नीतीश के बयान पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने X पर उनकी टिप्पणी पर विरोधाभास जताते हुए लिखा, “पहले बिहार की बेटियां कपड़े ही नहीं, स्वाभिमान, स्वावलंबन और सम्मान भी पहनती थीं नीतीश कुमार जी। स्त्री परिधान वैज्ञानिक’ मत बनिए’! आप 𝐂𝐌 है 𝐖𝐨𝐦𝐞𝐧 𝐅𝐚𝐬𝐡𝐢𝐨𝐧 𝐃𝐞𝐬𝐢𝐠𝐧𝐞𝐫 नहीं।”
राजनेताओं द्वारा लैंगिक व असंवेदनशील टिप्पणी करना एक तरह का ट्रेंड व विचार बन गया है, जहां वह महिलाओं को हमेशा घेरे में रख सही और गलत का पाठ पढ़ाते हैं। यह राजनेता सिर्फ एक राज्य या क्षेत्र के नहीं होते, बल्कि वैश्विक तौर पर हर जगह देखे जा सकते हैं जो महिलाओं पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से पहले संकोच तक नहीं करते। इसका एक उदारहण है, हाल ही में बिहार के सीएम नीतीश कुमार द्वारा दिया गया बयान।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कुछ दिनों पहले अपनी प्रगति यात्रा के दौरान महिलाओं को लेकर कथित तौर पर ‘लैंगिक भेदभावपूर्व’ टिप्पणी की। उन्होंने दावा किया कि उनके सत्ता में आने के बाद दो दशकों में महिलाओं के पहनावे में सुधार हुआ है। कहा, “लड़कियां पहले कपड़े नहीं पहनती थीं,अब कितना बढ़िया हो गया है, कपड़ा भी अच्छा पहनती हैं, बोलतीं भी बढ़िया हैं” – यह बयान उन्होंने शनिवार,18 जनवरी 2025 को बेगूसराय में अपनी यात्रा के दौरान जीविका दीदियों से साथ बातचीत करते हुए दिया।
“स्त्री परिधान वैज्ञानिक’ मत बनिए’!” – तेजस्वी यादव
नीतीश के बयान पर राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने X पर उनकी टिप्पणी पर विरोधाभास जताते हुए लिखा, “पहले बिहार की बेटियां कपड़े ही नहीं, स्वाभिमान, स्वावलंबन और सम्मान भी पहनती थीं नीतीश कुमार जी। स्त्री परिधान वैज्ञानिक’ मत बनिए’! आप 𝐂𝐌 है 𝐖𝐨𝐦𝐞𝐧 𝐅𝐚𝐬𝐡𝐢𝐨𝐧 𝐃𝐞𝐬𝐢𝐠𝐧𝐞𝐫 नहीं।”
पहले बिहार की बेटियां कपड़े ही नहीं, स्वाभिमान, स्वावलंबन और सम्मान भी पहनती थीं नीतीश कुमार जी।
‘स्त्री परिधान वैज्ञानिक’ मत बनिए’! आप 𝐂𝐌 है 𝐖𝐨𝐦𝐞𝐧 𝐅𝐚𝐬𝐡𝐢𝐨𝐧 𝐃𝐞𝐬𝐢𝐠𝐧𝐞𝐫 नहीं। ‘स्त्री परिधान विशेषज्ञ’ बनकर अपनी घटिया सोच का प्रदर्शन बंद कीजिए। ये बयान नहीं,… pic.twitter.com/9DPrOqbTjS
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) January 18, 2025
नीतीश के इस बयान को कई तरह से देखा जा रहा है व अलग-अलग तरह से राजनीति भी देखने को मिल रही है। आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने सीएम नीतीश के इस बयान को हास्यास्पद बताया। उन्होंने कहा, ‘नीतीश जी, जब से बीजेपी के साथ गए हैं, गड़बड़ा गए हैं।”
आज और कल की राजनीति के दौर में कोई बदलाव नहीं है। कल भी महिलाएं राजनीति का केंद्र थी, और आज भी हैं। जहां राजनेताओं को लगता है कि महिलाओं को लेकर टिप्पणी कसना उनका अधिकार है और उनके विचार पूर्णतयः कथित तौर पर सही हैं।
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