बांदा: शहर की नौकरी छोड़, बागवानी करके खुशहाल जीवन बिता रहे ये पुरुष बांदा जिले के अंतर्गत आने वाले अतर्रा तहसील के मदरसा कस्बे में रहने वाले उस्मान को अपने वतन की मिट्टी और बागवानी की रूचि ने शहरों की जॉब की आदत छोड़ने पर मजबूर कर दिया| अब वो लगभग साढे तेरह बीघे के बाग़ में काजू, बादाम, मुसम्मी सहित अन्य कई फसलों की बागवानी कर रहे हैं और एक खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं| उस्मान बताते हैं कि वह एक कृषक के बेटे हैं लेकिन कॉलेज छूटने के बाद वह मुंबई चले गए और वहां एक अच्छी जॉब करने लगे काफी दिनों तक वहां जॉब की और इसके बाद उनका सऊदी अरब का वीजा बन गया और वह वहां भी चले गए।
उनको बागवानी में बचपन से रुचि थी पर वह उस रुचि को दबाकर सऊदी अरब में काम करने लगे और वहां एक अच्छा कारखाना डाल दिया जिससे अच्छी कमाई होने लगी पर उनको अपने वतन की मिट्टी और बागवानी की रूचि वहां रहने और कमाने के बावजूद भी खुशियां नहीं दे रही थी| इसी बीच उनके दामाद वहां पहुंच गए और उन्होंने अपने दामाद को कारखाने की जिम्मेदारी सौंप कर अपने वतन लौट आए|
जब वह लौटे तो उसी समय इस जमीन की नीलामी चल रही थी, उन्होंने भी बोली लगाई और तुरंत ही उनको साढ़े तेरह बीघे की ज़मीन का चेक मिल गया उस जमीन में उन्होंने जबरदस्त बागवानी की रोशनी जगाई| उसमे चीकू, लीची, पपीता, मुसम्मी काजू, बदाम, आमला, अमरुद जैसे सैकड़ों पेड़ लगाए और इसके साथ-साथ उन्होंने सागौन को भी काफी जोर दिया और आज उनकी बगिया सैकड़ों पेड़ों से हरी भरी मुस्कुरा रही है। साथ ही वह भी उस बगिया को देख कर मुस्कुरा रहे हैं और एक खुशहाल जिंदगी जी रहे हैं।