफॉर्मर इस क्षेत्र में स्थापित किया जाए।

नई मॉडल लाइन/मोटे तार पूरी गली में बिछाए जाएँ।

कम से कम 20–30 नए पोल लगाए जाएँ, ताकि तार व्यवस्थित और सुरक्षित रहें।

वे बताते हैं कि उनके घर से सिर्फ 10 मिनट की दूरी पर नगर परिषद है जहाँ छोटे बिजली विभाग के कर्मचारी बैठते हैं, लेकिन उनका काम केवल टूटे तार को जोड़ने या अस्थायी मरम्मत तक सीमित है।

बिजली विभाग की जवाबदेही

इस समस्या को लेकर खबर लहरिया की रिपोर्टर ने कॉल पर चन्द्रमणि कुमार निराला, सहायक विद्युत अभियंता (A.E.E), पुनपुन से बातचीत की।

उन्होंने बातचीत में कहा “आप जिस पतली गली और सोना गोपालपुर के इलाके की बात कर रही हैं, वहाँ हमारे विभाग का कर्मचारी राजेश रहता है। हाल ही में उस क्षेत्र में तार का काम चल रहा था। हमने उसे निर्देश दिया था कि वहाँ पोल और तार की व्यवस्था दुरुस्त करे, लेकिन उसका कहना था कि लोग पोल लगने नहीं दे रहे हैं, इसलिए काम रोक दिया गया।”

चन्द्रमणि कुमार निराला ने आगे कहा “अगर आप बता रही हैं कि लोगों को इतनी समस्या है और इतने पोल की आवश्यकता है, तो मैं एक बार फिर टीम भेजकर स्थिति की पुष्टि करवा सकता हूँ। यदि इस बार लोग पोल लगवाने में सहयोग करते हैं, तो हम काम को आगे बढ़ा देंगे। लेकिन यदि लोग पिछली बार की तरह फिर मना कर देते हैं, तो हम मजबूर होंगे—तब लोगों को उसी हालत में रहना पड़ेगा। इसमें विभाग की गलती नहीं होगी।”

ट्रांसफॉर्मर और अधिक संख्या में पोल लगाने के बारे में उन्होंने कहा “इस पर मैं अभी कोई निश्चित जवाब नहीं दे सकता। यह एक जांच का विषय है और इसे देखकर ही आगे का निर्णय लिया जा सकेगा।”

बिहार में अधिकतर गांव, गलियां ऐसी नज़र आ जाएँगी जहां आसमान में लटकती बिजली की तार हो लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सरकार का “हर घर बिजली” का वादा सिर्फ कागज पर सीमित है? जब बिजली की व्यवस्था की हालत इतनी उलझी हुई है तो यह सुविधा कैसे पूरी मानी जा रही है? क्यों वर्षों से जमा तारों और खराब पोलों की जांच नहीं की गई?

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *