आम एक अहसास होता है अपनेपन और एकता का। ऐसा इसलिए क्योंकि जब आम को तोड़ कर लेकर आते थे तो सब मिल बांटकर खाते थे।
रिपोर्ट – शिव देवी, लेखन – सुचित्रा
भारत में गर्मी के मौसम में फलों का राजा ‘आम’ पेड़, बाज़ारों और मंडी में दिखाई देने लगते हैं। ऐसे तो भारत में कई तरह के आम की किस्में प्रसिद्ध हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं अल्फांसो, केसर, दशहरी, लंगड़ा, चौसा और तोतापुरी। ये आम स्वाद, रंग और आकार में अलग लगते हैं। कुछ तो इनमें से काफी महंगे होते हैं जैसे कि अल्फांसो और हिमसागर।
उत्तर प्रदेश बांदा जिला के तिंदवारी ब्लाक के लौमर गांव में आम के बगीचे देखने को मिलते हैं जो उनके कमाई का एक जरिया भी है। 20 बीघे में 500 तरह-तरह के आम के पेड़ लगाए गए हैं जैसे देसी आम, लंगड़ा आम और चौसा। लोग रोजाना आम बिनते हैं और इकट्ठा करके रिक्शा बुलाकर बेच देते हैं। इस समय आम का दाम 2 सौ रुपया पसेरी यानी 200 रुपए का 5 किलो है। इसके बावूजद लोग स्वाद के लिए खरीदते हैं।
लंगड़ा आम के कई नाम
ऐसे इतिहास में लंगड़ा आम की उत्पति यूपी के बनारस से बताई जाती है। लंगड़ा आम को मालदा आम या दुधिया मालदा के नाम से भी जाना जाता है। यह एक लोकप्रिय आम की किस्म है, जो विशेष रूप से भारत के पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से आती है। इस वजह से पश्चिम बंगाल के रेलवे स्टेशन का नाम भी मालदा रखा गया है।
आम से जुड़े किस्से
आम से जुड़े किस्से आम का मौसम आते ही फिर से ताजा हो जाते हैं। बचपन में जब आम कच्चे हो या पक्के बच्चे आम के पेड़ पर नज़र आते थे और आज भी ग्रामीण इलाकों में यही दृश्य देखने को मिलता है। आम एक अहसास होता है अपनेपन और एकता का। ऐसा इसलिए क्योंकि जब आम को तोड़ कर लेकर आते थे तो सब मिल बांटकर खाते थे। यहां तक की आम की गुठली के लिए झगड़ा हो जाता था कि हम खाएंगे हमें दो। इसी प्यार और झगड़े को बांधे रखा है इस आम ने।
आम के मौसम में आम थाली का हिस्सा
आम के मौसम में तो पके हुए आम खाने की थाली में अकसर होता ही है क्योंकि खाने के बाद मीठा में इसे परोसा जाता है। खाने की थाली में आम न हो तो अधूरा सा लगने लगता है। घर में मेहमान भी आते हैं तो उन्हें भी खाने के साथ आम दिया जाता है।
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