गर्मियों में बेल का शरबत सेहत, ठंडक और सुंदर त्वचा का प्राकृतिक माना गया है। गर्मी के मौसम में जब सूरज कि किरणें अपनी तपिश के साथ पूरे जोश पर होता है, तब शरीर को अंदर से ठंडक पहुंचाने वाले कुछ ठंडा पीने की ज़रूरत होती है। ऐसे में बेल का शरबत न केवल एक परंपरागत पीने वाला शरबत है। यह सेहत के लिए भी किसी अमृत से कम नहीं है। बेल का फल आयुर्वेद में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह फल न सिर्फ शरीर की गर्मी को शांत करता है बल्कि इसके नियमित सेवन से कई स्वास्थ्य समस्याओं से भी राहत मिलती है। गर्मी के मौसम में बेल का शरबत पीने से शरीर को ठंडक तो मिलती ही है, साथ ही यह त्वचा को भी ताजगी देता है। तपती दोपहर में जब बाहर निकलना जरूरी हो तो बेल का शरबत शरीर का तापमान संतुलित बनाए रखने में मदद करता है और लू लगने जैसी स्थितियों से भी बचाव करता है।
वाराणसी के अर्दली बाजार के रहने वाले बादशाह सोनकर
गर्मियों में बेल का शरबत बनाकर बेचते हैं। उनका कहना है कि अभी तो बेल की शुरुआत है। फिलहाल बाज़ार में इसका रेट करीब 125 रुपये पसेरी है। हम लोग मार्केट से बेल खरीदकर लाते हैं और फिर गर्मी के तीन महीने ठेले पर शरबत बनाकर बेचते हैं।
बेल के फल में पानी की मात्रा ज्यादा होती है जो शरीर में पानी की कमी को पर्याप्त रखने का काम करता है। गर्मियों में पसीने के कारण शरीर में पानी की कमी होना सामान्य बात है लेकिन अगर लंबे समय तक पानी की कमी बनी रहे तो कमजोरी और चक्कर आने जैसी समस्याओं का कारण बन सकती हैं। इसका स्वाद मीठा और ठंडक से भरपूर होता है जिससे यह न केवल स्वाद में अच्छा लगता है बल्कि शरीर को ऊर्जा भी देता है। यही वजह है कि पुराने समय से ही इसे ‘गर्मी की दवा’ माना जाता रहा है।
बेल का शरबत त्वचा के लिए भी बहुत लाभकारी होता है। इसके अंदर मौजूद फाइबर और डिटॉक्स गुण का मतलब है शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा दिलाने और स्वस्थ रहने के लिए सहायता करना जो शरीर व त्वचा से जहरीले और हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालते हैं। जब शरीर अंदर से साफ रहता है तो उसका असर चेहरे और त्वचा पर भी साफ दिखता है। बेल का शरबत नियमित रूप से पीने से मुंहासे, फुंसियां और त्वचा में होने वाली दूसरी समस्याएं काफी हद तक कम हो जाती हैं। यह त्वचा को नमी मतलब गीला करता है और उसे रूखापन या बेजान-पन से बचाता है। बेल में विटामिन सी होता है जो कोलेजन एक तरह का प्रोटीन है जो हड्डियों के संरचना का अहम हिस्सा होता है। ये त्वचा को लचीला, मुलायम और जवान बनाए रखने में मदद करता है। गर्मियों में जब तेज धूप त्वचा को नुकसान पहुंचाती है तब बेल का शरबत एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है।
बेल में पाया जाने वाला विटामिन ए भी त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह सूरज की हानिकारक किरणों से त्वचा की रक्षा करता है और किरणों से होने वाली जलन, झुलसन और झुर्रियों से बचाव करता है। आंखों की सेहत के लिए भी लाभकारी होता है। इस कारण बेल के शरबत को केवल एक ठंडा पीने वाला जूस कहना इसकी खूबियों को कम आंकना होगा। यह शरीर त्वचा और सारे स्वास्थ्य के लिए एक संजीवनी है।
बेल का शरबत बनाने की प्रक्रिया यह है कि सबसे पहले बेल को तोड़ते हैं फिर उसको तोड़कर उसके अंदर का गुदा निकालते हैं और बीज हटा देते हैं। इसके बाद उसमें पानी मिलाया जाता है। हम वही पानी इस्तेमाल करते हैं जो पहले से मटके में रखा गया होता है ताकि वह ठंडा रहे। कुछ लोग बर्फ भी डलवाते हैं जिन्हें ज्यादा ठंडा शरबत पसंद होता है। वे आगे बताते हैं कि शरबत दो तरीके से बनाया जाता है।
एक मीठा शरबत जिसमें चीनी मिलाई जाती है और दूसरा सादा शरबत जिसमें बिना मीठा मिलाए ही बेल का स्वाद लिया जाता है। कई ग्राहक अपने स्वाद के हिसाब से बदलाव भी कराते हैं। कोई नींबू मिलवाता है कोई सिर्फ सादा बेल पीना पसंद करता है। कुछ लोग बिना छाने भी शरबत पीते हैं क्योंकि गूदे का स्वाद उन्हें ज्यादा अच्छा लगता है।
बादशाह कहते हैं कि अगर बेल तैयार हो और सामग्री पास में हो तो शरबत कम समय में बनकर तैयार हो जाता है। और गर्मी में तो बेल से बेहतर कोई और नेचुरल ठंडा ड्रिंक हो ही नहीं सकता।
हालांकि बेल का शरबत बहुत लाभकारी है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह भारी भी पड़ सकता है। खासकर जिन लोगों को कब्ज की समस्या है उन्हें इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए। किसी भी प्राकृतिक औषधि या पेय का अत्यधिक सेवन नुकसानदायक भी हो सकता है। इसलिए इसका सेवन सीमित मात्रा में करें।