लॉकडाउन में किसानों का बुरा हाल, देखिये महोबा से : जिले के अलग-अलग गांव के किसानों की समस्याएं किसानों का कहना है कि किसान जब से अपने खेत में वीजा डालता है जब से ही खेत में उसको डेरा डेरा डाल के रहना पड़ता है रात दिन किसान किसानी के निर्भर रहता है अगर किसान की अच्छी फसल हो गई तो किसान ही होता है कुलपहाड़ के किसान का गाना है बहुत सारे लोग इस समय अपने जेवर या कुछ सामान गिरवी भरकर खर्च चला रहा है सरकार को यह ध्यान देना चाहिए कि जैसे दशरथ की दुकानों का 2 घंटा का टाइम दिया है लॉग डाउन में इसी तरह किसान की फसल बेचने के लिए 2 घंटे के लिए मंडी भी खुलना चाहिए ताकि जो हम लोग मटर और चना अपने घरों में रखे हुए हैं उसको मंडियों में बेच सकें जिससे आगे के लिए हमारे खर्चा के काम में आए गेहूं की कटाई भी और कतराई शुरू है अब पैसे नहीं हैं जो हम मजदूरों को पैसे दे सकें ना ही हमारी थे सर में तेल डालने का नहीं है जो हमारी फसल कतर सकें और यह भी किसानों का कहना है कि इस समय बादल बूंदी हो रहा है तो लगता है कि तब घर में पूरा गला आ जाए अगर भगवान बरस जाएगा तो साल भर की मेहनत और रखवारी बर्बाद हो जाएगी लेकिन हम लोगों की मजबूरी है कैसे ला सकते हैं अपने घर अपना अनाज पैसे नहीं हैं इस तरीके से किसानों का बुरा हाल है |