बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए प्रशांत किशोरकी पार्टी जन सुराज पार्टीका चुनावी निशान ‘स्कूल बैग’ दिया गया है
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की पार्टी जन सुराज पार्टी (Jan Suraaj Party) का चुनावी निशान ‘स्कूल बैग’ दिया गया है। इसकी जानकारी भारतीय निर्वाचन आयोग ने मंगलवार 24 जून 2025 को पार्टियों को चुनावी चिह्न देने से की। चुनाव चिह्न मिलने पर प्रशांत किशोर ने मीडिया से कहा कि यह चुनाव चिह्न उन्होंने मांगा था क्योंकि बिहार की गरीबी को हटाने का एक यही रास्ता है।
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होंगे। इसके लिए जन सुराज पार्टी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अब पार्टी को जीताने के लिए मतदाताओं को स्कूल बैग के निशान पर बटन दबाना होगा। सोशल मीडिया X पर पोस्ट करते हुए जन सुराज पार्टी ने पोस्ट किया की – “ग़रीबी से “बाहर निकलने का रस्ता, जन सुराज और स्कूल का बस्ता”
आगे लिखा कि बिहार की जनआकांक्षाओं के परिणित स्वरुप उभरे आपके अपने दल जन सुराज पार्टी को निर्वाचन आयोग द्वारा स्कूल का बस्ता चुनाव चिन्ह के तौर पर आवंटित किया गया है।
ग़रीबी से बाहर निकलने का रस्ता
जन सुराज और स्कूल का बस्ताबिहार की जनआकांक्षाओं के परिणित स्वरुप उभरे आपके अपने दल जन सुराज पार्टी को @ECISVEEP द्वारा स्कूल का बस्ता चुनाव चिन्ह के तौर पर आवंटित किया गया है। @PrashantKishor @jansuraajonline pic.twitter.com/C96dw7dNAt
— Jan Suraaj Overseas (@jan_overseas) June 25, 2025
“स्कूल बैग” चुनाव चिह्न मिला नहीं, माँगा
चुनाव चिह्न मिलने के बाद जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि स्कूल बैग मिला नहीं है स्कूल बैग माँगा है, क्योंकि बिहार से अशिक्षा को खत्म करने का रास्ता है स्कूल बैग, बिहार से बेरोजगारी खत्म करने का रास्ता है स्कूल बैग। लालू-नीतीश ने यहां के बच्चों की पीठ पर बोरा बाँधा है। जन सुराज यहां के बच्चों की पीठ पर स्कूल का बस्ता बांधना चाहता है।”
स्कूल बैग चुनाव चिह्न मिला नहीं है हमने मांगकर लिया है: प्रशांत किशोर#biharelection2025 #PrashantKishor #jansuraajparty #fbreelsfypシ゚viralfbreelsfypシ゚viral pic.twitter.com/i2TZI2ATMI
— Monu Kumar Singh (@singhmonumoni) June 26, 2025
प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी को 2 अक्टूबर 2024 को जनता के सामने लाया। इससे पहले उन्होंने बिहार में 3,000 किलोमीटर लंबी पदयात्रा की थी। यह पद यात्रा चंपारण से शुरू की गई थी क्योंकि यहीं से महात्मा गांधी ने देश में पहला सत्याग्रह शुरू किया था।
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