खबर लहरिया Blog यूपी के ये सुंदर किले आपका मन मोह लेंगे

यूपी के ये सुंदर किले आपका मन मोह लेंगे

उत्तर-प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में प्राचीन काल में बनाए गए किले आज भी राजाओं, महाराजाओं, नवाबों की याद दिलाते हैं। ये अपने समय की प्रचलित सभ्यता, संस्कृति, और उन निशानियों की याद दिलाते हैं जोकि आज भी इनमें मौजूद हैं। 

आज हम इस आर्टिकल द्वारा उत्तर प्रदेश के कुछ ऐसे ही किलों के बारे में बता रहे हैं जो अपनी कलात्मक शैली और वास्तुकला के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। आप जब भी इन किलों को करीब से देखेंगे कुछ पल के लिए आपको महसूस होगा जैसे आप पुरातन के समय में पहुँच गए हों। वाकई इन किलों की खूबसूरती इस कदर है कि आप इसके वश में हो जाएंगे। इन किलों की एक-एक दीवार इतिहास बयां करती है। जो बेहद रोमांचक है। 

1-इलाहाबाद (प्रयागराज) किला

फोटो साभार: holidayrider.com

गंगा यमुना सरस्वती 3 नदियों के संगम पर बना इलाहबाद किला देखने में बहुत ही अद्भुत और विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ पर गंगा यमुना नदियाँ साफ तौर पर देखी जा सकती है, जबकि सरस्वती अदृश्य है। अपने समय में सबसे उत्कृष्ट समझे जाने वाले इस किले को मुगल सम्राट अकबर ने 1583 में बनवाया था। वर्तमान में इस किले का कुछ ही भाग पर्यटकों के लिए खुला रहता है। बाकी हिस्से का प्रयोग भारतीय सेना करती है। इस किले में तीन बड़ी गैलरी हैं जहां पर ऊंची मीनारें हैं।                   

ऐसा कहा जाता है कि किले में अक्षय वट यानी अमर वृक्ष है। जिसको देखने के लिए यहाँ आने वाले लोग बेताब रहते हैं हालांकि यह वृक्ष किले के प्रतिबंधित क्षेत्र में है, जहां पहुंचने के लिए अधिकारियों से विशेष अनुमति लेनी पड़ती है। पार्क में बलुआ पत्थर से बना 10.6 मीटर का विशाल अशोक स्तंभ भी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण 232 ईसा पूर्व किया गया था। पुरातत्त्वविद् और इतिहासकारों के लिए इस स्तंभ का विशेष महत्व है।

2-आगरा किला

आगरा का नाम सुनते ही लोगों के जहाँ में ताजमहल की तस्वीर बनने लगती है। लेकिन आगरा का किला भी पर्यटकों के लिए बेहतरीन जगह है। आगरा के किले की विश्व स्तर पर अपनी एक अलग ही पहचान है। यह किला यमुना नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है और ताजमहल से 2.5 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। किले के इतिहास की बात करे तो, इसका निर्माण बादशाह अकबर ने करवाया था, तो शाहजहाँ ने इसका नवीनीकरण कराया था

इस किले की बनावट दिल्ली के लाल किले से मिलती-जुलती है पर्यटन के लिहाज से भी यह किला बेहद महत्वूर्ण माना जाता हैयूनेस्को इस किले को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर चुका है। ताजमहल के बाद यह किला आगरा की दूसरी विश्व धरोहर कही जाती है

 3-झाँसी किला 

फोटो साभार:पत्रिका

वैसे तो देश में किलों की भरमार है, लेकिन इनमें झांसी के किले की बात ही अलग है। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ इसी किले की प्राचीर से स्वराज्य का नारा बुलंद हुआ था। नारी शक्ति की मिसाल बनकर वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई ने झांसी के किले से ही फिरंगियों को ललकारा था। यही वजह है कि इतिहास की ये विरासत अब भी देश – विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। साथ ही यह किला कई लड़ाईयों का गवाह रहा है किले का निर्माण ओरछा के बुन्देल राजा बीरसिंह जुदेव ने कराया था सुन्दरता से परिपूर्ण 15 एकड़ में फैले इस किले का रूप देखते ही बनता है किले के भीतर कला के बहुत सुन्दर नमूने देखने को मिलते हैं, जिन्हें कैमरे में कैद करने के लिए यहां आने वाले सैलानियों में होड़ लगती है। कहते हैं की साल भर यहां पर्यटकों की मेले जैसी स्थिति बनी रहती है।


झाँसी किला कैसे पहुंचे?

