खबर लहरिया Blog Bihar Election: चुनाव आयोग ने बिहार मतदाता सूची में पुनरीक्षण के लिए आधार कार्ड को शामिल करने से किया मना

Bihar Election: चुनाव आयोग ने बिहार मतदाता सूची में पुनरीक्षण के लिए आधार कार्ड को शामिल करने से किया मना

चुनाव आयोग ने बिहार मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण / Special Intensive Revision (एसआईआर) के लिए आधार कार्ड (Aadhaar), मतदाता पहचान पत्र (voter ID) और राशन कार्ड (ration card) को शामिल करने से मना कर दिया है। कल सोमवार 21 जुलाई को अदालत में दायर जवाबी हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा कि आधार न तो गणना फॉर्म में दिए गए 11 दस्तावेजों की सूची में शामिल है और न ही यह नागरिकता का प्रमाण है।

बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रकिया की सांकेतिक तस्वीर (फोटो साभार: द हिन्दू)

इससे पहले 10 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को आधार (Aadhaar) , मतदाता पहचान पत्र (voter ID) और राशन कार्ड (ration card) को ध्यान में रखते हुए प्रकिया करने का सुझाव दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनाव आयोग 21 जुलाई तक जवाबी हलफनामा दाखिल कर सकता है और मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी। भारत के निर्वाचन आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय को आश्वासन दिया है कि यदि कोई व्यक्ति पंजीकरण के लिए अयोग्य पाया जाता है तो इससे उसकी नागरिकता खत्म नहीं होगी।

बिहार में मतदाता सूची में संसोधन करने की प्रक्रिया तेज हो गई है, क्योंकि चुनाव आयोग (Election Commission) ने 25 जुलाई तक सारे गणना फॉर्म जमा करने का आदेश दिया है। मतदाता सूची में पुनरीक्षण को लेकर राजनीति में और विपक्ष में भी काफी विवाद चल रहा है। बिहार में ग्रामीण स्तर पर भी कई लोगों को दस्तावेज जुटाने में दिक्कते आ रही हैं। विपक्ष ने भी आरोप लगाए हैं कि कई मतदाताओं के नाम को मतदाता सूची से हटाने के लिए विधानसभा चुनाव से पहले इस प्रक्रिया को किया जा रहा है।

चुनाव आयोग द्वारा आधार कार्ड न शामिल करने का कारण

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार चुनाव आयोग (Election Commission) ने इस फैसले पर कहा कि यह निर्धारित करना उसका “संवैधानिक अधिकार” है कि मतदाताओं द्वारा नागरिकता की आवश्यकता पूरी की जाती है या नहीं, लेकिन मतदाता के रूप में अयोग्य पाए जाने पर किसी व्यक्ति की नागरिकता समाप्त नहीं होगी।

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाबी हलफनामे में कहा कि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है और इस बात को कई उच्च न्यायालयों ने भी माना है। चुनाव आयोग ने कहा कि गणना फॉर्म में दिए गए 11 दस्तावेज़ों की सूची में आधार कार्ड शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि यह अनुच्छेद 326 के तहत पात्रता की जाँच में मददगार साबित नहीं होता।

चुनाव आयोग द्वारा राशन कार्ड न शामिल करने का कारण

राशन कार्ड को शमिल न करने पर चुनाव आयोग ने कहा कि यह बात सामने कि बड़े पैमाने पर फ़र्ज़ी राशन कार्ड जारी किए गए हैं। चुनाव आयोग ने 7 मार्च को सरकार द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का उदाहरण भी दिया कि केंद्र ने 5 करोड़ से ज़्यादा फ़र्ज़ी राशन कार्ड धारकों को हटा दिया है।

चुनाव आयोग द्वारा पहचान पत्र / मतदाता कार्ड न शामिल करने का कारण

मतदाता कार्ड के बारे में चुनाव आयोग ने कहा “ईपीआईसी (मतदाता फोटो पहचान पत्र) यह सिर्फ मतदाता सूची की वर्तमान स्थिति को बताता है और मतदाता सूची में शामिल होने के लिए पूर्व पात्रता स्थापित नहीं करता है।”

आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची पुर्नरीक्षण की जाँच में गणना फॉर्म के लिए 11 दस्तावेज का होना अनिवार्य बताया था। ये 11 दस्तावेज इस प्रकार हैं।

– 1 जुलाई 1987 से पहले जारी सरकारी दस्तावेज

– जन्म प्रमाणपत्र

– पासपोर्ट

– शैक्षणिक प्रमाणपत्र

– स्थायी निवास प्रमाणपत्र

– वन अधिकार प्रमाणपत्र

– जाति प्रमाणपत्र (SC/ST/OBC

– राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC)

– पारिवारिक रजिस्टर

– सरकारी जमीन या मकान आवंटन प्रमाणपत्र

बिहार में ये कागजात होना लोगों के पास मुश्किल हैं इसलिए विपक्षी दलों कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, झामुमो, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) के नेताओं ने चुनाव आयोग के खिलाफ याचिकाएं दायर की थी।

बिहार के लोगों में इस बार वोटर लिस्ट से अपना नाम हटने की चिंता बनी हुई है। उनमें डर है कि इस बार वो वोट नहीं दे पाएंगे और साथ ही कई सरकारी योजनाओं से वंचित हो जायँगे। उनमें से अधिकतर लोगों को इस प्रक्रिया के बारे में सही से जानकारी भी नहीं है। मीडिया रिपोर्ट में ये भी सामने आ रहा है कि गणना फॉर्म भरने में कथित रूप से गड़बड़ी भी की जा रही है। ये सोचने वाली बात है कि चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची पुनरीक्षण में किए गए संसोधन का फैसला इतनी जल्दी कैसे पूरा होगा? क्या चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों पर आंख बंदकर के भरोसा किया जा सकता है? क्या गारंटी है कि सच में ये सब सिर्फ मतदाता सूची में फेरबदल करने का बस एक राजनीतिक खेल है।

 

यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *