बसंत पंचमी: आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे बसंत पंचमी के बुन्देली गीत
हमारे देश में बसंत पंचमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती देवी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। पुरातन युग में, इस दिन राजा सामंतों के साथ हाथी पर बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए देवालय पहुँचते थे। वहाँ धिपूर्वक कामदेव की पूजा की जाती थी और देवताओं पर अन्न की बालियाँ चढ़ाई जाती थीं।
और इसी वसंत पंचमी के उपलक्ष्य में ललितपुर जिला बुन्देली गीत के लिए जाना जाता है हर घर में गायकी के हुनरमंद आपको मिल जायेगे। लेकिन आज हम आपको मिलवायेंगे कुम्हेडी गाँव की कुछ महिलाओं से जो बसंत पंचमी के गीत गा रही हैं। और इन गानों को गाते हुए एक अजीब सी ख़ुशी की अनुभूति कर रही हैं |
माघ महीने की शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी होती है और इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। नाना प्रकार के मनमोहक फूलों से धरती प्राकृतिक रूप से संवर जाती है। खेतों में सरसों के पीले फूलों की चादर बिछी होती है और कोयल की कूक से दसों दिशाएं गुंजायमान रहती है। बसंत पंचमी को मां सरस्वती का दिन माना जाता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना भी की जाती है।
गायिकी के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाना चाहती हैं बुन्देलखंड की उभरती सितारा विजेता अनुरागी
जब हम कुम्हेडी गाँव की महिलाओं से मिले तो महिलाएं हरे भरे खेतों में निराई कर रही थी लहलहाते सरसों के फूल मानों इठलाकर गीत गा रहे हों। महिलाओं ने कई बसंती बुन्देली गीत सुनाये और बताया कि हम लोग बसंत पंचमी के त्यौहार पर इसी तरह के गाने गाते हैं और यह मौसम बहुत सुहाना है इस मौसम मे हमारे यहाँ कई तरह के काम होते है खेती को लेकर। तो हम सभी मिलकर करते हैं और कही तरह के गाने भी गाते है।