खबर लहरिया जवानी दीवानी कैंसर जैसी बीमारी से लड़ाई लड़ने के साथ लोगों को जागरूक भी कर रहीं बाँदा की फूला देवी

कैंसर जैसी बीमारी से लड़ाई लड़ने के साथ लोगों को जागरूक भी कर रहीं बाँदा की फूला देवी

कैंसर बीमारी का नाम सुनते ही लोग कांप जाते हैं, रूह रूह सिहर जाता है। अंदाज़ा लगाइए जो लोग इस बीमारी के शिकार हैं उन पर क्या बीतती होगी। ऐसे में तो वह सोच सोचकर ही मर जाते होंगे। पर इन सबसे परे बांदा जिले के बड़ोखर खुर्द गांव निवासी हैं पचास वर्षीय फूला जो 2012 से कैंसर बीमारी से ग्रस्त हैं। पर उनके हौसले ऐसे बुलंद हैं कि बीमारी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती। अपने काम और स्वभाव में उन्होंने इस गंभीर बीमारी को एक तरफ रख दिया है। विश्व कैंसर दिवस के उपलक्ष्य में ख़बर लहरिया ने उनसे खास बातचीत की।

इंटरव्यू के दौरान फूला बताती हैं कि वह सामाजिक कार्य करने में बहुत ही रुची रखती हैं इसीलिए वह हमेशा से लोगों के सुख दुःख में शामिल होती आईं हैं। 2012 की बात है जब अचानक उनको पेट दर्द हुआ। बांदा से कानपुर और कानपुर से लखनऊ पीजीआई तक पेट के अल्ट्रासाउंड से पता चल गया कि उनको थर्ड स्टेप पर कैंसर है। घर के लोग सब घबरा गए। पर उनको इस बात की तनिक भी चिंता नहीं थी कि उनको गंभीर बीमारी है। लखनऊ से मुंबई का इलाज शुरू हुआ। सभी डॉक्टरों ने बोला कि इतने दिन की जिंदगी बची है पर उन्होंने कहा कि उसका उनको कोई गम नहीं है। उनको अपने आप पर भरोसा है कि वह इतना जल्दी मरने वाली नहीं हैं। जितने दिन भी जियेंगी ठाठ के साथ जिंदा रहेंगी।
दुनिया में फैल रहे वायरस और बुंदेलखंड में वायरल ख़बरों पर कमेंट का जवाब देखिए एडिटर देगी जवाब मेंसमाज के बीच हर तरह की जागरूकता फैला रही हैं। शराब के खिलाफ उन्होंने अभियान छेड़ा है ताकि कोई भी महिला शराबी पति को लेकर परेशान न हो। क्योंकि धूम्रपान भी कैंसर का कारण बनता है। इस बीमारी के प्रति जागरूक करती हैं। उनको बस मलाल इस बात का है कि सरकारी, गैर सरकारी या राजनीतिक लोगों से उनके इलाज के लिए किसी तरह की मदद नहीं मिली शिवाय पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के। केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत मुंबई की अस्पताल में इलाज़ का लाभ नहीं दिया जा रहा। अब तक में इलाज के लिए गहने, खेती और बचत बैंक सब कुछ लगा दिया गया है।

“विश्व कैंसर दिवस पर गूगल रिसर्च” (सबसे पहले विश्व कैंसर दिवस वर्ष 1993 में जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) के द्वारा मनाया गया यानी विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day) की स्थापना यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC) के द्वारा की गई. कुछ अन्य प्रमुख  सोसाइटी के सपोर्ट, रिसर्च इंस्टिट्यूट, ट्रीटमेंट सेंटर और पेशेंट ग्रुप की सहायता द्वारा इसका आयोजन किया गया था. उस समय रिपोर्ट के अनुसार लगभग 12.7 मिलियन लोग कैंसर से पीड़ित थे और हर साल तकरीबन 7 मिलियन लोग कैंसर के कारण अपनी जान गंवा रहे थे.)