बाँदा जेल से भाग पाने में नाकाम कैदी जेल परिसर में ही छिपा मिला। वह अपनी प्रेमिका से मिलने जेल से भागा था। जिसे पकड़ने में अधिकारीयों को लगभग 22 घंटे लग गए। लेकिन लोगों को अधिकारियों द्वारा दिए गए बयानो पर विश्वास नहीं हो रहा है।
बांदा। रविवार 6 जून की शाम को जेल की हाई सिक्योरिटी से विजय आरख नाम का बंदी भाग निकला था। लेकिन भागने के 22 घंटे के बाद ही वह कृषि फार्म में घास के बीच पकड़ा गया। कैदी विजय आरख गिरवां थाना क्षेत्र के बरसड़ा बुजुर्ग गांव का निवासी है। जानकारी के अनुसार, 10 जून को उसकी प्रेमिका की शादी थी। जिसके बाद उसने जेल से भागने का फैसला किया।
परिसर में दूसरी बार ढूंढने पर मिला कैदी
डीआईजी (जेल, प्रयागराज) संजीव कुमार त्रिपाठी ने उच्चाधिकारियों को बताया कि कैदी विजय आरख कारागार कृषि फार्म में कार्य करता था। उस पर चोरी का आरोप था। कृषि फार्म में जब उसने बड़े बांस को देखा तो उसने भागने का मन बना लिया। बैरक की छत पर चढ़कर बांस की मदद से वह सर्किल दीवार से बाहर कूद गया। इससे उसके कमर में चोट आ गई। जिसकी वजह से वह 23 फीट ऊंची मुख्य दीवार को पार नहीं कर पाया। जिसके बाद वह वहीं घास के बीच छिप गया। घंटों मशक्कत के बाद उसे ढूंढा जा सका।
हालांकि, यह बात लोगों के गले से नीचे नहीं उतर रही है। चर्चा यह है कि फरार बंदी विजय की तलाश में जेल कर्मियों ने कृषि फार्म और आस-पास पूरे जेल परिसर का चप्पा-चप्पा छान मारा था पर वह कहीं नहीं मिला था। लेकिन अंधेरा होते ही उसी स्थान पर बंदी का मिलना लोगों के लिए चौकाने जैसा था।
कैदी को पकड़ने की कहानी है अफ़वाह – लोगों का आरोप
सूत्रों के मुताबिक कृषि फार्म और बैरक व छत आदि में बांस, डंडा या लाठी आदि नहीं रखे जा सकते। जरा सी लापरवाही होने पर बंदी इनका इस्तेमाल कर हमला कर सकता है। दूसरा बात यह कि कृषि फार्म में घास-फूस इतनी बड़ी नहीं होती की उसमें छिपा जा सके। साथ ही जेल में हाई सिक्योरिटी और 44 कैमरे व 132 बंदी रक्षक हैं। इसके बाद भी कृषि फार्म में छिपे बंदी को ढूंढने में 22 घंटे लग गए। लोगों में यह चर्चा रही कि यह कहानी महज जेल अधिकारियों व कर्मचारियों को बचाने के प्रयास के लिए है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि बंदी को पुलिस ने कहीं और से पकड़ा है।
कैदी के भागने पर डिप्टी जेलर व बंदी रक्षकों पर लटकी तलवार
बाहुबली विधायक गैंगस्टर मुख्तार के आने के बाद से जेल हाई सिक्योरिटी की सुविधा से लैस हो गया था। इसके बावजूद मामूली बंदी विजय आरख का भाग निकलना जेल सुरक्षा में बड़ी चूक है। डीआईजी (प्रयागराज) संजीव कुमार त्रिपाठी ने इस प्रकरण की जांच शुरू कर दी है। बीते सोमवार को कारागार अधीक्षक व जेलर सहित दो डिप्टी जेलर, आठ बंदी रक्षकों और बंदी के बयान दर्ज किए गए हैं। सूत्रों के मुताबिक, इसके दो दिन बाद डीआईजी जेल ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजा। जांच के बाद बंदी रक्षकों पर कार्यवाही लगभग तय मानी जा रही है।
