खबर लहरिया Blog बांग्लादेश: ढाका में आरक्षण के विरोध में भड़के दंगे, कम से कम 39 लोगों की मौत की खबर

बांग्लादेश: ढाका में आरक्षण के विरोध में भड़के दंगे, कम से कम 39 लोगों की मौत की खबर

बांग्लादेश में इस वक्त सरकारी नौकरी के आरक्षण के विरोध में दंगे भड़क गए हैं जिसकी वजह से स्थिति असमान्य हो गई है। सरकार ने इंटनेट सेवा, स्कूल और कॉलेज को बंद करने के आदेश दिए हैं। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारी सिविल सेवा भर्ती नियमों में सुधार की मांग कर रहे है और बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों को मिले 30 % आरक्षण को ख़त्म करने की मांग कर रहे हैं।

                                                                                                 ढाका में कोटा विरोधी प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प (फोटो – एनडीटीवी)

सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश के ढाका में सरकारी प्रसारक में आग लगा दी। प्रदर्शन के दौरान दंगा भड़कने से कल गुरुवार 18 जुलाई को कम से कम 39 लोगों की मौत की खबर सामने आई। इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बढ़ते प्रदर्शन को देखते हुए संबोधित करने के लिए चैनल पर आई थी ताकि प्रदर्शन को शांत किया जा सके।

बांग्लादेश में इस वक्त सरकारी नौकरी के आरक्षण के विरोध में दंगे भड़क गए हैं जिसकी वजह से स्थिति असमान्य हो गई है। सरकार ने इंटनेट सेवा, स्कूल और कॉलेज को बंद करने के आदेश दिए हैं। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारी सिविल सेवा भर्ती नियमों में सुधार की मांग कर रहे है और बांग्लादेश के स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों को मिले 30 % आरक्षण को ख़त्म करने की मांग कर रहे हैं। सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने उन पर रबर की गोलियां चलाई और साथ ही आंसू गैस का इस्तेमाल किया। गुस्साई भीड़ ने ढाका में स्थित बीटीवी के मुख्यालय तक पीछा किया, फिर नेटवर्क के स्वागत भवन और बाहर खड़े कई वाहनों में आग लगा दी।

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आरक्षण विरोध करने की वजह

लाइव मिंट की रिपोर्ट बताती है कि 1971 में होने वाले आज़ादी की लड़ाई, जिसमें बांग्लादेश ने अपनी आज़ादी के लिए पाकिस्तान से आज़ादी की लड़ाई लड़ी। आज़ादी में स्वतंत्रता सेनानियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सरकार ने उनके रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 % आरक्षण दिया। प्रदर्शनकारी इस व्यवस्था को खत्म करना चाहते हैं। उनका मानना है कि यह भेदभावपूर्ण है इसके बजाय योग्यता आधारित व्यवस्था को महत्व दिया जाए।

आपको बता दें कि इस तरह का प्रदर्शन 2018 में भी किया गया था और उस समय आरक्षण को रद्द कर दिया था। अब 1971 में स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों ने याचिका दायर की जिसके बाद उच्च न्यायालय ने पिछले महीने उस फैसले को बदल दिया और आरक्षण बहाल कर दिया जिस वजह से विरोध प्रदर्शन हुआ।

प्रधानमंत्री हसीना ने धैर्य बनाए रखने को कहा

प्रधानमंत्री हसीना ने आरक्षण का समर्थन करते हुए तर्क दिया है कि, “मैं सभी से अनुरोध करती हूं कि वे फैसला आने तक धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करें। मुझे विश्वास है कि हमारे छात्रों को सर्वोच्च न्यायालय से न्याय मिलेगा। वे निराश नहीं होंगे।”

 

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