खबर लहरिया Blog रिहाना के टॉपलेस शूट में भगवन गणेश के पेनडेंट ने किया, लोगों के आक्रोश को आमंत्रण

रिहाना के टॉपलेस शूट में भगवन गणेश के पेनडेंट ने किया, लोगों के आक्रोश को आमंत्रण

Bhagwan Ganesh's pendant did Rihanna's topless shoot

हाल ही में किसान आंदोलन का समर्थन करने में प्रचलित हुई इंटरनेशनल पॉप स्टार रिहाना एक बार फिर से चर्चे में हैं। 16 फरवरी को रिहाना ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक फोटो पोस्ट की थी। जिसमें वह टॉपलेस ( यानी कमर के ऊपर के हिस्से पर वस्त्र धारण ना करना ) थी और उसने गले में भगवान गणेश का पेन्डेन्ट (माला की तरह) पहना हुआ था। जिसके बाद से ट्विटर पर लोगों में काफ़ी आक्रोश देखने को मिला। लोगों ने कहा कि उसके द्वारा या उसके द्वारा किये काम ने उनके हिन्दू भगवान की आस्था और पवित्रता को चोट पहुंचाई है। 

रिहाना ने 16 फरवरी को  लिंगिरि ब्रैंड सैवेज एक्स फ्रेनिटी के लिए शूट किया था। जिसमें उसने गले में भगवान गणेश के पेन्डेन्ट के आलावा, हाथों में हीरे का ब्रेसलेट और कान के इयरिंग भी पहने हुए थे। रिहाना ने शूट की हुई फोटो को ट्वीट करते हुए लिखा, जब @पॉपकानमयुज़िक कहा मी नूह वान या वियर नो लिंगिरि टुनाइट फा मी गर्ल‘ @सैवेजएक्सफेंटी “

रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग के किसान समर्थन के एक ट्वीट से आया, भारतीय सोशल मीडिया पर ट्वीट्स का तूफान 

रिहाना के पोस्ट पर किये गए ट्वीट्स 

ट्विटर पर रिहाना के ट्वीट पर काफी प्रतिक्रियां भी देखने को मिली। एक ट्विटर यूजर ने लिखा,” मेरे धर्म को कृपया आप अपना सौंदर्य बनाना बंद कीजिये।”

एक अन्य यूजर ने लिखा,”गर्दन काटने वाले होते तो शायद कब की मार दी जाती। शुकर कर हम मारते नहीं समझाते हैं और तुझे भी समझाएंगे, समय आने दे।”

“नेकलेस पहनने की दो वजह हो सकती है। 

  1. आपको हिन्दू धर्म से प्यार है। 
  2. आप हिन्दुओ की बेज़्ज़ती करना चाहती हो। 

अगर पहला वाला सच है, तो हमे पता है कि हमारे धर्म में कामासूत्रा के बारे में भी लिखा हुआ और हमारे यहां खजुराहो जैसे मंदिर भी है आज नेकलेस पहनने की वजह से आप पहले वाले विकल्प की तरह है। “

“भगवान् गणेश की तस्वीर के साथ टॉपलेस फोटो। आखिर वह साबित क्या करना चाहती है ?”

जहां लोगों द्वारा रिहाना की पोस्ट को लेकर आलोचना की जा रही थी, इसी बीच एक ट्विटर यूजर ने ट्वीट करते हुए लिखा,” जो भी रिहाना की इस तस्वीर को देखकर आहत हुए हैं, वह हमारी ऐतिहासिक कला का एक संदर्भ देख सकते हैं जो यूनेस्को की विरासत भी है। टॉपलेस होना कोई निंदा का विषय नहीं है जैसा की लोगों द्वारा सुझाया गया। अगर कोई रिहाना की पोस्ट से नाराज़ है तो उसे पोस्ट के साथ लगाए हुए स्क्रीनशॉट से भी अपमानित महसूस होना चाहिए।” 

https://twitter.com/iprashantorg/status/1361671965564489733?s=20

किसान आन्दोलन में समर्थन के ट्वीट पर भी हुई थी ट्रोल

पिछले महीने में, जब रिहाना ने किसानो के समर्थन में ट्वीट करते हुए लिखा था कि “हम इसके बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं? #फारमर्सप्रोटेस्ट “ जिसके बाद लाखों ट्विटर यूज़र्स, अभिनेता, नेता यहां तक की विदेश मंत्रालय द्वारा भी उसके ट्वीट की आलोचना की गयी थी। इसके साथ ही इंटरनेशनल अभिनेत्री अमांडा कैरी, स्वीडन पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, मिया खलीफा, अमेरिका की मीना हैरिस, सबने किसान समर्थन में ट्वीट किया था। जिसके जवाब में विदेश मंत्रालय और अन्य लोगों द्वारा यह कहा गया कि उसे भारत के आंतरिक मामले में पड़ने का कोई हक़ नहीं है।