झाँसी का किला पहुँचने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन, बस और अगर नजदीक के हैं तो अपने व्यक्तिगत साधन से भी जा सकते है। ट्रेन के माध्यम से झाँसी पहुँचना काफी आरामदायक और आसान है। झांसी जंक्शन रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों के साथ लगातार ट्रेनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है और दिल्ली-मुंबई रेलवे मार्ग पर स्थित है। आप रेलवे स्टेशन से यहाँ चलने वाले स्थानीय साधनों के माध्यम से किला तक पहुँच सकते है। झाँसी का सफ़र तय करने और घूमने के लिए आप राज्य परिवहन की बस या टैक्सी की सुविधा ले सकते हैं।

4-चुनार किला 

उत्तर-प्रदेश में मीरजापुर से 35 किलोमीटर की दूरी पर गंगा तट पर स्थित चुनार गौरवशाली इतिहास का साक्षी रहा है। कहते हैं यह दुर्ग हजारों वर्ष पुराना है। बाद में इस दुर्ग का जीर्णोद्धार उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने कराया था। चुनार का ऐतिहासिक दुर्ग नगर की सुरक्षा का दायित्व निभाने के साथ ही नगर के अस्तित्व को भी बचाये हुए है। बताया जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई राजा भर्तृहरि के लिए इस किले को बनवाया था। 
                           
टैकोर इलाके में स्थित चुनार किला आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। भगवान विष्णु के वामन अवतार जैसे पौराणिक कथानकों से इसका संबंध बताया जाता है, जबकि प्राचीन साहित्य में चरणाद्रि,  नैनागढ़ आदि नामों से यहां का उल्लेख मिलता है। किले के अंदर 52 खंभों की छतरी और सूर्य घड़ी भी बनी हुई है। जलवायु की दृष्टि से चुनार को आदर्श स्थान बताया जाता है। अगर आप घूमने के शौक़ीन हैं और इस किले का दीदार करना चाहते हैं तो यहां जाने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा वाराणसी है, जहां से सड़क मार्ग से चुनार किला पहुंच सकते हैं। और मिर्जापुर नेशनल हाइवे से कई शहरों से जुड़ा हुआ है। चुनार किला जाने के लिए आपको वाराणसी से बसें भी मिल जाएँगी। जिससे आप चुनार किला देखने पहुंच सकते हैं।

5- जौनपुर पुर (शाही किला) किला

शाही किला गोमती के बाएं किनारे पर शहर के दिल में स्थित है। इस दुर्ग का र्नि‍माण फि‍रोज शाह ने 1362 में कराया था। इस दुर्ग के भीतरी फाटक 26.5 फीट उंचा तथा 16 फीट चौड़ा है। केन्‍द्रीय फाटक 36 फीट उंचा है। सहसा ही अपने बीते हुये कल की याद दिला जाती हैं।कितने ही मौसम बदले, नये लोग आये पुराने गये, पर शाही किले की ये दीवारें अपने स्थान पर अडिग होकर अपनी शौर्य गाथा का गान कर रही है।

शाही किला के पास बना शाही पुल भारत में अपने ढंग का अनूठा पुल है और इसकी मुख्‍य सड़क पृथ्‍वी तल पर र्नि‍मित है। पुल की चौड़ाई 26 फीट है जि‍सके दोनो तरफ 2 फीट 3 इंच चौड़ी मुंडेर है। दो ताखों के संधि‍ स्‍थल पर गुमटि‍यां र्नि‍मित है। पहले इन गुमटि‍यों में दुकाने लगा करती थी। पुल के मध्‍य में चतुर्भुजाकार चबूतरे पर एक वि‍शाल सि‍ह की मूति है जो अपने अगले दोनो पंजो पर हाथी के पीठ पर सवार है। इसके सामने मस्‍जि‍द है। पुल के उत्‍तर तरफ 10 व दक्षि‍ण तरफ 5 ताखें है, जो अष्‍ट कोणात्‍मक स्‍तम्‍भों पर थमा है। जौनपुर से 2.2 किमी दूर यह किला शहर का प्रमुख आकर्षण है।

यहाँ की खूबसूरती और यहाँ बनी अलग-अलग दीवारों पर लिखी कहानियों का अपना एक अलग ही इतिहास है। इस किले में अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण इमारते भी स्थित हैं जिनमें से भूलभुलैया, बंगाल शैली की मस्जिद जिसमें तीन गुम्बद भी हैं और सामने एक मीनार भी स्थित है। इस किले में और भी बहुत कुछ खास है जो वहां घूमने पर ही पता चलेगा। तो देखा आपने कितने सुन्दर हैं यूपी के ये किले। इन किलों के बारे में पढ़कर ही मन में सुखद अहसास होता है एक तस्वीर बनने लगती है। और दिल करता है की झटपट हम भी किले की सैर कर आये तो देर किस बात की है निकालिए मौका और कीजिये इन किलों की सैर।

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