बिहार में निर्वाचन आयोग द्वारा वोटर आईडी कार्ड में संशोधन की प्रक्रिया ने ग्रामीण इलाकों, खासकर महिलाओं के बीच गहरी चिंता और असमंजस पैदा कर दिया है। खगड़िया जिले के मथुरा दी गांव में रहने वाली महिलाओं का कहना है कि वे हमेशा से वहां रह रही हैं और लगातार वोट देती रही हैं, फिर भी उनसे बार-बार प्रमाण मांगे जा रहे हैं। 2003 से पहले बने वोटर कार्ड को ही मान्य मानकर बाकी सबकी नागरिकता पर सवाल उठाया जा रहा है। महिलाओं को यह भी समझ नहीं आ रहा कि आधार कार्ड, वोटर कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज़ आखिर क्यों मांगे जा रहे हैं – और जो बाहर काम करने गए लोग हैं, उनका क्या होगा? ग्रामीणों को डर है कि अगर नाम वोटर लिस्ट से हट गया तो क्या उनका नागरिक अधिकार भी खत्म हो जाएगा? यह प्रक्रिया कहीं न कहीं आम जनता के अधिकारों को चुनौती देती नजर आ रही है।
ये भी देखें –
अयोध्या और बांदा में वोटर लिस्ट से गायब लोगों के नाम | Lok Sabha Election 2024
यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’
If you want to support our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our premium product KL Hatke