शराब और गुटखा खाना वह भी बुंदेलखंड में शौक माना जाता है। यहां तक कि मेहमानों के आवाभगत में इन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। शादी समारोह में शराब और गुटखा का इस्तेमाल जमकर किया जाता है।
अगर यही चीजें शौक से ज्यादा होती हैं वहां पर घर परिवार में विघटन शुरू हो जाता है। इससे सबसे ज्यादा प्रभावित महिलाएं होती हैं। जो लोग चाहते हैं कि इनसे छुटकारा पाया जाए वह कई उपाय ढूढ़ते हैं।
कोई डॉक्टर के पास जाते है तो कोई ओझा के पास तो कोई धर्म का रास्ता अपनाते हैं।
इन सबमें सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है खुद का दृढ़संकल्प। अगर खुद का आत्मविश्वास काम नहीं करता तो सारे उपाय बेकार हैं
इसी तरह से बांदा में भगवती मानव कल्याण संगठन एवं पंचज्योति शक्ति तीर्थ सिद्धाश्रम नाम के दो धार्मिक संगठनों द्वारा हर महीने चौथे रविवार को महाआरती के नाम से बांदा के गणेश भवन में कार्यक्रम किया जाता है।फैजाबाद जिले के बबुराहिया गाँव में चलाया गया नशामुक्ति अभियान | KhabarLahariya
इस कार्यक्रम के आयोजकों और कार्यक्रम में जुड़ने वाले लोगों का मानना है कि इस तरह का कार्यक्रम करने से नशा करने और मांस खाने से मुक्ति मिल जाती है।
उनका यहां तक कहना है कि कई लोगों ने नशा करना और मांस खाना छोड़ दिया है। वैसे धर्म को मानने वाले कई लोग मांस खाना छोड़ते हैं या चोरी छुपे खाते हैं लेकिन नशा मतलब शराब, गांजा, चरस, अफीम और गुटखा खाना बंद कर देते हैं यह बहुत ही सोचनीय विषय बन जाता है जब इस तरह की बनावटी बातें सामने आती हैं।
खैर अच्छी बात है कि लोग नशा छोड़ रहे हैं भले भी वह धर्म की आड़ में आत्म संकल्प करके छोड़ते हों। कई महिलाओं और पुरुषों से बात करके पता चला कि कोई दवाई नहीं होती।
इस कार्यक्रम में नशा करने से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक किया जाता है। महाआरती के कार्यक्रम में आकर बस भक्ति करने से ही नशा छूट जाता है। इस कार्यक्रम में पढ़े लिखे और यहां तक कि मीडिया के लोग भी जुड़े हैं।