खबर लहरिया Blog Bihar Election 2025 : जन सुराज पार्टी की हार की पूरी जिम्मेदारी मेरी – प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, आज पार्टी का एक दिवसीय मौन व्रत

Bihar Election 2025 : जन सुराज पार्टी की हार की पूरी जिम्मेदारी मेरी – प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, आज पार्टी का एक दिवसीय मौन व्रत

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज पार्टी जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी और एक भी सीट नहीं जीत सकी। इसके ही सम्बन्ध में पार्टी के कार्यकर्ता और प्रशांत किशोर आज 20 नवंबर 2025 को जनता की उम्मीद न पूरा करने के लिए प्रायश्चित स्वरुप गांधी आश्रम, भितिहरवा में एक दिन का उपवास रखा है। इससे पहले 18 नवंबर 2025 को प्रशांत किशोर ने पाटलिपुत्र कैंप कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। हालांकि बाहर प्रशांत किशोर के राजनीति छोड़ने की खबर आ रही थी लेकिन कॉन्फ्रेंस से यह बात साफ़ हो गई।

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प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर की तस्वीर (फोटो साभार : सोशल मीडिया)

एक दिन का मौन उपवास

जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने मंगलवार 18 नवंबर 2025 को बिहार विधानसभा चुनावों में जन सुराज पार्टी की हार की पूरी ज़िम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह अभियान अपने वादे के मुताबिक “व्यवस्थागत बदलाव ” लाने में नाकाम रहा। उन्होंने कॉन्फ्रेंस में कहा था कि वह लोगों की उम्मीदों पर खरे न उतरने के “प्रायश्चित स्वरूप” 20 नवंबर को बिधर्व गांधी आश्रम में एक दिन का मौन व्रत रखेंगे। इसमें राज्य भर के पार्टी कार्यकर्ताओं को अपने-अपने स्थानों से इस अपनी इच्छा अनुसार (वैकल्पिक) सामूहिक उपवास में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।

 

“हार की पूरी जिम्मेदारी मेरी” – प्रशांत किशोर

बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी एक नई पार्टी के रूप में उभरी थी। कई रैलियां जिनमें पद यात्रा भी शामिल थी और रोजगार, शिक्षा जैसे मुद्दों पर बात की थी। यहां तक कि चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ने चुनाव चिन्ह ‘स्कूल बैग’ को चुना था। चुनाव चिह्न मिलने पर प्रशांत किशोर ने मीडिया से कहा था कि बिहार की गरीबी को हटाने का एक यही रास्ता है। इसके बावजूद भी बिहार विधानसभा चुनाव में 243 सीटों में से एक भी सीट नहीं जीत पाई।

इस हार की जिम्मेदारी जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने खुद ली। उन्होंने 18 नवंबर 2025 को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “तीन साल पहले हम व्यवस्था परिवर्तन के वादे के साथ बिहार आए थे। हमने ईमानदारी से कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुए। यह नाकामी पूरी तरह मेरी है। इसकी पूरी ज़िम्मेदारी मैं लेता हूं। हम बदलाव नहीं ला पाए, यहाँ तक कि सत्ता परिवर्तन भी नहीं। जनता ने हम पर भरोसा नहीं जताया, ग़लती हमारी सोच में है या फिर जिस तरह से हमने जनता तक पहुंचने की कोशिश की, उसमें है।”

 

जिन्होंने यह चुनाव जीता उन उम्मीदवारों को बधाई देते हुए कहा, “जनता ने अपना रास्ता और अपनी सरकार खुद चुनी है। हमारे लिए यह आत्मचिंतन का क्षण है। जिन लोगों की उम्मीदें हम पूरी नहीं कर पाए, उनसे मैं क्षमा याचना करता हूं।”

