खबर लहरिया Blog Bihar Flood: बिहार में बाढ़ का प्रभाव, 6 ग्राम पंचायत के गांव डूबे

Bihar Flood: बिहार में बाढ़ का प्रभाव, 6 ग्राम पंचायत के गांव डूबे

विजयन्ती देवी जिनकी उम्र 65 साल है। उन्होंने बताया कि “14 सितंबर को हमारे गांव में पानी इतना आ गया था कि हमारे घर पानी में बह गए। मेरे परिवार में चार बेटे और सभी बेटों के घर पानी में है। 2 दिन तक उसे पानी में हम लोगों ने एक मचान बनाकर के जैसे-तैसे गुजारे। वहां की एक मुखिया ने उनको खाने के लिए दही और चूड़ा दिया जिससे उनका दो दिन गुजरे। किसी तरह की व्यवस्था कर जब उनके गांव में नाव आई तब हमने 1000 रुपए देकर के एक परिवार के साथ में नदी पार की। यहां बलदेव इंटर विद्यालय में शरण ली हालांकि सरकार ने पूरी व्यवस्था करवाई है।

6 Gram panchayat villages submerged in Bihar flood

                                                                                         बाढ़ प्रभावित लोगों व जनावरों के रहने के लिए बनाया गया राहत शिविर ( फोटो साभार: सुमन/ खबर लहरिया)

रिपोर्ट – सुमन 

बिहार में कई दिनों से लगातार बारिश होने से गंगा और बाकी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। जलस्तर बढ़ने से बिहार के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, बाढ़ से अब तक 10 लोगों की मौत भी हो चुकी है। बाढ़ के पानी में भागलपुर में 4, लखीसराय में 1 और बेगुसराय में 1 की मौत गंगा के पानी में डूबने तथा खगड़िया में भी गंगा नदी की उफनती धारा में एक बच्चा डूबने की खबर सामने आई। पटना जिले के दानापुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गांव दाना गंगा में करीबन दर्जनों गांव बसे हुए थे। बाढ़ का पानी 6 ग्राम पंचायत में घुस आया। जिसके नाम हैं पतला पूरा, काशिमा चक, गंग हारा मानस,हेतनपुर ,पानापुरा। गांव में पानी इतना भर गया है कि आवाजाही के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। बाढ़ से प्रभावित लोग ऐसी स्थिति में संघर्ष कर रहे हैं।

बड़ा कासिम चक गांव के किसानों की आपबीती

                                                                  बलदेव इंटर विद्यालय, दानपुर कैंट में एक साथ रह रही महिलाओं और बच्चों की तस्वीर (फोटो साभार:सुमन/ खबर लहरिया)

बड़ा कासिम चक के रहने वाले गणेश राय जोकि काफी बुजुर्ग हैं। वे बताते हैं कि उनकी उम्र इस गांव में रहते रहते बीत गई। सन 2021 में बाढ़ आई थी। इस बार बाढ़ से हमारे गांव में जब पानी आने लगा था, तो हम लोग तभी से अपने लिए सुविधा करने लगे थे। पानी इतना बढ़ गया कि मजबूरन हम लोगों को अपने परिवार और जानवरों के साथ स्कूल में आकर रहना पड़ रहा हैं। यहां पर करीब 400 के आसपास लोग आए हुए हैं। हमारे गांव में 80% लोग किसानी करते हैं और किसानों की खेती इस पानी में बह गई जिसको देखकर के हमें बड़ा दुख हो रहा है। सरकार भी उस पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।”

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नाव की समस्या

विजय कुमार बताते हैं कि गांव में नाव चलने लगी है। लोग नाव के सहारे से अपने घरों में जा रहे हैं। गांव के अंदर ही बहुत डर बना हुआ है। जब उनके गांव में पानी आया, इतनी अच्छी व्यवस्था नहीं थी कि वह वहां पर रह पाए। अपने परिवार और जानवरों को अकेले कैसे छोड़ देते इसलिए हमारे साथ ही रहे इसलिए उन्हें भी नाव में साथ बैठाकर ले आए। एक जानवर के लिए नाव वालों ने 500 रुपए का रेट तय किया और फिर उन्होंने जानवरों को पार किया। परिवार और सामान लेकर के आए तो उसमें 1000 रुपए देने पड़े। यह वही लोग हैं जिनके पास अच्छी व्यवस्था नहीं है, न रहने की और न खाने की। कुछ लोगों के घर भी गिर चुके हैं।

बलदेव इंटर विद्यालय दानपुर कैंट में रह रही महिलाएं

                                                                                बलदेव इंटर विद्यालय की तस्वीर जहां बाढ़ से प्रभावित लोगों के रहने के लिए व्यवस्था की गई है (फोटो साभार: सुमन/ खबर लहरिया)

