खबर लहरिया Blog बाँदा : जिले में तेज़ी से फैल रही डिप्थीरिया (गलाघोंटू) बीमारी, कई लोगों की हो चुकी है मौत

बाँदा : जिले में तेज़ी से फैल रही डिप्थीरिया (गलाघोंटू) बीमारी, कई लोगों की हो चुकी है मौत

 बांदा जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में स्पेशल वार्ड बनाये गए हैं जहां गलाघोंटू बीमारी हेतु स्पेशल सुविधा है।

                                                बाँदा जिले का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ( फोटो साभार – खबर लहरिया)

बाँदा जिले में पिछले महीने से डिप्थीरिया (Diphtheria) जिसे गलाघोंटू बीमारी के नाम से भी जाना जाता है, लोगों में तेज़ी से फ़ैल रहा है। इतना ही नहीं लोग बुखार, खांसी, ज़ुखाम और डायरिया (Diarrhoea) जैसी बीमारियों से भी जूझ रहें हैं।

लोग इस समय सबसे ज़्यादा डिप्थीरिया बीमारी से ग्रस्त है। अस्पतालों की लम्बी लाइनें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं। असप्ताल में बेड भरे हुए हैं। डिप्थीरिया बीमारी का कहर इतना ज़्यादा बढ़ गया है कि इस बीमारी से कई लोगों की मौतें भी हो चुकी है।

खबर लहरिया को मिली जानकारी के अनुसार, जहां डिप्थीरिया बीमारी से मौतें होती हैं वहां स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीम भेजकर गांवों में दवा वितरण और टीकाकरण कार्य शुरू करा दिया गया है। लेकिन जैसे ही उस गांव की स्थिति में थोड़ा बहुत सुधार होता है तो यह टीकाकरण कागजों तक सिमट कर रह जाता है।

अभी हाल ही में 22 सितंबर को डिप्थीरिया बीमारी से ग्रसित एक लड़के ( बाँदा जिला) की इलाज के दौरान मौत हो गयी।

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डिप्थीरिया बीमारी के मामले

तहसील नरैनी के अन्तर्गत आने वाले ग्राम पचोखर के सत्यनारायण त्रिपाठी ने खबर लहरिया को बताया कि उनके 8 साल के बेटे नकुल को लगभग एक सप्ताह से बुखार था। 21 सितंबर को उसकी हालत गंभीर हो गयी। गले में दिक्कत होने की वजह से उसे मेडिकल कॉलेज बांदा में भर्ती कराया गया। वहां उसका इलाज चला और जांच भी हुई जिसमें डिप्थीरिया मतलब गलाघोंटू बीमारी निकल कर आई।

इलाज के बाद भी नकुल की हालत में कोई सुधार नहीं दिखा। 22 सितंबर को उसे इलाज के लिए प्रयागराज के लिए रेफर कर दिया गया जहां इलाज के दौरान रात को उसकी मौत हो गयी।

उन्होंने यह भी बताया कि उनके बेटे के अलावा उनके गांव के मेवालाल रैकवार का बेटा भी इसी बीमारी से ग्रस्त था लेकिन मेडिकल कॉलेज में इलाज के बाद उसकी हालत सुधर गयी और वह ठीक होकर वापस आ गया। इस घटना के बाद लगातार दो दिन स्वास्थ्य विभाग की टीम गाँव में आई। लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। कुछ दवाइयां भी वितरण की गयी। फिलहाल उनके गांव में इस समय डिप्थीरिया बीमारी की स्थिति थोड़ी बेहतर है, लेकिन मौसमी बीमारियों का प्रकोप अभी भी कुछ हद तक ज़ारी है।

डिप्थीरिया बीमारी से जुड़ी रिपोर्ट

अगस्त के महीने में डिप्थीरिया बीमारी (गलाघोंटू) से कई लोगों की मौत होने के मामले सामने आये हैं। जिले के मर्दन नाका निवासी तेजस्विनी पुत्री रमेश चंद्र को भी तेज बुखार आ रहा था। जिसके बाद उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया,जहां चिकित्सकों ने डिप्थीरिया के लक्षण बताते हुए मेडिकल कॉलेज में उन्हें रेफर कर दिया था। उनके गले में सूजन और बुखार था। इलाज के दौरान 25 सितंबर के दिन रविवार की सुबह उनकी मौत हो गई।