साथ ही इसके बाद, किसान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झाड़प को देखते हुए राजधानी दिल्ली में कुछ समय के इंटरनेट सेवायें भी बंद कर दी गयी थी। वहीं काफी लोग ऐसे भी थे जिन्होंने रिहाना के किसान समर्थन के ट्वीट को सही ठहराया था। 

पहले भी धार्मिक मामलों में फँस चुकी है रिहाना 

यह कोई पहली बार नहीं है कि रिहाना पर धार्मिक तौर पर हमले करने के लिए लोगों द्वारा आक्रोश प्रकट किया गया है। इससे पहले साल 2009 में उसने अपने शरीर पर संस्कृत का टैटू बनवाया था, जो की भगवद गीता के पाठ से प्रेरित था। साथ ही पिछले साल 2020 में फेंटी प्रोडक्ट्स के मालिक को अपने फैशन शो में  लिंगिरि लाइन में इस्लामिक टेक्स्ट इस्तेमाल करने की वजह से लोगों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। 

काफी संख्या में निटिज़न्स (इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले ) ने रिहाना को कुकु क्लोई ट्रैक डूमगाने का इस्तेमाल करने पर गुस्सा जताया। गाने के ट्रैक में इस्लामिक हदीथ को मिलाया गया था, जो कहता है –पैगंबर मुहम्मद को कहने वाली परंपराओं का एक संग्रह, जो कुरान के अलावा मुसलमानों के लिए मार्गदर्शन का प्रमुख स्रोत है।जिसके बाद रिहाना द्वारा लोगों से इस्लामिक शब्दों को मिलाने के लिए माफ़ी मांगी गयी थी और यह भी कहा गया कि वह सुनिश्चित करेंगी कि आगे से ऐसा कुछ भी ना हो। 

जब हम हाल ही का मुद्दा देखते हैं तो इसमें हमें लोगों द्वारा अलग -अलग विचार देखने को मिले। कई लोगो द्वारा कहा गया कि रिहाना द्वारा जान-बूझकर हिन्दू देवता और धर्म को चोट पहुँचाने का काम किया गया है। वहीं कुछ ट्विटर यूज़र्स ऐसे भी थे जिन्होंने रिहाना कि टॉपलेस फोटो को अलग नज़रिये से देखा और अपनी एक अलग विचारधारा रखी। लेकिन आलोचना करने के बीच लोगों ने अभद्रता को भी पार कर दिया। अलग-अलग तरह से उसके रंग और शरीर का मज़ाक बनाया गया। आखिर यह किसी की आलोचना करने का क्या तरीका है? जब भी एक महिला की बात आती है तो लोगों द्वारा उसके लिंग और रंग पर सवाल क्यों उठाया जाता है? उस पर अपमान जनक टिप्पणियां क्यों कसी जाती हैं ? किसान आंदोलन के समर्थन के दौरान भी यही देखने को मिला था। ज़्यादातर महिलाओं ने ही समर्थन में ट्वीट किए थे।

पर क्यूंकि किसी महिला ने अपनी आवाज़ रखी है, उस पर पूरा देश बौखला गया। इसमें पुरुष से लेकर कई महिलायें भी शामिल थी। वहीं जब धर्म का मुद्दा आता है तब भी महिलाओं को ही सबसे पहले निशाना बनाया जाता है। कभी उसके वस्त्र को लेकर तो कभी उनके चरित्र को लेकर। अब इस मामले में सब अपनी विचारधारा के अनुरूप बात रख रहे हैं। लेकिन किसी और की विचारधारा का सम्मान ना करना और सिर्फ अपनी बात को आगे रखना कितना जायज़ है?

भारत में तो शुरू से ही देवी -देवताओं के नग्न रूप को दर्शाया गया है तो आज तक उस पर कोई सवाल क्यों नहीं उठाया गया? क्यूंकि वह हमारी संस्कृति है इसलिए? मंदिर की दीवारों पर अर्ध-नग्न रूप में महिलाओं की तस्वीरें उकेरी गयी है तो ये तस्वीरें क्यों लोगों को आहत नहीं करती ? तब तो लोगों को उन तस्वीरों को अपनी धरोहर के रूप में देखने में कोई बुराई नज़र नहीं आती। दो-चेहरों के साथ आखिर महिलाओं को कब तक परिभाषित किया जाएगा? आखिर कब तक

द्वारा लिखित – संध्या