चुनाव जीतने पर एनडीए सरकार पर भी कई आरोप लगाए गए कि उन्होंने चुनाव से कुछ दिन पहले ही महिलाओं के खाते में दस-दस हज़ार रुपए डाले जिसका असर चुनाव परिणाम पर पड़ा। यह भी कहा गया कि बिहार के लोगों ने अपना वोट बेच दिया। इसी बात को ख़ारिज करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “लोग कह रहे हैं कि मतदाताओं ने 10,000 रुपये में अपना वोट बेच दिया। यह सच नहीं है, यहां के लोग अपना या अपने बच्चों का भविष्य नहीं बेचेंगे। अगर हिसाब लगाया जाए तो 10,000 रुपये का मतलब है 5.5 रुपये प्रतिदिन। इतनी मामूली रकम के लिए कौन अपना वोट बेचेगा? लेकिन इस पर बहस चल रही है।”

प्रशांत किशोर ने राजनीति छोड़ने का दिया जवाब

राजनीति से संन्यास लेने की ख़बरों को खारिज करते हुए किशोर ने अपनी स्थिति की तुलना महाभारत के पौराणिक अभिमन्यु से की। उन्होंने कहा, “हालांकि अभिमन्यु को घेरकर मार डाला गया था, फिर भी अंततः पांडवों की जीत हुई।” उन्होंने आगे कहा, “जो लोग यह मानते हैं कि मैं बिहार छोड़ दूंगा, वे ग़लत हैं। जब तक आप हार नहीं मान लेते, तब तक आप हारे नहीं हैं। हम पीछे नहीं हटेंगे। हम पिछले तीन सालों की तुलना में दोगुनी मेहनत करेंगे।”

https://x.com/jansuraajonline/status/1990707766969970975?s=20

10,000 रुपए देने को वोट खरीदने के समान बताया

प्रशांत किशोर ने बिहार में एनडीए सरकार की आलोचना की और आरोप लगाया कि विभिन्न आजीविका कार्यक्रमों के तहत चुनाव से पहले भारी मात्रा में जो पैसे दिए गए हैं वो “वोट खरीदने” के समान है। उन्होंने कहा, “देश के इतिहास में पहली बार किसी राज्य सरकार ने चुनाव से पहले लगभग ₹40,000 करोड़ खर्च किए या वादा किया।” उन्होंने आगे कहा, “हर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 60,000 से 62,000 महिलाओं को सरकार की स्व-रोज़गार योजना के तहत ₹10,000 दिए गए। साथ ही यह आश्वासन दिया गया कि अगर एनडीए सरकार सत्ता में वापस आती है तो उन्हें (महिलाओं) छह महीने के भीतर ₹2 लाख और मिलेंगे।”

एनडीए सरकार 2 लाख देने का वादा करे पूरा – प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने कहा कि जीविका दीदी, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं सहित सरकारी कर्मचारियों को पैसे बाँटने और संदेश पहुँचाने के लिए इस्तेमाल किया गया। उन्होंने कहा “इन नेटवर्कों के ज़रिए लगभग ₹29,000 करोड़ रुपये बाँटे गए। अगर यह पैसा सचमुच रोज़गार सृजन के लिए था, न कि सिर्फ़ वोट ख़रीदने के लिए, तो सरकार को अब उन सभी महिलाओं को, जिन्हें ₹10,000 मिले थे, ₹2 लाख देने का वादा पूरा करना चाहिए।”

प्रशांत किशोर ने कांफ्रेंस में चुनाव के दौरान चुनाव आयोग के कामकाज पर भी सवाल उठाए और कहा की “हम छोटी पार्टी हैं लेकिन विपक्षी पार्टियों को यह चर्चा करनी चाहिए कि मौजूदा आचार संहिता कितनी प्रभावी है। इस कांफ्रेंस से ये तो पता चल गया है कि प्रशांत किशोर राजनीति नहीं छोड़ रहे हैं। पार्टी भले ही कोई सीट न पायी हो मगर बिहार की राजनीति में इनका संघर्ष अभी कायम रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि “जब तक बिहार को सुधारने का संकल्प पूरा न कर लें, तब तक पीछे हटने का सवाल नहीं है।”

 

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