खबर लहरिया Blog Bihar Election 2025 : मोकामा में जन सुराज समर्थक और सिवान में एएसआई की बेरहमी से हत्या

Bihar Election 2025 : मोकामा में जन सुराज समर्थक और सिवान में एएसआई की बेरहमी से हत्या

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मोकामा में जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जबकि सिवान में एक एएसआई की गला रेतकर हत्या हुई। इन घटनाओं ने बिहार में कानून-व्यवस्था और बाहुबली राजनीति पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जन सुराज समर्थक दुलारचंद, राष्ट्रीय जनता दल के सूरजभान सिंह और जनता दल यूनाइटेड पार्टी के अनंत सिंह की तस्वीर (फोटो साभार : सोशल मीडिया)

लेखन – गीता 

दुलारचंद यादव, जो कभी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के करीबी हुआ करते थे और मोकामा क्षेत्र के बाहुबली माने जाते थे। वह 30 अक्टूबर को पियूष प्रियदर्शी के चुनावी प्रचार में निकले थे। इसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई।

SDPO अभिषेक सिंह ने बताया, “पुलिस को सूचना मिली थी कि टाल क्षेत्र में 2 पार्टियों का काफिला जा रहा था। किसी बात को लेकर एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष पर गोली मारने और गाड़ी चढ़ाने का आरोप लगाया जा रहा है। FIR दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। FSL टीम को सूचित कर दिया गया है। टीम जांच करेगी…”

मोकामा में जेडीयू और जन सुराज प्रत्याशी के बीच कड़ी टक्कर

दुलारचंद यादव के समर्थकों ने इस हत्या के लिए जेडीयू प्रत्याशी और बाहुबली नेता अनंत सिंह के समर्थकों पर आरोप लगाया है। हालांकि पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। मोकामा में इस बार चुनावी मुकाबला दो बाहुबलियों और एक नए प्रत्याशी जन सुराज पार्टी के पियूष प्रियदर्शी के बीच है। जेडीयू के अनंत सिंह, और आरजेडी के सूरजभान सिंह इस क्षेत्र के बाहुबली रहे हैं। इतना ही नहीं अनंत सिंह 2005 से लगातार मोकामा सीट से जीतते आ रहे हैं।

दुलारचंद यादव की हत्या के बाद आरोप

समाचार पत्रों से मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय लोगों के मुताबिक, चुनाव मतदान में कुछ ही समय बचा है। इस लिए चुनाव प्रचार -प्रसार जोरों पर चल रहा है और चुनाव प्रचार के लिए जा रहे काफिले के दौरान ही अचानक गोलीबारी शुरू हो गई। आरोप है कि कथित तौर पर अनंत सिंह के समर्थकों ने ही दुलार चंद्र यादव को निशाना बनाया है। पहले उन्हें गोली मारी गई और फिर गाड़ी से कुचल दिया गया। गोली लगने से मौके पर ही उनकी मौत हो गई थी।

घटना के बाद से इलाके में तनाव फैल गया। गुस्साए समर्थकों ने सड़क भी जाम किया था और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की थी। जिसको पुलिस ने बड़ी मुश्किल से काबू किया है। एफआईआर भी दर्ज हो गई है, जिसमें परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने अनंत सिंह और उनके पांच समर्थकों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है। फिलहाल सभी आरोपी फरार बताए जा रहे हैं।

दुलारचंद यादव के परिवार का कहना है कि अनंत सिंह के लोगों ने गोली मारी। इसलिए उन्हें न्याय चाहिए और आरोपियों की गिरफ़्तारी तक वह पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार ना कराने पर अड़े।

जन सुराज प्रमुख पप्पू यादव तुरंत मोकामा पहुंचे और पीड़ित परिवार से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि बिहार में फिर से बाहुबलियों का राज लौट आया है। निर्दोष की सरेआम हत्या लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है।–ये लाइन मोकामा की है तो ऊपर वाले में ही लिख दीजिये। सिवान तो अलग मामला है। वहीं विपक्षी दलों ने इसे प्रशासनिक नाकामी बताया है।

वहीं राजद नेता तेजस्वी यादव ने कि “चुनाव में हिंसा की कोई जरूरत नहीं है ना कभी वह हिंसा के पक्षधर रहे हैं। अभी आचार संहिता चल रही है। चुनाव का समय है फिर भी कुछ लोग सरेआम बंदूक,गोली लेकर कैसे घूम रहे हैं।प्रधानमंत्री जी 30 साल पुरानी बात करते हैं, लेकिन 30 मिनट पहले क्या हुआ एक दरोगा को सिवान में गला रेत कर मार दिया गया और मोकामा में दुलारचंद यादव की हत्या कर दी गई तो यह क्या है?। किस प्रकृति के लोग बिहार को कब्जा किए हुए हैं, अब समझ में आ रहा है लोगों को और प्रधानमंत्री को आंख खोलकर यह चीज देखनी चाहिए। ये हार हर की बौखलाहट है,जो सबके सामने आ गई है। आचार संहिता लगने के बाद लोग बंदूक लेकर घूम रहे हैं तो यह कौन सा राज कहा जाएगा?। हार हर का डर है और बिहार की जनता इनको करारा जवाब देगी। कभी 200 राउंड गोलियां चलाते हैं पर कुछ नहीं होता कभी चुनाव के समय हत्या हो जाती हैं। अब समझ आया की शासन प्रशासन भी अपराधियों को संरक्षण देने के लिए बैठी हैं और अपनी कुर्सी बचाने के लिए।”

मोकामा हमेशा से बाहुबली राजनीति का गढ़ रहा है और इस घटना ने पुराने जंगलराज की याद ताजा कर दी है।

सिवान सीवान में ASI की हत्या

वहीं सिवान जिले में एएसआई (सहायक उप निरीक्षक) अनिरुद्ध कुमार की गला रेतकर बेरहमी से हत्या कर दी गई। उनका शव सिरसांव नवका टोला और सादपुर गांव के बीच खेत में बरामद हुआ। हाथ-पांव बंधे मिले, हत्या में कई लोगों के लोग शामिल होने की आशंका। स्थानीय लोगों ने जब शव देखा तो पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची टीम ने पाया कि एएसआई के हाथ-पांव बंधे थे और गला धारदार हथियार से काटा गया था।

प्राथमिक जांच में पुलिस का मानना है कि हत्या किसी निजी रंजिश या आपराधिक गिरोह से जुड़ी हो सकती है। लेकिन इन दोनों घटनाओं से गरमाई सियासत ने बिहार के चुनावी माहौल को हिला दिया है। मोकामा की घटना में सीधे चुनावी प्रतिद्वंद्विता का कारण जुड़ गया है, जबकि सिवान की हत्या ने कानून-व्यवस्था की पोल खोल दी है।
विपक्षी दल सरकार पर हमला बोल रहे हैं।

चुनाव से पहले बढ़ती हिंसा ने साफ कर दिया है कि राजनीतिक टकराव और अपराध का गठजोड़ अब भी खत्म नहीं हुआ है।अगर प्रशासन ने सख्ती नहीं दिखाई, तो आने वाले चुनावों में हालात और बिगड़ सकते हैं।

 

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