खबर लहरिया Blog बांदा : चेचक को ‘माता’ मान नहीं कराया इलाज, हुई बच्चे की मौत

बांदा : चेचक को ‘माता’ मान नहीं कराया इलाज, हुई बच्चे की मौत

गांव की उषा कहती हैं, ‘उनके पूरे गांव में ये बीमारी फैली हुई थी लेकिन बुजुर्ग कहते हैं कि यह देवी निकली है। अगर दवा कराएंगे तो और बढ़ेंगे इसलिए बुजुर्गों की बात मानकर हम लोगों ने इलाज नहीं कराया क्योंकि इसके पहले भी इस तरह से बच्चों को हुआ है लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह एक बीमारी है।’

बांदा जिले के नरैनी सीएचसी के अंतर्गत आने वाले कुछ गाँवो में इस समय खसरा यानी चेचक की बीमारी बहुत तेज़ी से फैलती नज़र आ रही है। इस बीमारी के चलते मुकेरा गांव के धर्मेंद्र कुमार राजपूत के डेढ़ साल के बच्चे की 16 मार्च को मौत हो गयी। वहीं आज भी कई लोग चेचक की बीमारी को माता मान इस बीमारी का इलाज नहीं कराते जिसका परिणाम देरी से इलाज होने पर नज़र आता है। जब गांव में चेचक बीमारी से एक बच्चे की मौत हो गयी तो इसकी जानकारी ग्राम प्रधान व पंचायत सहायक द्वारा स्वास्थ्य विभाग को भी दी गयी।

चेचक को माता मान पहले नहीं कराया इलाज

banda news, villagers are not taking treatment for chickenpox in superstition

                                                         दाएं तरफ गुलाबी रंग की साड़ी में डेढ़ वर्षीय मृतक बच्चे की माँ जिसकी मौत चेचक से हुई है 

मुकेरा गांव के धर्मेंद्र कुमार की पत्नी केतकी बताती हैं, उसके डेढ़ साल के बच्चे की 7 मार्च को तबयत खराब हुई थी। उसके पूरे शरीर पर दाने-दाने निकल आए थे। सब लोग कह रहे थे कि माता निकली है इसलिए उन्होंने इलाज नहीं करवाया। उसने सोचा की माता निकली है तो जब पूजा हो जाएगी तो उसके बाद वह अस्पताल में दिखाएंगे। उन्हें क्या पता था कि यह कोई बीमारी है। इससे पहले कि अस्पताल पहुंचाते जिस दिन 16 मार्च को माता की पूजा की गई उसी दिन बच्चे की मौत हो गई। केतकी के दो बच्चे थे। अब एक ही बच्चा बचा है।

गांव की उषा कहती हैं, ‘उनके पूरे गांव में ये बीमारी फैली हुई थी लेकिन बुजुर्ग कहते हैं कि यह देवी निकली है। अगर दवा कराएंगे तो और बढ़ेंगे इसलिए बुजुर्गों की बात मानकर हम लोगों ने इलाज नहीं कराया क्योंकि इसके पहले भी इस तरह से बच्चों को हुआ है लेकिन उन्हें क्या पता था कि यह एक बीमारी है।’

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स्वास्थ्य विभाग कर रहा टीकाकरण

मुकेरा गांव के पंचायत सहायक दीपक कहते हैं कि उनके गांव में लगभग 15 दिनों से चेचक की बीमारी जोरों पर फैली हुई है। जब गांव में एक बच्चे की मौत हो गई और उन्हें इस बात की भनक लगी तो उन्होंने इस बारे में स्वास्थ्य विभाग की टीम को सूचित किया। 19 मार्च को स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा गांव में आकर कैंप लगाया गया और 96 बच्चों का टीकाकरण किया गया। अभी भी ग्राम पंचायतों के मंदिरों में टीकाकरण शुरू है। जानकारी के अनुसार, टीकाकरण के बाद से चेचक के मामलों में सुधार देखने को मिला है।

नरैनी सीएचसी के अधीक्षक डॉक्टर विपिन शर्मा ने बताया, पुकारी और मुकेरा गांव में घर-घर जाकर 0 से 5 साल तक के बच्चों का टीकाकरण किया गया है। जो लोग टीकाकरण से इंकार कर रहे हैं उन बच्चों के अभिभावकों को समझाया जा रहा है।

आगे बताया, मुकेरा गांव में 113 बच्चे मिले थे जिनमें से 96 बच्चों का टीकाकरण हो गया है। 17 बच्चे बचे हैं जिनमें से कुछ बच्चे बाहर थे कुछ ने इंकार कर दिया लेकिन उन बाकी बच्चों का टीकाकरण 21 मार्च यानी आज किया गया। जैसे ही उन्हें जानकारी मिली है उन्होंने तुरंत टीम गठित कर मामले को गंभीरता से लेते हुए टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया है। अब हर रोज टीम क्षेत्र में जाकर टीकाकरण कर रही है।

चेचक के लक्षण

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें रोगी को काफी तेज बुखार आता है, जिसके बाद धीरे-धीरे शरीर पर लाल दाने होने लगते हैं। सिर दर्द होता है, गला बैठ जाता है, नाक बहने लगती है, शरीर में दर्द होता है, मन मचलाता है, शरीर पर जो दाने निकले होते हैं उन पर खुजली होती है, दानों के चारों और लाल घेरे बन जाते हैं और उन पर सूजन आने लगती है। इन लक्षणों से चेचक की बीमारी को पहचाना जा सकता है।

रिपोर्टिंग व लेख गीता देवी द्वारा व संपादन संध्या द्वारा किया गया है। 

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