मामले में सर्वाइवर के परिवार की तरफ से छः गवाह पेश किये गए। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश ने अपने 38 पृष्ठों के फैसले में दोषी विक्रम को सज़ा सुनाई।
2015 में नाबालिग के साथ हुए बलात्कार के एक मामले में लगभग दस सालों बाद दोषी को सज़ा सुनाई गई और इसे इंसाफ कहा गया। बांदा जिले में हुए इस मामले में जिसमें सर्वाइवर का पहले अपरहण किया गया और फिर बलात्कार, दोषी को विशेष न्यायाधीश पास्को हेमंत कुमार कुशवाहा की अदालत ने बुधवार 12 जुलाई 2023 को दस सालों के कारावास की सज़ा सुनाई। इसके साथ ही उस पर 32 हज़ार का जुर्माना लगाया और कहा कि अगर जुर्माना समय से अदा नहीं किया जाता तो दोषी को एक साल की और सज़ा काटनी होगी।
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यह है पूरा मामला
पास्को एक्ट के सरकारी अधिवक्ता कमल सिंह गौतम ने खबर लहरिया को बताया कि सर्वाइवर के परिवार द्वारा 8 नवंबर 2015 को नरैनी थाने में अपहरण का मामला दर्ज़ कराया गया था। लिखित रिपोर्ट में परिवार ने बताया था कि उनकी बेटी जिसकी उम्र उस समय 16 साल थी वह 4 नवंबर 2015 को घर से कोचिंग के लिए गई थी। उसी समय नरैनी थाने के जवाहर नगर मोहल्ले में रहने वाला मामले का दोषी विक्रम उर्फ लाला राम उनकी बेटी को बहला-फुसलाकर ले गया था। खोजबीन में कुछ पता नहीं चला। इसके बाद इस मामले का आरोप पत्र अदालत में धारा 363,366 के तहत भेजा गया।
नाबालिग के मिलने पर उसने पूरे मामले के बारे में बताया जिसमें यह सामने निकलकर आया कि दोषी द्वारा उसके साथ लगातार तीन से चार दिन तक बलात्कार किया गया। इस बयान के बाद धाराओं में बढ़ोतरी हुई और धारा 376-2 ढ और पास्को को भी मामले में जोड़ा गया और उसके अनुसार सुनवाई की गई। मामले में सर्वाइवर के परिवार की तरफ से छः गवाह पेश किये गए। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों और अधिवक्ताओं की दलील सुनने के बाद न्यायाधीश ने अपने 38 पृष्ठों के फैसले में दोषी विक्रम को सज़ा सुनाई।
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सरकारी अधिवक्ता कमल सिंह ने बताया कि सर्वाइवर के परिवार को रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड के तहत साढ़े चार लाख रूपये मिलेंगे, इसके लिए उन्हें फाइल तैयार करनी होगी।
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गई है।
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