बांदा डीएम हीरालाल हर हफ्ते मंगलवार को बड़े धूमधाम से केन नदी में जल आरती करने आते हैं और उनके साथ भीड़ का एक बड़ा हुजूम जुटता है।
इस आरती को करके कथित रूप से डीएम ये संदेश दे रहे हैं या फिर जागरूकता फैला रहे हैं कि पानी के स्रोतों नदी, तालाबों, कुओं, हैंडपम्प को साफ रखें, गंदगी न फैलाएं।
जिससे पानी आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाया जा सके।
जल आरती जैसे कार्यक्रम को लेकर मेरे कई सवाल हैं। जहां पर मानक विहीन बालू खनन हो रहे हो, अंधाधुंध बोरिंग डार्कजोन जैसी स्थिति पैदा कर रही हों
वहां जल आरती कार्यक्रम जैसे सरकारी धन का दुरुपयोग ही साबित हो रहे हैं।
ये किसी से छिपा नहीं कि शहर के बड़े बड़े गंदे नाले नदी में ही लगे हैं, जगह जगह पाइपलाइन टूटी हैं जिससे हर रोज न जाने कितना पानी बर्बाद हो रहा है।
इन सब में काम करने की बजाय धर्म से जोड़कर मुद्दों में हलचल मचाना, खुद सुर्खियों में बनाए रखना अधिकारियों और नेताओं का फ़ैसन बनता जा रहा है।
यह मैं ही नहीं कह रही, आप खुद ही सुन लीजिए इस मामले को लेकर भूरागढ़, बांदा शहर और तिंदवारी निवासियों से बातचीत की।
ज्यादातर लोगों का कहना था कि जल आरती से पानी बचाने का कोई संबंध नहीं है।
या फिर इसके बारे में डीएम ही जाने। जल आरती में विभाग के लोग ही शामिल होते हैं। या फिर पुरुष ही, महिलाएं भी इक्का दुक्का ही शामिल हो पाती हैं।
पानी के प्रति जागरूकता के लिए कमेडियन राजू श्रीवास्तव आये उनके जरिये बांदा के लोगों को आगाह किया गया कि पानी बचाना बहुत जरूरी है, नदी, तालाबो, कुओं को साफ रखें। जहां पर हर साल कई सैकड़ा मूर्ती विसर्जित की जाती हैं।बाँदा: केन नदी की बाढ़ के चपेट में फंसी महिलाओं की दिल दहलाने वाली दास्ताँ
शहर के तीन बड़े गंदे नाले उसी नदी में लगे हैं एक तो जल आरती होने वाले घाट के ठीक सामने लगा है फिर भी जल आरती करके पवित्रता का पाठ पठाया जाता है।
हर हफ्ता जल आरती के नाम खर्च होने वाले बजट का दुपयोग ही है।
राजू श्रीवास्तव को बुलाकर ऐसे कार्यक्रम करने की जरूरत क्यों थी? क्या बांदा के लोग जागरूके नहीं।
शहर में जगह जगह सालों से टूटी पड़ी सप्लाई पानी की लाइन से हर रोज न जाने कितना पानी बर्बाद होता है।
जल संस्थान की मानी जाए तो विभाग के पास इतना बजट नहीं है कि वह जर्जर टूटी पाइप लाइन का नवीनीकरण करा सके।
उधर जिला प्रशासन इससे अनजान बनकर पानी बचाने के नाम जल आरती और जल जागरूकता की आड़ में कलाकारों के लिए मंच सजाकर सरकारी या गैर सरकारी बजट का दुरपयोग कर रहा है।