8 दिसंबर 2020 को भारत बंद के दौरान रिपोर्टिंग में हम खूब हंसे नेताओं की ड्रामेबाजी देखकर। किसान आंदोलन को लेकर भारत बंद के ऐलान के साथ राजनैतिक नेताओं को अच्छा मौका मिल गया और वह पुलिस के सामने खासे ड्रामेबाज दिखे।
आओ पुलिस हमें ले जाओ
रिपोर्टिंग के दौरान देखने को मिला कि अशोक लॉट के सामने बने एक कमरे से अचानक कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता निकले और नारेबाजी करते हुए पुलिस के सामने जा खड़े हुए। मीडिया मौजूद थी तो थोड़ा धक्कामुक्की भी कर ली और जमीन में बैठ नारेबाजी शुरू करते हुए मीडिया को बाइट दी। पुलिस ने इन नेताओं के सामने एक ट्रक लगाकर उसमें सबको भर दिया। बड़े ही आसानी के साथ नेता ट्रक में चढ़ते हुए नारेबाजी करते गए और मीडिया को चेहरा दिखाते गए। ऐसा लग रहा था कि वह कह रहे हों भाई उनका चेहरा भी दिखा दो कैमरे में।
चेहरा दिखाकर हुए रफूचक्कर
इसी तरह सदर तहसील के बगल में बने डॉ भीमराव अंबेडकर पार्क में कुछ युवक बैठे दिखे और साथ में भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष राजू राही भी थे। थोड़ी देर बाद उनसे बातचीत करने के लिए हम पार्क पहुंचे। पार्क खाली दिखा और एक पुलिस कर्मी बैठा था। उनसे हमारी बात हुई तो पता चला कि उन्होंने यहीं पर अपना ज्ञापन दिया और चले गए।
सोशल मीडिया और बंगले पर वायरल ड्रामेबाजी
भारत बंद (8 दिसंबर) के एक दिन पहले से ही समाजवादी पार्टी के नेताओं को पुलिस पकड़ रही है ऐसी खबरों के साथ फोटो वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही थीं। फेसबुक और ट्विटर में देखने को मिला कि सही में पुलिस पकड़कर उनको ले गई लेकिन जिस तरह की फ़ोटो और वीडियो यहां तक कि लाइव भी वायरल हुई वह सब किसी ड्रामा से कम नहीं थीं। इतना ही नहीं कुछ नेताओं को तो उनके घर से या तो पुलिस पकड़कर लाई या फिर घर में ही नज़रबंद रखा। ये फोटो खूब वायरल हुईं। यह सब बड़े आराम और मजे के साथ सब कुछ हो रहा था। फ़ोटो वीडियो इस ड्रामेबाजी की गवाही दे रही हैं।
किसान आंदोलन को लेकर अब तक सरकार और किसानों के बीच हुई छह बार की बातचीत बेनतीजा रही हैं। इस आंदोलन में जहां किसान और सरकार आमने सामने है वहीं राजनैतिक लोग अपने लिए राजनीति के क्षेत्र में डूबने उतराने से बचने के रास्ते खोजते नजर आ रहे हैं। नेताओं को क्या लगता है कि उनके इस खेल को आम जनता और किसान समझते नहीं हैं? सब समझ रहे हैं और उन्होंने साफ तौर पर यह कहा है कि सरकार चाहे जिस पार्टी की रही हो किसानों का भला किसी पार्टी ने नहीं किया। हमेशा किसान और उनकी समस्याओं को लेकर राजनीतिक रोटियां सेकीं गई हैं और वर्तमान में भी सेंकी जा रही हैं।