खबर लहरिया की प्रकाशित रिपोर्ट के अमुसार, बड़ोखर खुर्द ब्लॉक के त्रिवेणी गांव में डिप्थीरिया बीमारी (गलघोंटू) की चपेट में आकर 3 बच्चों की मौत हो गयी थी। इस गांव में सबसे पहले अंशुल नाम के 3 वर्षीय बच्चे में इस बीमारी के लक्षण पाए गए थे। अंशुल के माँ-बाप बताते हैं कि उसे पहले बुखार हुआ और फिर गला सूजने लग गया, जिसके बाद वो लोग पहले उसे बाँदा के सरकारी अस्पताल लेकर गए लेकिन वहां के इलाज से कोई फायदा न होने के कारण वो लोग उसे कानपुर ले गए। जहाँ 9 अगस्त को बच्चे की मौत हो गयी।

इसके बाद पचोखर गांव में भी डिप्थीरिया बीमारी (गलघोंटू) से एक बच्चे की मौत हो चुकी है।

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बीमारियों के फैलाव से लोगों में है डर

                                 मौसमी व डिप्थीरिया बीमारी की वजह से कई लोग इस समय अस्पताल में भर्ती है

नरैनी तहसील के बिहारा कि सुमन बताती है कि उसे कई दिनों से बुखार और खांसी की शिकायत है इसलिए वह अपना इलाज कराने के लिए नरैनी सीएससी में भर्ती हुई हैं। आगे बताया कि फिलहाल उसे गले में दिक्कत नहीं है लेकिन वह बुखार से पूरी तरह ग्रसित है। वह अभी चल भी नहीं पा रही हैं।

बरुवा गांव कि रन्नों ‌बताती है कि उन्हें 10 दिनों से बुखार आ रहा है। पेट में जलन हो रही है। इसलिए वह दवा के लिए अस्पताल आई हैं। वह इससे पहले भी इलाज करा चुकी हैं लेकिन बुखार ठीक होने का नाम नहीं ले रहा। उनके गांव में ऐसे और भी लोग ज़ुखाम और बुखार से ग्रसित हैं।

स्वास्थ्य टीम डिप्थीरिया बीमारी को लेकर है अलर्ट

मिली जानकारी के अनुसार, सीएमएस डॉ.एसएन मिश्र ने खबर लहरिया को बताया कि डिप्थीरिया बीमारी से ग्रसित बच्चे की रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी को भेजी गई है।

वहीं सीएमओ डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि जिस गांव में बीमारियां सुनने को मिल रही है तुरंत ही स्वस्थ विभाग की टीम भेजी जा रही है और जांच कराया जा रहा है। नरैनी तहसील के रहने वाले नकुल की मृत्यु हुई है। गांव में स्वास्थ्य टीम को भेजकर सर्वे कराया गया है।

जिला अस्पताल में डिप्थीरिया बीमारी को लेकर है स्पेशल सुविधा

नरैनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक जीवन प्रकाश ने खबर लहरिया को बताया कि वायरल फीवर, ज़ुखाम, बुखार जैसी बीमारियों के काफ़ी मरीज इस समय सामने आ रहे हैं क्योंकि मौसम ही इस तरह का चल रहा है। उनका इलाज किया जा रहा है। गलाघोंटू के फिलहाल अभी उनके सीएससी में मरीज नहीं आए हैं, लेकिन हां पचोखर गांव में एक बच्चे कि मौत हुई है। वह अतर्रा सीएचसी में आता है। वहीं की टीम ने गांव में जाकर जांच की है।

बीमारी के टीकाकरण की तैयारी चल रही है और टीके लग रहे हैं। उनके अस्पताल स्तर में लगभग 800 टीके लग चुके हैं। लोग अपने बच्चों को टीकाकरण करवाने से डरते हैं इसके लिए आशा बहू और एनम घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करती हैं। टीका लगाने के लिए कहती हैं।

बचाव का सबसे अच्छा तरीका यह है कि लोग जैसे ही बुखार आता है, लोग जल्दी ध्यान दें क्योंकि गलाघोंटू बीमारी में सबसे पहले ज़ुखाम, बुखार, खांसी होती है और गले में सूजन आ जाती है। यह इसके लक्षण होते हैं। जैसे ही कुछ ऐसा समझ में आता है लोग जल्दी ध्यान दें। अस्पताल आने पर मरीज रिकवर हो जाते हैं। इसके लिए बांदा जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में स्पेशल वार्ड बने हुए हैं और वहां गलाघोंटू बीमारी हेतु स्पेशल सुविधा भी है।

अंत में यही दिखाई पड़ता है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा डिप्थीरिया बीमारी के फैलाव को लेकर काम तो किये जा रहें हैं पर फिर भी वह बीमारी की रोकथाम में असरदार साबित होते नहीं दिख रहें हैं।

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है। 

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