विजयन्ती देवी जिनकी उम्र 65 साल है। उन्होंने बताया कि “14 सितंबर को हमारे गांव में पानी इतना आ गया था कि हमारे घर पानी में बह गए। मेरे परिवार में चार बेटे और सभी बेटों के घर पानी में है। 2 दिन तक उसे पानी में हम लोगों ने एक मचान बनाकर के जैसे-तैसे गुजारे। वहां की एक मुखिया ने उनको खाने के लिए दही और चूड़ा दिया जिससे उनका दो दिन गुजरे। किसी तरह की व्यवस्था कर जब उनके गांव में नाव आई तब हमने 1000 रुपए देकर के एक परिवार के साथ में नदी पार की। यहां बलदेव इंटर विद्यालय में शरण ली हालांकि सरकार ने पूरी व्यवस्था करवाई है। हम महिलाओं के लिए स्कूल के कमरों में रहने की व्यवस्था करवा दी है और स्कूल का ही बाथरूम इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है। पानी के लिए एक टैंकर लगवा दिए। व्यवस्था बहुत अच्छी है लेकिन खाना दो बार मिलता है जो हम लोगों के लिए काफी दिक्कत वाली बात है।”

दो वक्त का मिल रहा खाना

गंगिया और काजल महिलाएं जो आपस में खड़े होकर के बात कर रही थी। उन्होंने बताया कि खाने को लेकर के काफी तरह की दिक्कतें होती हैं पहले तो खाने का नियम सही नहीं है, खाना तीन समय देना चाहिए तो दो समय देते हैं। हर समय बस चावल ही दिया जा रहा है। सुबह से हम लोग भूखे रहते हैं, दोपहर को 1:00 बजे दाल या सब्जी चावल मिलता है और रात को 9:00 बजे चावल मिलता है जिसके चलते हमारे बच्चे भूखे रहते हैं। हमारे पुरुषों को कोई काम भी नहीं मिल रहा है वह भी बेरोजगार हो गए ऐसे में कहाँ जायेंगे। हम लोग खेती-बाड़ी करने वाले व्यक्ति हैं या छोटा-मोटा कोई काम मिल जाता है तो वही कर लेते हैं लेकिन अभी तो सब कुछ बंद है। हम सरकार के ही भरोसे हैं। सरकार भी ऐसी है कि क्या ही कर सकते हैं? इतना टाइम हो गया है अभी तक किसी भी व्यक्ति से मिलने नहीं आए लेकिन जब वोट के समय आता है तो हर किसी के दरवाजे जाते हैं। उनके ही ग्राम पंचायत के व्यक्ति कितनी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं और उनसे मिलने तक नहीं आए और ना ही किसी तरह की कोई सहायता की प्रशासन ने व्यवस्था कर रखी है।”

विनोद कुमार कहते हैं कि, “गांव के बहुत सारे जानवर यहां पर हैं लेकिन जानवरों का जो खाना दिया जाता है पूरे दिन में सिर्फ 4 किलो दिया जाता है। जानवरों के लिए इतना खाना पर्याप्त नहीं है उनका पेट भर नहीं भर पाता। हमारे जानवर काफी कमजोर होते जा रहे हैं। अगर हम शिकायत करते हैं तो वह कहते हैं कि नहीं इतने से काम चलाओ। यहां पंडाल लगा दिया है कुर्सियां रख दी गई है और कुछ-कुछ गद्दे भी रख दिए गए हैं जिस पर हम लोग आराम कर सकते हैं।”

राहत शिविर में देखरेख की सुविधा

आपदा प्रबंधन प्रशासन सी आई के द्वारा दो कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। उनका नाम रोहित और इरफान है जोकि राजस्व कर्मचारी है। उनको पूरी देखरेख की बागडोर दे दी गई है। मौके पर मौजूद राजकुमार जोकि हिट लाल यादव विधायक के कार्यकर्ता हैं। उन्होंने बताया कि वह खाने-पीने का पूरा ध्यान रख रहे हैं और बीच-बीच में अधिकारी लोग आते रहते हैं।

प्रशासन का कहना

राजस्व कर्मचारी इरफान बताते हैं कि लगभग 6 गांव 6 पंचायत में पानी चला गया है जिसमें काफी हद तक पानी है। गांव के अंदर नाव की सुविधा भी दी जा रही है जिससे लोगों को लाया जा रहा है। यहां पर लगभग 600 व्यक्ति और डेढ़ से 200 के बीच जानवरों को रखने की व्यवस्था रखी गई है और सभी के लिए हम लोग समय-समय पर खाना और पानी की व्यवस्था कर रहे हैं। मेडिकल के लिए पास में ही अस्पताल है तो वहां से डॉक्टर आते रहते हैं। यह देखने के लिए कि कोई समस्या तो नहीं है। प्रशासन पूरी तरह से अपने कामों में लगा हुआ है और आगे भी इसी तरह मदद करता रहेगा। बाढ़ प्रभावित गांव घोषित नहीं हुए हैं इसके लिए अभी प्रक्रिया चल रही है।

 

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