जिला बांदा ब्लाक जसपुरा गांव सबादा यहां की नीलम का घरेलू हिंसा का आरोप है कि लगभग मैं 5 साल से मैके में रहकर अपने बच्चों का पेट पालन कर रही हूं मजदूरी करके ससुराल वाले 4 साल पहले मुझे मारपीट कर घर से निकाल दिया था|
जब से मैं मायके में मजदूरी कर रही हूं और बच्चों का पेट पालन कर रही हूं अगर किसी दिन मजदूरी नहीं लगती है तो फिर बच्चे मेरे मजबूरी में यह टोला मुहल्ला में मांग कर खाना खाते हैं पैलानी थाना से मेरी कोई सुनवाई नहीं हुई है अगर मेरी सुनाई नहीं हो रही है तो मजबूरी में हम लोगों ऊपर कार्रवाई करने के लिए मजबूर होंगे इसलिए मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चों का खर्च दिलाया जाए अगर मेरा पति खर्च नहीं दे रहा है
तो मैं बच्चे सहित आत्महत्या कर लूंगा मेरा सरकार से यही निवेदन है कि मुझे खर्च दिलाओ जाए मेरे 4 बच्चे हैं मैं मजदूरी करके बच्चों का पेट नहीं भर सकती हूं कभी , बंशी डेरा, पति शिवनारायण मजदूरी नहीं लगती है कि रोज ही मजदूरी मैं कर सकूं कभी मजदूरी लगती है कभी नहीं लगती है कहां से मैं चार बच्चों का पेट पालन कर पाऊंगी इसलिए हाथ जोड़कर मांग कर रही हूं कि मुझे न्याय चाहिए
अगर मुझे न्याय नहीं मिलेगा तो मैं बच्चा सहित आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाओगे कई दरकी में पैलानी थाना में अपनी समस्या की गुहार लगाई है आज तक मेरी कोई सुनाई नहीं हुई है आगे की कार्रवाई करने के लिए मजबूर होगे मुकदमे लाऊंगा सहायता लेना चाहती हूं सरकार द्वारा ससुराल पक्ष देवनारायण देवर का कहना है कि कई बार मेरा भाई शिवनारायण दीवाने भाभी को गया है
भाभी यहां नहीं आना चाहती है और न रहना चाहती है अपने बच्चों सहित लेकर घर से अपनी मां के साथ है चली गई है ना तो कोई मारा है ना कोई गडरिया है ना कोई घर से निकाला है यह तो झूठे आरोप लगाए गए हैं जब हम को दोनों को थाने में बुलाया बुलाया गया है थाना द्वारा वहां पर नहीं आई है पैलानी एस ओ राजेंद्र कुमार का कहना है कि इस मामले में दोनों को बुलाया गया था और नीलम समझौता कराना चाहती है नहीं आई है तो हम क्या करेंगे अपना आगे की कार्यवाही कर सकती है
तो हम दोनों की बात सुनते अगर इसके पति की कोई कमी होती तो आगे की कार्रवाई जरूर की जाती को बुलाया गया है वह मौके पर नहीं आई हुई है नीलम ससुराल पक्ष के खिलाफ कार्रवाई करना चहती है आए दिन हमारे समाज में महिलाओं के साथ हिंसा की खबरें आती रहती हैं. इनमें सबसे ज्यादा मामले घरेलू हिंसा के होते हैं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो साल 2017-18 के दौरान भारत में पंजीकृत आपराधिक रिकॉर्ड के आंकड़े जारी किए हैं
. इस अवधि में देश भर में संज्ञेय अपराध के 50 लाख मामले दर्ज किए गये थे. रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू हिंसा अपराध से संबंधित करीब 27.9 प्रतिशत मामले पति या उसके परिजनों की क्रूरता के खिालफ दर्ज किये गये थे. उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 56,011 मामले दर्ज हुए हैं महिलाओं के प्रति बढ़ते अत्याचार के आंकड़े झकझोरने वाले हैं।