उत्तर प्रदेश के बांदा जिला के जसपुरा ब्लॉक के कई गांव हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं। हर साल बाढ़ के कारण लोगों ने कच्चे मकान भी गिर जाते हैं। ये लोग हर साल मेहनत करके फिर अपनी झोपड़ियों को तैयार करते हैं और बाढ़ आते ही इनकी मेहनत पर पानी फिर जाता है। साथ ही इनका रैन-बसेरा भी छिन जाता है। सालों से आवास की मांग कर रहे इन लोगों को अबतक आवास नहीं मिल पाए हैं।
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इस बार आई बाढ़ में भी शंकरपुरवा में कई कच्चे मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। लोगों का कहना है कि जब बाढ़ आई थी तब पानी संभालना मुश्किल हो गया था। लोगों के कच्चे घरों में पूरी तरह से पानी घुंस गया था। किसी के घर की दीवारें गिर गयीं तो किसी की छत गिर गई। इन लोगों ने कई बार प्रशासन से आवास मिलने की मांग करी और इस आपदा के बाद तो कई बार विभाग के चक्कर भी काटे लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
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लोगों का आरोप है कि जब बाढ़ आती है तो इन्हें बस आश्वासन दिया जाता है कि सभी को पक्के मकान के लिए पैसे दिए जायेंगे और राहत सामग्री भी दी जाएगी लेकिन होता कुछ भी नहीं है। घर गिरने से इन लोगों के पास अब छत भी नहीं है और काफी सामान का भी नुकसान हुआ है। यह लोग ऊंची स्थाई जगह में अब पट्टा मिलने की मांग कर रहे हैं ताकि आगे कभी बाढ़ आए तो इनके घर बच सकें।
पैलानी उप जिला अधिकारी लाल सिंह यादव ने ऑफ़ कैमरा बताया कि बाढ़ से प्रभावित हुए गावों में से 90 लोगों की लिस्ट तैयार की गई है और कच्चे-पक्के दोनों घरों का सर्वे किया गया है। जिन परिवारों के कच्चे घर 15 प्रतिशत या उससे ज़्यादा क्षतिग्रस्त हुए हैं सिर्फ उन्हें ही आवास दिया जाएगा। जिनके घर 10 प्रतिशत या उससे कम क्षतिग्रस्त हुए हैं उन्हें आवास नहीं दिया जाएगा।
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