रमा कहती हैं, वह इस बीमारी में पूजा-पाठ करती हैं। देवी को चढ़ाया जल बच्चों को पिलाते हैं जिससे बच्चे 15 दिन में ठीक हो जाते हैं। अगर कोई ठीक नहीं होता तो वह महीने भर तक इस बीमारी से परेशान रहता है।
बांदा जिले के तिंदवारी ब्लॉक के भावनीपुर ग्राम पंचायत में लगभग 1 महीने से बच्चों में खसरा (Measles) की बीमारी फैल रही है। लोग बीमारी को माता मान अंधविश्वास में पूजा-पाठ के ज़रिये बीमारी का इलाज कर रहे हैं। वहीं कई लोगों का यह भी आरोप है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस बीमारी पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
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खसरा को देवी मान कर रहे पूजा
गांव की रमा देवी का कहना है कि खसरा बीमारी में पहले तो बच्चों में चार दिनों तक तेज़ तपन रहती है। इसके बाद शरीर में छाले जैसा निकल आता है। बच्चे खाना बिल्कुल भी नहीं खाते और पानी भी थोड़ा ही पीते हैं। यह बीमारी घर-घर में है।
कहा, ‘वह इस बीमारी में पूजा-पाठ करते हैं। देवी को चढ़ाया जल बच्चों को पिलाते हैं जिससे बच्चे 15 दिन में ठीक हो जाते हैं। अगर कोई ठीक नहीं होता तो वह महीने भर तक इस बीमारी से परेशान रहता है।”
कई लोगों का यह भी कहना है कि स्वास्थ्य विभाग को इसकी जानकारी देनी चाहिए ताकि बच्चों का सही इलाज हो सके।
अन्य महिला अंजू ने बताया कि आंगनबाड़ी को बताना चाहिए कि यह खसरा की बीमारी है। इसके साथ ही विभाग को भी सूचित किया जाना चाहिए ताकि घर-घर जाकर बच्चों का इलाज किया जा सके।
कई लोगों ने यह भी बताया कि अगर घर में इस बीमारी से एक व्यक्ति ठीक होता है तो यह बीमारी किसी और को लग जाती है। फिर कोई दूसरा परिवार भी इस बीमारी की चपेट में आ जाता है और इस तरह से यह बीमारी फैलती रहती है।
बीमारी को लेकर होगी जांच
खबर लहरिया ने बच्चों में बढ़ती खसरा बीमारी को लेकर तिंदवारी प्राथमिक स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर संजय अहिरवार से बात की। उनका कहना था कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है कि यह बीमारी एक महीने से गांव में चल रही है। उन्हें इस बारे में सूचनी नहीं दी गयी है। उनके द्वारा गांव में टीम भेजकर जांच कराई जायेगी।
खसरा बीमारी क्या होती है?
खसरा वायरस के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी से फैल सकता है। इसमें पूरे शरीर में लाल चकत्ते निकल आते हैं। यह लाल दाने सिर पर होते हैं और फिर धीरे-धीरे पूरे शरीर पर फैल जाते हैं।
खसरा के लक्षण
– सामान्य से तेज़ बुखार आना
– सूखी खांसी आना
– लगातार नाक बहना
– गले में खरास
– आँखों में सूजन इत्यादि
जानकारी के अनुसार, त्वचा पर निकले लाल रंग के चकत्ते सात दिनों तक रहते हैं। आमतौर पर वायरस के सम्पर्क में आने से यह 14 दिनों के अंदर दिखाई देने लगते हैं।
यूं तो खसरे का कोई अलग से इलाज नहीं है। बीमारियों की रोकथाम के लिए बच्चे के जन्म के बाद टीकाकरण की मदद से बच्चे के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बनाई जाती है ताकि बच्चे को भविष्य में गंभीर समस्याओं का सामना न करना पड़े।
इस खबर की रिपोर्टिंग शिव देवी द्वारा की गयी है।
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