खबर लहरिया Blog प्रकृति से प्रेम की अनोखी मिसाल, प्रेम सिंह की बगिया

प्रकृति से प्रेम की अनोखी मिसाल, प्रेम सिंह की बगिया

मैंने बहुत सुना था प्रेम सिंह की बगिया के बारे में। सोचती थी, कभी तो जाउंगी और आखिरकार वह मौका मिला। 12 नवम्बर 2021 को हम बगिया पहुंचे और उस मौके पर चौका मारते हुए हमने वहां से कुछ पल चुरा लिए और कविता में पिरो दिया।

Banda news, a poem on prem singh ki bagiya

प्रेम सिंह की बगिया
जहाँ स्वच्छ हवा है
स्वच्छ फ़िजा है
सुकून भी है, हाँ वही तो है,
प्रेम सिंह की बगिया।

Banda news, a poem on prem singh ki bagiya

देखा था मैंने
हरियाली ही हरियाली
प्रकृति का प्रेम
पर्यावरण का बदलता स्वरुप
खिल-खिलाते लोग,
बगिया में है एक अलग-सा सुकून,

है कुछ अद्भुत सा
फलों का भंडार सा
वो आम, अमरूद की महक
कोयल की कूक और चहक
प्रकृति की गोद में खिलखिलाते लोग
हाँ- हाँ यही सब कुछ तो है
प्रेम सिंह की बगिया में।

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वो अद्भुत नजारा
प्रकृति से मिलना हमारा,
न भूलने की बातें
वो मस्ती भरी सहेलियों संग बिताई रातें,
कभी न भूलने वाला एहसास
हाँ ऐसी ही है कुछ खास,
सब कुछ लगता है वैसा
बिलकुल अपने गांव जैसा।

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वही सड़क, वही नज़ारा
उपवन मानों प्यारा-प्यारा,
जहाँ सुकूं भी है
और प्यार भी
यह है, मैं और मेरे एहसास।

कभी आप भी आएं, प्रेम सिंह की बगिया में और आनंद लोजिये यहां के प्राकृतिक माहौल का।

 

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