बांदा- सरकारी धन की लूट के साथ वृक्षा रोपण के तहत लगाए गए पौधों को जीवित रख पाना अगर विभागों की बड़ी चुनौती है तो अच्छा तो ये होगा कि उतने ही पौधे लगाए जाएं जिनकी देखभाल करके उनको पेड़ बनाया जा सके। लेकिन सरकार और विभाग के लिए पेड़ों को जिंदा रखने से ज्यादा रिकार्ड बनाना जरुरी होता है ताकि अपने लिए मिशाल बना सकें। इसी का नतीजा है वर्ष 2019 के माह जुलाई अगस्त में वन विभाग की तरफ से रोपित किये गए कुल 1913228 पौधों में से बहुत कम पौधे जीवित रह पाए। वन विभाग बांदा की रिपोर्ट के अनुसार बुंदेलखंड में एक दशक में 3 अरब 16 करोड़ रुपये वृक्षारोपण में खर्च किये गए। इसी तरह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्योढ़ा में भी पौधे देखने को नहीं मिले सिर्फ गढ्ढे ही रह गए है। इस संबंध में सीएमओ डॉ संतोष कुमार ने बताया कि वन विभाग की तरफ से कुल 10644 पौधे 56 जगहों पर लगाने के लिए दिए गए थे। जिसमें लगभग दो-दो सौ पौधे लगाए गए थे। इस आंकड़े में बांदा जिले के पौधे भी शामिल हैं। पूर्व डीएम हीरालाल वृक्षा रोपण की मुहीम को स्कूलों, शादी, जन्मदिन और पौधे लगाने वालों को सम्मनित करके इस मुहीम को गति देने में अहम रोल निभाए। वृक्षारोपण करके पर्यावरण को बचाए रखने का बहुत ही जरूरी काम है। इस तरह से कार्यक्रम करके लोगों के बीच जागरूकता लाई जा सकती है। इस तरह से न सरकार और विभाग नाम कमा सकते हैं, रिकार्ड बन जाएगा। लेकिन इन सबसे पर्यावरण और प्रकृति के साथ अन्याय ही हो रहा है न। अब ऐसे में ज्यादा जरूरी है कि उन पौधों का फॉलोअप किया जाय। उनकी देखभाल की जाए। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2019 में प्रदेश की आबादी के मुताबिक 22 करोड़ पौधे लगाने का संकल्प किया था। 9 अगस्त 2019 को भारत छोड़ो आंदोलन की 77वीं वर्षगांठ पर ‘वृक्षारोपण महाकुम्भ’ का नाम देकर नौ बजे से शाम साढ़े छह बजे तक 22 करोड़ 37 लाख 46 हजार 180 पौधे लगाने का रिकार्ड बनाया गया था। वन और पर्यावरण मंत्री दारा सिंह ने कहा था कि 9 अगस्त क्रांति का ऐतिहासिक दिन है। 22 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य पूरा करने के बाद यह विश्व कीर्तिमान बन गया। तभी ही मुख्यमंत्री ने वन विभाग को निर्देश दिए थे कि अगले वर्ष प्रदेश में 25 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य रखें। पौधे तो लगे लेकिन परवरिश न होने की वजह से सूख भी गये