उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में ब्लॉक नरैनी, ग्राम पंचायत नौगंवा का एक छोटा सा पुरवा है जो नदी किनारे टिकुरा में बसा हुआ है। इस गांव का नाम क्योटरा है। इस पुरवा में लगभग 70 घर हैं जिनमें लगभग 350 लोग रहते हैं। यहां महिलाएं नदी किनारे खेती करती हैं। खेती से ही उनका परिवार चलता है।
नदी किनारे बसे लोग यहां कई प्रकार की खेती करते हैं। खेती में सबसे मुख्य भूमिका इस गांव में महिलाओं की हैं। वे फसल उगाने के लिए कड़ी मेहनत करती है और फिर उसे बाजार में बेचने जाती हैं।
घर का काम खत्म कर खेती में देती है समय
शांति बताती हैं कि हम महिलाओं का दिन सुबह 5 बजे से शुरू होता है। सुबह उठते ही वे सबसे पहले अपने घरों की सफाई करती हैं और फिर अपने परिवार के लिए खाना बना कर रखती हैं। इसके बाद वे अन्य घरेलू कामों में जुट जाती हैं जैसे कपड़े धोना, बर्तन साफ करना और जानवरों का गोबर साफ करना।
खेतों की निराई-गुड़ाई करती महिलाएं
शोभा बताती हैं कि सुबह 8 बजे वे अपने खेतों में जाती हैं, जहां वे सब्जियां उगाती हैं और निराई-गुड़ाई का काम करती हैं। वे अपने खेतों की देखभाल करती हैं। इसके बाद, वे खेतों से घर लौटकर नहाती हैं और खाना खाती हैं। फिर, वे फिर से खेतों में जाकर सब्जियां तोड़ती हैं और उन्हें साफ करके बाजार में बेचने के लिए तैयार करती हैं।
नदी किनारे बसे होने का एक लाभ उनका यह है कि खेती बहुत अच्छी होती है। नदी उनके खेती को रोजगार में बदल देती है।
आत्मनिर्भर महिलाएं
बाजार में सब्जियां बेचने के लिए महिलाएं नदी किनारे से आती हैं। नदी किनारे सुख सुविधा की कमी होने के बावजूद वो बाजार में अपने जीवन और बच्चे के जीवन को बेहतर बनाने के लिए घर से निकलती हैं। एक आत्मनिर्भर महिला बनकर। घर के काम को निपटा कर वे अपने काम पर लौटती हैं। इसी उम्मीद में कि उनकी जो वर्तमान स्थिति है उसमें सुधार आएगा।
परिवार का महिलाओं का साथ
इन महिलाओं की जिंदगी बहुत कठिन है, लेकिन वे कभी हार नहीं मानतीं और न ही इस बारे में सोचती हैं। वे अपने खेतों में काम करती हैं, अपने परिवार का पालन-पोषण करती हैं और बच्चों को स्कूल भी भेजती हैं। खेतों में काम करने में उनका परिवार और पति मदद करते हैं, साथ ही सब्जियों को बाजार में बेचने में भी सहायता करते हैं। बच्चे भी खेतों में काम करने में मदद करते हैं और सब्जियां तोड़ने में भी उनका योगदान होता है।
ये महिलाएं अपने समुदाय की रीढ़ की हड्डी की तरह हैं और पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर, उनसे ज्यादा मेहनत करती हैं। वे परिवार में एकता और सहयोग की भावना को मजबूत करती हैं जो उनके काम को और आसान बनाती है।
रिपोर्ट – गीता, लेखन – सुचित्रा
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