डीआईजी ने मानी गलती
डीआईजी संजीव कुमार त्रिपाठी ने यह माना कि बंदी के बैरक में चढ़ने और बांस के सहारे सर्किल दिवार से कूदकर भागने में कहीं न कहीं चूक हुई है। कारागार अधीक्षक अरुण कुमार भी बंदी के भागने के मामले को चूक बता रहे हैं। डीआईजी जेल ने बंदी से पूछताछ के बाद भागने का तरीका भी समझा। मुकदमा खत्म करने को कोतवाली में पत्र भी दिया गया।
बंदी के भागने की रिपोर्ट कोतवाली में दर्ज कराई गई थी। कैदी के मिलने के बाद उन्होंने मुकदमा खत्म करने के लिए कोतवाली में प्रार्थनापत्र दिया है। बंदी के भागने की विभागीय जांच जारी रहेगी। साथ ही डीआईजी जेल की रिपोर्ट पर कार्यवाही के लिए बड़े अफ़सर निर्णय लेंगे।
प्रेमिका से मिलने भागा था कैदी विजय
बतया जा रहा है कि बंदी विजय आरख जेल से अपनी प्रेमिका से मिलने की कोशिश में भागा था पर वह नाकाम रहा। इसलिए अब उसने खाना-पीना छोड़ दिया है। बताया गया कि 10 जून को कथित प्रेमिका की शादी थी। इससे परेशान होकर बंदी ने जेल से भागने की नाकाम कोशिश की थी। सूत्रों के मुताबिक बंदी के भागने की भनक लगते ही पुलिस ने सबसे पहले प्रेमिका के घर को घेरा था। सादे कपड़े में पुलिस घर के अंदर और बाहर तैनात थी।
जेल से भागने के लिए पूछताछ में विजय आरख ने पुलिस और जेल प्रशासन को बताया कि पास के ही दूसरे गांव की एक स्वजातीय (एक जाति से संबंध रखने वाले ) लड़की से उसका तीन साल से प्रेम-प्रसंग चल रहा था। 10 जून को उसकी शादी की खबर सुनकर वह परेशान हो गया था। इसलिए उसने जेल से भागने का फैसला लिया था। यह भी चर्चा है कि जेल पीसीओ से उसने बातचीत भी की थी तभी उसे उसकी प्रेमिका की शादी की जानकारी हुई थी। हालांकि जेल प्रशासन इसकी पुष्टि नहीं कर पा रहा है।
बढ़ायी गयी जेल की सुरक्षा
बांदा के जेलर प्रमोद तिवारी ने बताया कि जेल में इस समय 62 बंदी रक्षक तैनात है। एक रक्षक पर कई-कई बंदी की जिम्मेदारी होती है। पूरे जेल परिसर में कुल 38 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। उन्होंने बताया कि जेल की सुरक्षा और भी ज़्यादा बढ़ा दी गई है।
वैसे तो कैदी को पकड़ लिया गया है। लेकिन फिर भी जिस तरह से जेल अधिकारियों द्वारा कैदी को पकड़ने की बात कही जा रही है। इस बात पर किसी को विश्वास नहीं हो रहा है। जहां 60 आँखे हर पल कैदियों पर नज़र रखे हुए है। ऐसे में कैदी का परिसर के अंदर ही 22 घंटे तक छिपे रहना और इतने घंटो के बाद पकड़े जाना अटपटा सा लगता है। हालांकि, अधिकारीयों द्वारा एक ही कहानी कही जा रही है पर यह कितना सच या झूठ है। यह कहा नहीं जा सकता। फ़िलहाल अब भी मामले को लेकर जांच ज़ारी है।
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।
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